सब चलता है: छोटे मियां ने बड़े को पछाड़ा, कर रहे ये कमाल Panipat News

यमुनागर पुलिस विभाग में इन दिनों काफी कुछ हलचल नजर आ रही है। यहां छोटे मियां और बड़े मियां का चर्चा जोरों पर हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 02 Jan 2020 03:47 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jan 2020 03:49 PM (IST)
सब चलता है: छोटे मियां ने बड़े को पछाड़ा, कर रहे ये कमाल Panipat News
सब चलता है: छोटे मियां ने बड़े को पछाड़ा, कर रहे ये कमाल Panipat News

यमुनानगर, [अवनीश कुमार]। बड़े मियां तो बड़े मियां, अब तो छोटे मियां भी कमाल दिखा रहे हैं। यह काफी दिनों तक बड़े मियां की छत्रछाया में रहने का ही कमाल है। पिछले दिनों बड़े मियां ने छोटे को अलग कर उन्हें दूसरी जगह पर लगा दिया। छोटे मियां कहां पीछे रहने वाले थे। वह अब तक सीखे गुरों को ही आजमाने लगे। जिनको पकड़ने का काम बड़े मियां का था। उन्हें छोटे मियां ने धर लिया। जिस गुर से बड़े मियां अपराधियों को दबोचते थे, उसी को आजमाकर अपराधी को धरा, तो हर तरफ बल्ले-बल्ले हो गई। लगे हाथ छोटे मियां ने फोटो खींचने वालों को भी बुला लिया। खूब फोटो खिंचवाई। साहब ने भी शाबाशी दी कि चलो किसी ने तो शुरुआत की। यहां तो हर काम दूसरे के जिम्मे छोड़ा जा रहा है। अब ऐसे होनहार लोग मिले हैं तो सब ठीक होगा। हालांकि बड़े मियां को इस बात का अफसोस रहा कि छोटा बाजी मार ले गया।

कुछ दिन रुक जाते तो अच्छा था 

बिल्डिंग भले ही यहां की खस्ताहाल हो, लेकिन हर कोई यहां आना अपना सौभाग्य समझता है। हो भी क्यों न, पांचों अंगुली घी में जो रहती हैं, लेकिन इन महोदय के साथ ऐसा गजब हो गया कि सिर मुंडाते ही ओले पड़ने वाली हालत हो गई। किसी तरह से तो जुगाड़ बिठाकर दूसरे जिले से इस जिले में आए थे। फिर दोबारा जुगाड़ लगाकर खस्ताहाल बिल्डिंग के सर्वेसर्वा बन गए। काम भी ठीक से चल पड़ा था। खूब मौज हो रही थी। किसी की ऐसी टोक लगी कि अचानक चलती गाड़ी पटरी से उतर गई। पटरी से भी ऐसी उतरी कि एकदम दूर जा गिरी। ऊपर से पुराने मामले में अलग से फंस बैठे। अब तो इन महोदय को यही लग रहा है कि समय ही खराब चल रहा है। जुगाड़बाजी भी काम नहीं कर रही है। अब हालत ऐसी हो गई है कि जिसे गाड़ी भी चलानी नहीं आती, वो सलाह देकर चला जाता है।

बाबा जी की कृपा 

इनके कंधों पर बड़ा भार है शहर को स्वच्छ करने का। लंबे समय से यहीं पर बोरिया-बिस्तर डाले हुए हैं। अचानक विरोधियों ने जोर लगाया तो इनका भार कम कर दिया गया। अब तो दूर जाने का नंबर लग गया। बोरिया-बिस्तर भी तैयार था। महोदय ने सोचा कि बिस्तरा तो बंध ही गया है, अब थोड़ी पावर तलाशकर देख लें। यही सोचकर रातभर दिमाग की बत्तियां जलाई। उधर, इनका बिस्तर बंधने का विरोधी भी जश्न मनाने लगे। पर विरोधियों की खुशी जल्द ही काफूर हो गई, जब महोदय को दाढ़ी वाले बाबा का ऐसा आशीर्वाद मिला कि वह चंद रोज में ही लौट आए। बिस्तर भी साथ ले आए। यहां पर विरोधी ने उन्हें फिर से कुर्सी पर काबिज देखा, उनके नैन मिले, लेकिन वह नैन नहीं मिला पाए। अब तो यही चर्चा है कि इन साहब से कोई पंगा नहीं लेना है।

साहब से भिड़ना ही ठीक है

हर रोज छोटे साहब के दरबार में गुहार लगाई, लेकिन आरोपित पकड़े नहीं गए। थकहार कर साहब के दरबार में जा पहुंचे, तो वहां फिर वही रटा-रटाया जवाब मिला। गुस्से में साहब से ही भिड़ गए। साहब ने भी पावर दिखाई और भिड़ने का अंजाम सिखा दिया। जिसने साहब से की लड़ाई, उसे ही पकड़वा दिया। मामला खुला तो साहब के हिमायतियों ने कह दिया कि जिनको यह पकड़वाने आए थे, उन्हें भी अब तो पकड़ लो। फिर क्या था यह बात दिमाग में आई और उन्हें भी सलाखों के पीछे कर दिया। पीड़ित भी बोल पड़ा। सात माह से चक्कर काट रहे थे। अब हम तो पकड़े गए, लेकिन आरोपित भी बच नहीं पाए। अब यही चर्चा है कि जिनको पकड़ने के लिए बहाने बनाए जा रहे थे। कभी रिपोर्ट की बात कही जा रही थी तो कभी कुछ और। अब वह किस नियम से पकड़े गए।

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