आत्मनिर्भर करनाल की गोशाला की अनूठी पहल, गाय के दूध से तैयार करते बिस्‍कुट

करनाल की गोशाला आत्‍मनिर्भरता की ओर बढ़ रही है। गाय के दूध से बिस्कुट और रस्क तैयार किए जा रहे हैं। श्री राधा कृष्ण गोशाला खाद्य पदार्थ सहित गोधन अर्क भी बनाती है। साथ ही गोबर से गैस भी तैयार की जाती है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 29 Jun 2022 08:11 AM (IST) Updated:Wed, 29 Jun 2022 08:11 AM (IST)
आत्मनिर्भर करनाल की गोशाला की अनूठी पहल, गाय के दूध से तैयार करते बिस्‍कुट
अर्जुन गेट स्थित श्री राधा कृष्ण गोशाला।

करनाल, जागरण संवाददाता। गोधन स्वस्थ रहेगा तो सभी को आरोग्य प्राप्त होगा। इसी सोच के साथ दानवीर कर्ण की नगरी में विभिन्न गोशाला कमेटियां और सामाजिक संस्थाएं गर्मी के मौसम में गोधन की सेवा में जुटी हैं। सुखद पहलू यह है कि अब गोशालाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ा रही हैं।

अर्जुन गेट स्थित श्री राधा कृष्ण गोशाला इनमें सबसे अग्रणी है, जहां गाय के दूध से निर्मित स्वादिष्ट बिस्कुट, रस्क और गोधन अर्क सहित अन्य खाद्य व पेय पदार्थ बनाए जा रहे हैं। यहां बनने वाली शुद्ध फिनायल की भी काफी मांग है। गोशाला संचालकों का कहना है कि अच्छे रिस्पांस के बाद अब इन सभी का उत्पादन बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।

स्वास्थ्य रक्षा का रखते ध्यान

शहर के अर्जुन गेट स्थित गोशाला के संचालन का दायित्व प्रधान कृष्ण लाल तनेजा सहित उनके सहयोगियों में शामिल हरमीत सिंह हैपी और अन्य समाजसेवी बखूबी निभाते चले आ रहे हैं। तनेजा बताते हैं कि गोशाला का परम उद्देश्य गो सेवा है। इस कार्य में कई जाने-माने चिकित्सक, अधिकारी, व्यापारी, उद्यमी व अन्य वर्गों के समाजसेवी पूरी सक्रियता के साथ जुड़े हैं। गोशाला में गोवंश की चिकित्सा और स्वास्थ्य रक्षा पर भी बारीकी से ध्यान दिया जाता है। गोशाला में एक हजार से अधिक गोवंश हमेशा रहता है, जिनकी सेवा के लिए पर्याप्त स्टाफ रखा गया है। इनमें कुछ गो वंश दुग्ध उत्पादन में सक्षम नहीं है। इसलिए जिस गाय का दूध मिल सकता है, उसी का प्रयोग बिस्कुट व अन्य खाद्य और पेय पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है।

बिस्कुट व रस की अच्छी मांग

प्रधान कृष्ण लाल तनेजा ने बताया कि गोशाला में कुछ समय से गाय के दूध और आटे से निर्मित कुरकुरे बिस्कुट तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा यहां रस्क भी बनते हैं। दोनों की काफी मांग रहती है। काफी लोग स्वयं गोशाला आकर इन्हें ले जाते हैं तो जो लोग यहां नहीं आते, वे हर सुबह शहर के अलग अलग इलाकों में गो वंश के लिए रोटी और अन्य सहायता सामग्री प्राप्त करने वाली विशेष रिक्शाओं के माध्यम से इन्हें खरीद लेते हैं। इसी प्रकार गोशाला में विशेष प्रकार की मशीन से तैयार किए जाने वाले गंध रहित गो धन अर्क को भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं। इसे तैयार करने में विशेष प्रकार की तकनीक और मशीन का प्रयोग किया जाता है। साथ ही यहां शुद्ध फिनाइल भी बनाई जाती है। पिछले कुछ समय में लोग लगातार इन्हें पसंद कर रहे हैं, जिसे देखते हुए गोशाला कमेटी इनका उत्पादन बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

ऐसे होता मल-मूत्र निस्तारण

गोशाला में गोवंश के मल-मूत्र का निस्तारण करने के लिए भी विशेष प्रक्रिया अपनाई गई है। यहां पशुओं के खड़े होने के स्थान पर नौ-नौ इंच की ईंटें रखी गई हैं, जो गिरने के कुछ ही समय में मूत्र सोख लेती हैं। इसी प्रकार नियमित रूप से बाल्टियों और अन्य पात्रों में भी गोमूत्र एकत्र किया जाता है, जिसका उपयोग गो धन अर्क व फिनाइल सहित विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियों और इसी तरह की अन्य सामग्री बनाने में होता है।

गोबर से तैयार की जाती गैस

कैंसर, लीवर, किडनी रोग आदि के उपचार में सहायक आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण के लिए गोशाला में एकत्र किया गया गो मूत्र नियमित रूप से दवा कंपनियों को भेजा जाता है। जहां तक गोबर उठान का बिंदु है तो इसके लिए हर गोशाला में पर्याप्त मात्रा में छोटी-छोटी ट्रालियां रखी हुई हैं, जिनके जरिए नियमित रूप से गोबर एकत्र करके बड़ी ट्राली तक लिफ्ट किया जाता है। फिर दिन में दो बार यह गोबर बड़ी ट्राली की मदद से कुंजपुरा स्थित गोबर गैस प्लांट भेजा जाता है, जिससे गैस तैयार होती है।

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