यमुनानगर में घायल गोवंशों का इलाज करा रहे युवा, वाट्सएप ग्रुप से पहुंचती हर जरूरी मदद

यमुनानगर में सड़क किनारे घूम रहे घायल गोवंशों को बचाने की युवाओं ने मुहिम छेड़ी है। महाकाल निशुल्क उपचार केंद्र के नाम से इन युवाओं ने संस्था बनाई है। चार से अब 45 युवा जुड़ चके है

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 01:44 PM (IST) Updated:Wed, 15 Jul 2020 01:44 PM (IST)
यमुनानगर में घायल गोवंशों का इलाज करा रहे युवा, वाट्सएप ग्रुप से पहुंचती हर जरूरी मदद
यमुनानगर में घायल गोवंशों का इलाज करा रहे युवा, वाट्सएप ग्रुप से पहुंचती हर जरूरी मदद

यमुनानगर [अनवीश कुमार] मैं अकेला ही चला था, कारवां बनता गया। गीत की ये लाइन हम जब भी सुनते हैं हमें कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। मगर बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो प्रेरणा लेकर कुछ करने को निकल पड़ते हैं। ऐसा ही एक युवाओं का ग्रुप यमुनानगर में है। यहां सड़क किनारे घूम रहे घायल गोवंशों को बचाने के लिए युवाओं ने मुहिम छेड़ी है। महाकाल निशुल्क उपचार केंद्र के नाम से इन युवाओं ने संस्था बनाई। वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से घायल गोवंशों की सूचनाएं इन तक पहुंच रही है। जिस पर यह तुरंत मदद के लिए पहुंचते हैं और बेसहारा गोवंश का उपचार कराते हैं। शुरूआत में चार दोस्तों ने मिलकर यह सेवा शुरू की। अब इनके ग्रुप में 45 युवा जुड़ चुके हैं।

संस्था के अध्यक्ष नितिन गुर्जर ने बताया कि वह अक्सर देखते थे कि काफी संसाधन होने के बावजूद भी गोवंश सड़कों पर बेसहारा घूम रहे हैं। गाय की समाज में काफी मान्यता है। इसके बावजूद भी गोमाता की सेवा नहीं हो रही है। सबसे बड़ी दिक्कत है कि इन गोवंशों में बहुत से घायल हो जाते हैं, जो सड़क किनारे ही पड़े तड़पते रहते हैं। उनकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। जिस वजह से उन्होंने यह मुहिम शुरू की। अब तक 15 गोवंशों का वह इलाज करा चुके हैं। उन्हें गोशालाओं में भिजवाया गया है। इसके बदले में गोशाला में चारा भी भिजवाते हैं। एक गोवंश की मौत हो गई थी जिसका भी उपचार कराया।

सोशल मीडिया पर शेयर किए नंबर

युवाओं के ग्रुप ने अपने नंबर सोशल मीडिया पर शेयर किए। जिससे कही पर भी कोई बेसहारा घायल गोवंश को देखे, तो उन्हें सूचित कर सके। नितिन ने बताया कि अभी कुछ दिन पहले सेक्टर 17 से उनके पास कॉल आई। महिला ने बताया कि एक गाय को जख्म हो रखे हैं। कई दिन से वह यहां पड़ी हुई है। जिस पर वह पहुंचे। उसका इलाज कराया और गाय को गोशाला में छोड़कर आए। इतना ही नहीं गोशाला में चंदे की पर्ची भी कटवाई। जिससे उसकी देखरेख सुचारू रूप से होती रहे।

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