पिता की पीड़ा ने बनाया बाल विज्ञानी, सौर स्प्रेयर और दवा से लहलहा उठी खेती

खेतीबाड़ी में 13 साल के बेटे ने पिता का कष्ट देखा तो उसने एेसी मशीन बनाने की ठानी जिससे पिता का काम आसान हो जाए और वह इसमें सफल रहा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 10 Mar 2019 09:15 AM (IST) Updated:Sun, 10 Mar 2019 07:12 PM (IST)
पिता की पीड़ा ने बनाया बाल विज्ञानी, सौर स्प्रेयर और दवा से लहलहा उठी खेती
पिता की पीड़ा ने बनाया बाल विज्ञानी, सौर स्प्रेयर और दवा से लहलहा उठी खेती

पानीपत [राजेंद्र फोर]। पानी से भरे खेत में पिता 35 किलोग्राम वजन की मशीन से स्प्रे कर रहे थे। इसी दौरान वह अचानक गिर पड़े। जैसे-तैसे उठे। रुकी मशीन को दोबारा स्टार्ट करना चाहा। पेट्रोल से चलने वाली मशीन चालू ही नहीं हो पाई। पास ही खड़ा नौवीं कक्षा में पढ़ने वाला 13 साल का बेटा भूषण यह सब बड़े गौर से देख रहा था। पिता की इस पीड़ा से आहत हो हल्की और कम खर्च की मशीन बनाने की ठान ली। आखिर इस बाल विज्ञानी ने सोलर पेस्टीसाइड स्प्रेयर मशीन बना डाली।

बालक भूषण पानीपत के फरीदपुर गांव के सरकारी स्कूल में नौवीं कक्षा का छात्र है। पिता श्यामलाल किसान हैं। जमीन कम होने और खेती में अधिक खर्च होने के कारण बचत नहीं हो पाती। खेती का खर्च कम करने के लिए भूषण ने जैविक पेस्टीसाइड (कीटनाशक) और फंगीसाइड (फफूंदीनाशक) दवा भी बना डाली। पिता ने फसल पर इसका प्रयोग किया। यह सफल रहा। हजारों रुपये की दवा का खर्च भी कम हो गया और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं से छुटकारा भी मिल गया। भूषण के इस आइडिया को गांव के ही कई किसान अपना रहे हैं।

मशीन को ऐसे दिया आकार

भूषण ने बताया कि उसने मशीन बनाने के लिए 12 वोल्ट की एक डीसी मोटर, 10 वोल्ट का सोलर पैनल, एक छोटी बैटरी, लोहे का फ्रेम, प्लास्टिक की कैन, गत्ता बाजार से खरीदा। सोलर पैनल को बैटरी के साथ जोड़ा। फ्रेम पर फिट कर प्लेट पर प्लास्टिक की कैन रख दी। यह बैटरी सात-आठ घंटे चार्ज कर दी जाए तो एक बार में तीन एकड़ में स्प्रे किया जा सकता है। इसमें कोई खर्च नहीं आता। पेट्रोल से चलने वाली मशीन में एक लीटर पेट्रेाल लगता है। पेट्रोल से चलने वाली मशीनों की कीमत जहां आठ से 10 हजार रुपये है, वहीं भूषण ने 1824 रुपये से मशीन तैयार कर दी।

प्रदेश स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में मिला इनाम

भूषण ने जेएलएन जिला स्तरीय विज्ञान प्रदर्शनी में अपनी स्प्रेयर मशीन और दवाओं को दिखाया तो लोग हैरान रह गए। भूषण को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर स्कूल स्तरीय प्रदर्शनी में भी उसे पुरस्कार मिले। अब इनकी फेहरिस्त बहुत लंबी हो चुकी है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से गत 21 से 23 जनवरी को गुरुग्राम में लगाई गई जीरो बजट एवं जैविक खेती पर लगाई प्रदेशस्तरीय प्रदर्शनी में भूषण को सम्मानित किया गया।

ऐसे बनाई दवाएं

भूषण ने अखबारों में जहरीली दवाओं का फसलों पर होने वाले नुकसान के बारे में पढ़ा। जींद के एक ही गांव में कैंसर के कई मरीजों की खबर का जिक्र उसने पिता श्यामलाल से भी किया। गाय का गोबर, मूत्र, लस्सी, बेसन, मिट्टी और गुड़ को एक ड्रम में मिलाकर ढक दिया। इसके बाद पिता को स्प्रे करने के लिए दिया। धान की फसल में लगा कीट और कीड़ा भी दूर हो गया। इसका परिणाम यह रहा कि फसल के उत्पादन में इजाफा भी हुआ और स्वास्थ्य पर पडऩे वाले असर से भी मुक्ति मिल गई। उनके धान को मंडी में भाव भी अधिक मिला।

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