थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को मेडिकल मंच देगी सोसाइटी

पत देश में 1.5 लाख से अधिक बच्चे थैलेसीमिया पीड़ित हैं। हर साल 12 हजार की वृद्धि है। पानीपत की बात करें तो 100 से अधिक बच्चे चिह्नित हैं। जांच के प्रति जागरूकता बढ़े तो संख्या 150 तक पहुंच सकती है। वार्षिक इलाज का खर्च करीब 50 हजार रुपये है। खर्च कम हो इसके लिए शहर की तिकड़ी ने पानीपत थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Jan 2020 07:50 AM (IST) Updated:Mon, 20 Jan 2020 07:50 AM (IST)
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को मेडिकल मंच देगी सोसाइटी
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को मेडिकल मंच देगी सोसाइटी

जागरण संवाददाता, पानीपत : देश में 1.5 लाख से अधिक बच्चे थैलेसीमिया पीड़ित हैं। हर साल 12 हजार की वृद्धि है। पानीपत की बात करें तो 100 से अधिक बच्चे चिह्नित हैं। जांच के प्रति जागरूकता बढ़े तो संख्या 150 तक पहुंच सकती है। वार्षिक इलाज का खर्च करीब 50 हजार रुपये है। खर्च कम हो, इसके लिए शहर की तिकड़ी ने पानीपत थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया है।

सोसाइटी के प्रधान विक्रांत महाजन ने बताया कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का दर्द, उनके माता-पिता पर इलाज खर्च का आर्थिक दबाव किसी से छिपा नहीं है। एक माह पहले साथी जतिन मक्कड़ और शिवानी से इस विषय में कुछ करने पर चर्चा हुई। सोसाइटी का गठन किया गया। नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के जनरल सेक्रेट्री डॉ. जेएस अरोड़ा और मेडिकल एडवाइजर डॉ. वीपी चौधरी से संपर्क किया। दोनों डॉक्टर फ्री चेकअप, परामर्श और लेक्चर के लिए तैयार हुए।

स्वास्थ्य विभाग, रेडक्रॉस सोसाइटी की मदद से बच्चों तक पहुंचे। रविवार को एसडीवीएम सीनियर विग में संपन्न शिविर में 65 बच्चे अभिभावकों के साथ पहुंचे। जिले के सभी थैलेसीमिया पीड़ितों को एक ही मंच पर मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराना उद्देश्य है। दानवीरों की लेंगे मदद :

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विक्रांत महाजन के मुताबिक युवाओं को रक्तदान के लिए जागरूक करेंगे, ताकि रोग पीड़ित बच्चों को खून की कमी न रहे। हर माह विशेषज्ञ चिकित्सकों की मदद से नि:शुल्क जांच होगी। दानवीरों की मदद से जांच, मेडिसिन और फिल्टर उपलब्ध कराए जाएंगे। संस्था ने जगाई उम्मीद

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मेरे दोनों बच्चे थैलेसीमिया पीड़ित हैं। शिक्षित होने के बावजूद हमें यह नहीं पता कि बच्चों के इलाज के लिए क्या करना है। सेमिनारों, इंटरनेट की मदद से जानकारी जुटाते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी ठीक से नहीं बताते। संस्था बनी है, उम्मीद है कुछ मदद मिलेगी।

नरेश राजपाल, खादी कॉलोनी खर्च कम होने की उम्मीद

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सिविल अस्पताल और रेडक्रॉस में पैक्ड सेल (ब्लड कंपोनेंट) नहीं मिलता, मिल जाए तो चढ़वाने में दिक्कत आती है। दोनों बच्चों को माह में दो बार रोहतक पीजीआई लेकर जाता हूं। पांच-छह हजार रुपये हर माह खर्च है। सोसाइटी के माध्यम से खर्च कम होने की उम्मीद है।

प्रदीप, गोहाना रोड

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