मोती की माला क्या टूटी संवार दिया मीना का जीवन, अब 1000 महिलाओं को दे रहीं रोजगार

Gita Jayanti Mahotsav 2021 गीता जयंती महोत्‍सव में शिल्‍प मेला शुरू हो गया है। मेले में आर्टिफिशियल ज्वेलरी की मांग ज्‍यादा है। माला टूटी तो माला को पिरोते समय आया इटावा की मीना को आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने ख्याल आया। कई महिलाओं को रोजगार दिया। सरकार ने सम्‍मानित किया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 11:55 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 11:55 AM (IST)
मोती की माला क्या टूटी संवार दिया मीना का जीवन, अब 1000 महिलाओं को दे रहीं रोजगार
गीता जयंती महोत्‍सव शिल्‍प मेले में खरीदारी करतीं महिलाएं।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। कहते हैं घटनाएं हमेशा कुछ सीख देकर जाती हैं। यही सीख कई बार जीवन संवार देती है। जरूरत है बस उसे अमल में लाने की। उत्तर प्रदेश के जिला इटावा की मीना के साथ यही हुआ। उनका नया मोती का माला क्या टूटा वह उसे पिरोते-पिरोते आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने का विचार आया और वह इसकी माहिर बन गईं। उनके द्वारा बनाई आर्टिफिशियल ज्वेलरी महिलाओं को आकर्षित करतीं हैं। आज 55 साल की उम्र में एक हजार महिलाओं को रोजगार दे रही है। दो बार उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार उनको सम्मानित कर चुकी है।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में उत्तर प्रदेश के इटावा से आईं मीना यादव ने बताया कि बचपन में वह अपनी गुडिय़ा-गुड्डों के लिए तरह तरह की माला, बाली, टाप्स व अन्य तरह की आर्टिफिशियल ज्वेलरी घर में पड़े बेकार सामान से बनाती थीं। अभी उनका बचपन खत्म भी नहीं हुआ था कि 13 साल की उम्र में उनके माता पिता ने उनकी शादी कर दी थी। तब उन्हें गुड्डे-गुडिय़ा छोड़कर ससुराल में चूल्हा चौका संभालना पड़ा। पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच समय भी गुजरता रहा। इस दौरान 22 साल की उम्र में उनकी जिंदगी में ऐसी घटना हुई जिसने उनके जीवन को खास बना दिया। दरअसल, हुआ यूं कि उन्होंने एक स्थानीय मेले से अपने लिए 50 रुपये की मोतियों की एक माला खरीदी। वह घर आने पर टूट गई। टूटी माला को देखकर उसका मन बहुत खिन्न हो गया और वह उसी माला के मोतियों को समेट कर दूसरी माला बनाने में लग गईं। हालांकि उसे बनाने में बचपन के मुकाबले में कुछ ज्यादा समय लग गया। इसी दौरान उनको घर में पड़े बेकार सामान से आर्टिफिशियल कुछ सामान बनाकर उन्हें मार्केट में बेचने का निर्णय लिया।

मिलते चले गए कद्रदान

मार्केट से कुछ मोती लेकर उनकी माला, ब्रेसलेट, बालियां, टाप्स व कुछ अन्य सामान बनाकर बेचना शुरू किया। उनकी कला के कद्रदान भी उनको मिलने लगे। यहां से उनके कारोबार की नींव पड़ गई। उसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे मेले में स्टाल लगाना शुरू किया। जहां उनकी कला को पहचान मिल गई। इसी बूते पर उनको उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से साल 2003-04 और 2007-08 में दो बार राज्य अवार्ड से नवाजा गया।

50 से 400 तक का सामान सभी हाथ से बनाया

मीना यादव ने बताया ने वह आठ साल से गीता महोत्सव में आ रही हंै। उनके स्टाल पर सभी सामान हाथ से बना हुआ है। उनकी बनाई आर्टिफिशियल ज्वेलरी का डिजाइन भी सबसे अलग हैं। स्टाल-22 पर मालाएं, बालियां, मंगलसूत्र, टाप्स, बंदरवाल, छल्ले, ब्रेसलेट सहित अन्य सामान 50 से 400 रुपये की कीमत पर उपलब्ध है। उन्होंने महिलाओं का एक समूह बनाया हुआ है। जिसमें एक हजार महिलाएं काम करती हैं।

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