एंकर..आई गार्ड से ज्यादा फैशन स्टेटमेंट है चश्मा

By Edited By: Publish:Fri, 18 Apr 2014 06:45 PM (IST) Updated:Fri, 18 Apr 2014 06:45 PM (IST)
एंकर..आई गार्ड से ज्यादा फैशन स्टेटमेंट है चश्मा

ललित मोहन, रेवाड़ी: मौसम की मस्ती में फैशन का तड़का लगे तो जायका और बढ़ जाता है। छुट्टियों वाला मौज-मस्ती का मौसम यानी गर्मी का सीजन शुरू हो गया है। हल्के कपड़ों में फैशन और स्टाइल इस मौसम में ज्यादा ही दिखती है। यूं तो चश्मा आंखों की सुरक्षा के लिए हर तरह से जरूरी है, लेकिन खासकर यह युवाओं के फैशन और स्टाइल का हिस्सा बन गया है। इसमें युवाओं का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है। युवाओं के फैशन को और स्टाइलिश बनाकर उनकी क्रेज को बढ़ाने के लिए चश्मा तैयार करने वाली नामी कंपनिया नए-नए लुभावने उत्पाद लेकर बाजार में उतर चुकी हैं।

सिर्फ शहरी संस्कृति में नहीं, बल्कि अब तो गाव के युवाओं में भी चश्मा रच-बस रहा है। इन दिनों लोगों में विशेषकर युवाओं में वेयसरर और गोल्डन जैसे डिजाइन अधिक पसंद किए जा रहे है। विशेषज्ञों ने इन दिनों मौसम में आ रहे बदलाव और प्रदूषित वातावरण से आखों को बचाने के लिए चश्मा पहनने की सलाह दी है, लेकिन इनकी क्वालिटी पर भी ध्यान देने पर जोर दिया है।

बुजुर्गो की भी शान है चश्मा

इन दिनों युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग भी डिजाइनर चश्मों की डिमाड करने लगे है। उनकी डिमाड के अनुसार पुराने जमाने के बड़े फ्रेम और फाइबर ग्लास के नए-नए डिजाइनों के चश्मे बाजार में आ रहे है। जाहिर है चश्मा सिर्फ युवाओ की नहीं, बल्कि बुजुर्गों की भी शान बन रहा है।

फसल कटाई के समय सबसे जरूरी

इन दिनों फसल कटाई का सीजन जोरों पर है। ऐसे में खेत खलिहानों में फसल के अवशेष, तूड़ी के ढेर और मच्छर-मक्खियों के प्रकोप से आखों को होने वाले नुकसान से बचाव का एकमात्र माध्यम चश्मा ही है। चिकित्सकों के अनुसार इस दौरान आखों में संक्रमण की संभावना अधिक रहती है। अगर आखों में कुछ गिर जाता है, तो उसे पानी से धो लेना ही ठीक होता है। फसली मौसम में बच्चों को भी आखों की सावधानी बरतनी चाहिए।

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पर्सनैलिटी में निखार लाता है

एक दुकान में चश्मा खरीदने आए युवा राहुल बताते हैं कि गर्मी के मौसम में प्रदूषण च्यादा फैलता है। इसलिए धूप के चश्मे जहा गर्मी में राहत प्रदान करते हैं, वहीं व्यक्तित्व का भी निखार होता है। यह हमारा लाइफ स्टइल भी है। एक अन्य युवा विशाल ने कहा कि यह आज के युवाओं का स्टाइल है। रोहित कहते हैं कि चश्मा पहनना उनका शौक है। वे घर से निकलने से पहले अपना चश्मा लेना नहीं भूलते। यह धूप से बचाव के साथ उनके पहनावे की आदत हो गई है।

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इन चश्मों की च्यादा डिमाड

युवाओं में फास्टट्रैक, एक्स-फोर्ड, रेबन व टाइटन जैसे नाम पापुलर है, जबकि ग्लास में क्रिजाल जैसे ब्राड के पसंद किए जा रहे हैं।

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'धूप व धूल से आखों में एलर्जी की शिकायत हो सकती है। इनसे बचने के लिए सन ग्लासेस पहनकर घर से निकलना चाहिए। घटिया क्वालिटी के चश्मे से सिर घूमने लगता है। विच्यूअल क्लीयर नही दिखाई देते। इसलिए बेहतर क्वालिटी के चश्मे ही खरीदने चाहिए। बिना चिकित्सकों की सलाह के नजर के चश्मे नहीं पहनने चाहिए।'

-डॉ. हरपाल, गंगादेवी पाडेय नेत्र अस्पताल, ब्रह्मगढ़।

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'धूप की किरणों से अल्ट्रावायलेट किरणें निकलती हैं, जो आखों को नुकसान पहुचाती हैं। फसलों की कटाई के दौरान आखों को च्यादा नुकसान होता है। वाहनों से निकले धुएं से स्प्रिंग कटार नाम का धुआ निकलता है, जो आखों के लिए नुकसान दायक है। धूप में चश्मे लगाकर बार-बार आखों को नहीं धोकर गीले कपड़े से आखों की सफाई करे। अल्सर से भी आखों की शिकायत हो सकती है। ब्लैक व ब्राउन रग के चश्मे पहनने चाहिए जो आखों को पूरी तरह से सुरक्षित रख सके। '

-डॉ. रेखा यादव, नेत्र रोग विशेषज्ञ

रेवाड़ी।

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