घने जंगलों में था ये शिवालय, ब्रिटिश शासक यहां छिपाते थे लूटा खजाना

Mahashivratri 2020 अंबाला के हाथीखाना में महाभारत काल का शिवालय है। ब्रिटिश शासक देश से लूटा हुआ खजाना इसी हाथीखाना शिवालय में आकर छिपाते थे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 20 Feb 2020 03:44 PM (IST) Updated:Thu, 20 Feb 2020 03:45 PM (IST)
घने जंगलों में था ये शिवालय, ब्रिटिश शासक यहां छिपाते थे लूटा खजाना
घने जंगलों में था ये शिवालय, ब्रिटिश शासक यहां छिपाते थे लूटा खजाना

पानीपत/अंबाला, [मनीष श्रीवास्तव]। Mahashivratri 2020 देश के गुलामी के समय शेरशाह सूरी मार्ग के अगल बगल घने जंगल थे। इन्हीं घने जंगलों में हाथीखाना में अंग्रेज अपने हाथियों को रखते थे। इसके बीच में ही एक शिवालय था, शिवालय के आसपास तहखाना बनाकर उसमें अंग्रेज अपनी सेना का खजाना रखते थे। घने जंगलों के बीच यह अंग्रेजों के खजाने रखे जाने की बात से लोग अंजान थे। अब यह स्थान प्राचीन कैलाश मंदिर हाथीखाना के नाम से अपनी पहचान बना चुका है।

ऐसी मान्यता है कि इस प्राचीन कैलाश मंदिर की सन 1844 में स्थापना हुई थी। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा अर्चना करके मुरादें मांगता है भोलेनाथ उसकी मनचाही इच्छा पूरी करते हैं। प्राचीन कैलाश मंदिर में दूर दराज से आने वाले शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं।

 

महाभारत काल में स्थापित हुआ था शिवलिंग प्राचीन कैलाश मंदिर हाथीखाना में रोजाना दर्शन करके पूजा अर्चना करने के लिए आने वाले भक्तों की मानें तो यहां शिवलिंग महाभारत काल में स्थापित हुआ होगा। शिवलिंग की पूजा अर्चना के करके जलाभिषेक, दूध अभिषेक बेलपत्र के साथ करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक करने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है।

 

2008 में स्थापित हुई अर्धनारीश्वर  की मूर्ति

प्राचीन कैलाश मंदिर हाथीखाना में वर्ष 2008 में 40 फुट ऊंची अर्धनारीश्वर की विशाल मूर्ति स्थापित की गई। यह मूर्ति मंदिर परिसर के बाहर से ही विशाल शिवालय होने का संदेश देता है। दूर से ही दिखने वाली मूर्ति का दर्शन करने के लिए लोग दूर दराज से आते हैं। 

 

प्राचीन कैलाश मंदिर हाथीखाना की देश के प्राचीन शिव मंदिरों में ख्याति हासिल है। यहां हर वर्ष शिवरात्रि में हजारों की संख्या में भोलेनाथ के भक्त श्रद्धा के साथ जलाभिषेक करते हैं, यही कारण है कि यहां आजतक जो भी भक्त सच्चे मन से कोई मुराद मांगा है उसकी इच्छा पूरी हुई है।

-श्रीश्री 108 महंत मनमोहन दास, प्राचीन कैलाश मंदिर हाथीखाना अंबाला।

chat bot
आपका साथी