ये बच्‍चा है कमाल का, सात की उम्र में कंठस्‍थ है गीता

मां के साथ नाना के पास रहता है नन्हा बालक। जैन धर्म के श्लोक भी फटाफट सुनाता है। शुद्ध संस्कृत में श्लोक सुना देगा। हर कोई दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो जाता है।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Mon, 12 Nov 2018 09:14 PM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 03:27 PM (IST)
ये बच्‍चा है कमाल का, सात की उम्र में कंठस्‍थ है गीता
ये बच्‍चा है कमाल का, सात की उम्र में कंठस्‍थ है गीता

पानीपत [महावीर गोयल]: उम्र छोटी है, पर काम बहुत बड़ा है। गीता के संपूर्ण अध्याय कंठस्थ हैं। 18 अध्यायों में वर्णित 700 श्लोकों को बखूबी सुनाता है। आप किसी भी अध्याय का कोई भी श्लोक पूछ सकते हैं। शुद्ध संस्कृत में श्लोक सुना देगा। श्लोक सुनकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो जाता है।

हम बात कर रहे हैं सात वर्ष के बालक हर्षवर्धन जैन की। छह वर्ष की उम्र में ही संपूर्ण गीता कंठस्थ कर ली। बचपन से मां के साथ नाना राजेंद्र जैन के हुडा सेक्टर 11 में मकान नंबर 220 में रहता है। नाना के धार्मिक विचारों से प्रभावित हो गया। राजेंद्र जैन प्रत्येक दिन धर्म भक्तामर स्रोत का पाठ करते हैं। हर्षवर्धन जब छह माह का था तो वह अपने नाना से भक्तामर स्रोत सुन तुतली बोली से उसका उच्चारण करने लगा था। मां पूजा जैन ने बच्चे का टैलेंट परख उसे सिखाना शुरू किया। उसने पहले जैन धर्म के ग्रंथ कंठस्थ किए। पिछले वर्ष 2017 में उसने गीता का दूसरा अध्याय कंठस्थ कर सुना दिया। फरवरी 2018 में हर्षवर्धन स्वामी ज्ञानानंद के संपर्क में आया। ज्ञानानंद के संपर्क में आने के बाद हर्षवर्धन ने पूरी भागवत गीता तीन माह में कंठस्थ कर ली।

दूसरी कक्षा में पढ़ता है
मां पूजा जैन ने बताया कि हर्षवर्धन सेक्टर 25 स्थित एक प्रसिद्ध स्कूल में दूसरी कक्षा का छात्र है। छह वर्ष की आयु में उसने एक हजार श्लोक संस्कृत भाषा के कंठस्थ कर लिए। धार्मिक आयोजनों में उसने प्रतिभा दिखाई है। धर्म गुरुओं ने कई बार प्रोत्साहित किया। विभिन्न संस्थाओं के मंच पर अपनी प्रतिभा दिखा चुका हर्षवर्धन सैकड़ों मेडल प्राप्त कर चुका है।

यह है लक्ष्य
हर्षवर्धन ने बताया कि वह साइंटिस्ट बनना चाहता है। पंख लगा कर उडऩा और ऐसा याना बनाना जिससे सूर्य के नजदीक पहुंचा जा सके। इस सपने को पूरा कर दिखाएगा। 

श्लोक जो कंठस्थ हैं श्रीमद् भागवत गीता के अतिरिक्त हर्षवर्धन को श्री भक्तामर स्रोत : आचार्य श्री मानतुंग जी रचित संपूर्ण 48 गाथा (96 श्लोक) मूल संस्कृत में कंठस्थ है। नंदी जी सूत्र जैन आश्रम मूल प्राकृत भाषा में कंठस्थ है। वीरत्थुई (वीर स्तुति) पुच्छिसुणं जैन आगम मूल प्राकृत भाषा में कंठस्थ है। लोगस्स सूत्र (चर्तुविशंति स्तुति) जैन आगम मूल प्राकृत भाषा में कंठस्थ है।

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