महाभारत से जुड़ा लाक्षागृह की यहां सुरंग, अलग-अलग पांच स्थानों पर निकलती हैं ये सुरंगें

लाक्षा गृह की साजिश से बचने के लिए पांडवों ने जिस सुरंग की सहायता ली थी वह हरियाणा के कैथल के कलायत में आज भी मौजूद हैं। कलायत से शुरू होकर अलग-अलग पांच स्थानों पर पांच सुरंगें निकलती हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sun, 03 Jan 2021 03:26 PM (IST) Updated:Sun, 03 Jan 2021 07:00 PM (IST)
महाभारत से जुड़ा लाक्षागृह की यहां सुरंग, अलग-अलग पांच स्थानों पर निकलती हैं ये सुरंगें
कैथल के कलायत स्थित महाभारत कालीन सुरंग।

पानीपत/कैथल, जेएनएन। कैथल जिले से महाभारतकाल की कई घटनाएं जुड़ी हुई हैं। जिले में कई प्राचीन धार्मिक स्थल हैं, जिनका संबंध महाभारत से है। महाभारत काल में जिन सुरंगों ने कुंती और उसके पांचों पुत्रों को लाक्षा गृह की साजिश से बचाया था उसका इतिहास कलायत से जुड़ा है।

प्राचीन श्री कपिल मुनि धाम सरोवर के तट पर स्थित शमशान भूमि में महाभारत सम कालीन सुरंगों की झलक देखी जा सकती है। कलायत भगवान विष्णु के छठे अवतार कपिल मुनि की तपो स्थली है। इसे महाभारत युद्ध का अंतिम सिरा माना जाता है। यहां के लोगों के अनुसार पांडव कलायत की शमशान भूमि में स्थित सुरंग में ठहरे थे। प्राचीन श्री कपिल मुनि धाम के मुख्य पुजारी स्वर्गीय वेद प्रकाश गौतम ने सुरंगों को विकसित करवाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के समक्ष इस विषय को कई बार उठाया।

कलायत स्थित श्री कपिल मुनि धाम।  

अब विश्व हिंदू परिषद भारतीय सभ्यता को विकसित करने के लिए आगे आ रहा है। परिषद जिला उपाध्यक्ष बीरभान निर्मल और मातृ शक्ति संयोजक सुमन राणा ने बताया सांस्कृतिक विरासत संरक्षण को लेकर ठोस कार्ययोजना तय की है। ये सुरंगें कलायत क्षेत्र के गांव सजूमा स्थित प्राचीन सुखदेव मुनि के मंदिर तक जाती हैं। प्राचीन खड़ालवा शिव मंदिर, लोधर और सांघन से भी ये जुड़ी हैं। इन सभी स्थानों पर सुरंगों के मुहाने हैं। वर्ष 2005 में समाज सेवी संगठनों ने कपिल मुनि मंदिर के साथ सटी शमशान भूमि में मीलों लंबी पांच सुरंगों का पता लगाने का प्रयास जरूर किया था, लेकिन वित्तीय साधनों के अभाव के चलते कार्य पूरा नहीं हो पाया।   

लोग लगाए बैठे हैं विरासत को जिंदा करने की उम्मीद

सुरंगों से कुछ दूरी पर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा प्राचीन कपिल मुनि धाम संरक्षण का जिम्मा उठाए है। इसके साथ ही भारतीय पुरातत्व विभाग ने पंच रथ शैली से निर्मित शिव मंदिर और चिमन बाबा समाधि के साथ इसी परिसर में स्थित स्नान कुंडों को अधिकृत कर रखा है। विभागों से विरासत को जिंदा करने की उम्मीद लोग लगाए हैं ताकि आने वाली पीढ़ी इस ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ी जानकारी से वंचित न रहे।

विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रही सुरंगें

कलायत क्षेत्र कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में शामिल है। वर्तमान में सुरंग बदहाल स्थिति में हैं। दिन-प्रतिदिन इनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। समाज सेवी संगठन इस बात पर बल देते आए हैं कि सरकार धरोहर से जुड़े तथ्यों की जांच करते हुए कार्रवाई करे। इस कड़ी में उन्होंने सुरंगों के जीर्णोद्धार करवाने की बात मुख्यमंत्री के पटल पर रखने का निर्णय लिया जा चुका है।

धरोहर का संरक्षण वक्त का जरूरत

कलायत नगर पालिका चेयरपर्सन रजनी राणा ने बताया कि भारतीय सभ्यता सबकी सांझी विरासत है। इस धरोहर को विकसित करने के लिए विभिन्न राजनैतिक दलों, समाज सेवी संगठनों और जन प्रतिनिधि सांझे मंच पर आकर श्री कपिल मुनि धाम को पर्यटन का हब बनाने के लिए सामुदायिक प्रयास करने में लगे हैं। हालात यह मांग कर रहे हैं कि संबंधित विभाग सुरंगों के संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करें ताकि महत्व के अनुसार धरोहर का संरक्षण हो सके।

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