अव्‍यवस्‍था की रस्‍सी में कैद यहां जिंदगी, हाईवे पर ठिठुरते और खुद को समेटने की है ये कहानी

पानीपत में रैन बसेरे से पचास मीटर दूर ठिठुरती जिंदगी। अव्यवस्था की रस्सी कब खुलेगी। नवंबर महीना बीत चुका नहीं शुरू किया रैन बसेरा। विधायक प्रमोद विज दे चुके आश्‍वासन लेकिन नहीं खुला रैन बसेरा। अब कमिश्‍नर ने भी किया वादा।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 01:12 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 01:12 PM (IST)
अव्‍यवस्‍था की रस्‍सी में कैद यहां जिंदगी, हाईवे पर ठिठुरते और खुद को समेटने की है ये कहानी
जीटी रोड पर है ये रैन बसेरा, जो खोला नहीं गया।

पानीपत, जेएनएन - रैन बसेरे से पचास मीटर ही दूर। बेंच पर एक युवक बैठा था। सर्दी में कांपते हुए किसी तरह खुद को समेटे हुए था। कभी इधर देखता, कभी रैन बसेरे की ओर ताकता। चाहकर भी अंदर नहीं जा सकता था। क्योंकि वहां रस्सी बंधी थी। इसे खोल भी देता, तो भी अंदर इतना कचरा था कि खड़ा तक नहीं हो सकता था। इसी तरह रैन बसेरे से कुछ मीटर के फासले पर एक युवक कंबल ओढ़े बैठा मिला। वह भी रैन बसेरे में रात में ठहरना तो चाहता था लेकिन दरवाजा ही बंद था। रात को सर्द हवा चल रही है। न्यूनतम तापमान आठ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।

इसके बावजूद रैन बसेरे का अब तक इंतजाम नहीं किया जा रहा। सवाल है कि प्रशासन को क्यों नहीं ये लोग दिखते।बस स्टैंड के पास ही नगर निगम ने दो अस्थायी रैन बसेरे बनाए थे। सर्दियों में इन्हें खोला जाता है। नवंबर महीना पूरा बीत चुका है। इसके बावजूद इन बसेरों की सुध नहीं ली गई। होना तो ये चाहिए था कि सर्दी शुरू होते ही यहां सफाई कराके कंबल के इंतजाम करते।

हाईवे पर बैठा युवक। 

फेरी लगाता हूं, रात ठंड में काटनी होगी

कांधला के रहने वाले आबिश ने बताया कि वह गांव और आसपास फेरी लगाकर बेडशीट, कंबल बेचता है। पानीपत में खरीदारी करने आया था। रात को गांव लौटना था। बस नहीं मिली। अब यहीं सड़क पर बैठा हूं। रैन बसेरे में क्यों नहीं जाते, इस सवाल पर आबिश ने कहा, वहां तो रस्सी बंधी है। फिर शीशे से देखा है। कचरा ही कचरा है। बताइये, क्या इस रैन बसेरे में रात काटी जा सकती है। अगर ये खुला होता तो कम से कम यहीं आराम कर लेते। अब सुबह बस मिलेगी, उसी में कांधला जाऊंगा।

प्रमोद विज, विधायक। 

विधायक विज कब करेंगे बात, या नहीं हो रहा समाधान

शहर के विधायक प्रमोद विज को दैनिक जागरण ने हालात से अवगत कराया था। तब उन्होंने वादा किया था कि वह तुरंत कमिश्नर से बात कर रैन बसेरे को चालू कराएंगे। तीन दिन हो चुके हैं। स्थितियां वैसी की वैसी ही हैं। रात को आमजन सड़क पर ठिठुर रहे हैं, रैन बसेरे पर रस्सी बंधी है।

एडीसी मनोज कुमार। 

कमिश्नर ने कहा, जल्द खोलेंगे

एडीसी डा.मनोज कुमार से दैनिक जागरण ने बात की। नगर निगम के कमिश्नर डा.मनोज ने बताया कि रैन बसेरे के संबंध में निर्देश दे दिए गए हैं। मंगलवार तक दोनों रैन बसेरों को खोल दिया जाएगा। सर्दी से बचाने के लिए कंबल का भी इंतजाम होगा।

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