बंदरों के आगे बेबस 'शहर की सरकार', इसलिए मचा रहे आतंक

पानीपत में बंदरों के आतंक से लोग परेशान है। इसके बावजूद निगम के पास उन्हें पकडऩे के लिए कोई इंतजाम नहीं है। बंदरों ने हैंडलूम व्यवसायी को काट लिया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 30 Mar 2019 12:28 PM (IST) Updated:Sat, 30 Mar 2019 07:22 PM (IST)
बंदरों के आगे बेबस 'शहर की सरकार', इसलिए मचा रहे आतंक
बंदरों के आगे बेबस 'शहर की सरकार', इसलिए मचा रहे आतंक

पानीपत, जेएनएन। शहर के विभिन्न सेक्टरों और पॉश एरिया मॉडल टाउन में बंदरों का आतंक है। नगर निगम बंदरों को पकडऩे में नाकाम साबित हो रहा है। मकानों की छतों पर घूमकर खाने-पीने का सामान उठा ले जाने वाले बंदर अब लोगों को निशाना बना रहे हैं। 

बंदरों के एक झुंड ने शुक्रवार को सेक्टर-12 में हैंडलूम व्यवसायी भारत सतीजा पर हमला कर दिया। बचने के लिए भागे भारत सीढिय़ों पर गिर पड़े, जिससे उनका हाथ टूट गया। इसके बाद, बंदरों ने उन्हें दो-तीन जगह काट भी लिया। शहर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। घटना के बाद से लोगों में भय और रोष है। सेक्टरवासियों का कहना है कि बंदर हर रोज चार-पांच लोगों को काट लेते हैं।

कार सवार ने हॉर्न बजाया, बंदरों को डराया, तब भागे
मैं सेक्टर-12 में डीएवी स्कूल के नजदीक रहता हूं। शाम को सनौली रोड अपने हैंडलूम के काम से लौटने के बाद पार्क में टहलने जा रहा था। इसी बीच, गली में पांच-छह बंदरों का झुंड आ गया। मैंने बचने का प्रयास किया, लेकिन बंदर झपट पड़े और मैं मकान के रैंप पर गिर गया। बंदरों ने मुझे कई जगह से काट लिया। तभी कार सवार दो युवकों ने हॉर्न बजाया और बंदरों को डराया तो बंदर भाग खड़े हुए। बंदरों का झुंड मुझ पर इस तरह टूट पड़ा कि एक बार तो मुझे अपनी जान की चिंता सताने लगी थी। हाथ टूटने से अब काम छोड़कर आराम करना पड़ रहा है। 

निगम बंदर और कुत्तों को पकडऩे का टेंडर तक नहीं लगा पाया
शहर में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन नगर निगम इनको पकडऩे के लिए टेंडर तक नहीं लगवा पाया है। ऐसे में शहर में इनकी संख्या भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। यही हाल कुत्तों को पकडऩे का है। नगर निगम ने गत दिनों टेंडर लगाया था, लेकिन किसी भी कंपनी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब अधिकारी आचार संहिता का हवाला देकर टेंडर नहीं जारी कर रहे। निगम ने गत वर्ष कुत्तों को पकडऩे का काम जींद की एक कंपनी को दिया था, लेकिन कंपनी बीच में ही काम छोड़कर चली गई। 

जागरण का दौरा : पिंजरा बनते जा रहे मकान 
दैनिक जागरण ने सेक्टर-12 आरडब्ल्यूए के प्रधान अमित नारंग के साथ सेक्टर का दौरा किया। यहां बड़ी-बड़ी कोठियों पर लोहे के बड़े-बड़े जाल लगाए गए थे। एक तरह से कोठी पिंजरानुमा बनाई गई थी। अमित नारंग ने बताया कि सेक्टर में बंदरों के चलते बच्चे ही नहीं बड़े भी छतों पर नहीं जा सकते। किसी भी समय बंदरों का झुंड आ जाता है। बंदर कपड़े उठा ले जाते हैं। कई बार तो रसोई तक पहुंच जाते हैं। फ्रिज से सामान निकालकर खा जाते हैं। नगर निगम कमिश्नर को आठ महीने पहले भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 

शहर में बंदरों का आतंक है। मैं खुद भी ऐसी स्थिति देख चुकी हूं। फिलहाल आचार संहिता के चलते कोई नया काम नहीं हो सकता। आचार संहिता के तुरंत बाद बंदरों और कुत्तों को पकडऩे का टेंडर जारी कर दिया जाएगा। अवनीत कौर, मेयर

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