इसलिए हॉट सीट बनी राजपुरी डेरे की गद्दी, बार-बार महापंचायत, तीन बार कोर्ट का फैसला

500 वर्ष पुराने इतिहास को समेटे राजपुरी डेरे की गद्दी के लिए आठ माह से विवाद चल रहा था। बार-बार महापंचायत हुई। तीसरी बार कोर्ट ने फैसला दिया तो महंत दूजपुरी को गद्दी पर बैठाया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 10:47 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 10:47 AM (IST)
इसलिए हॉट सीट बनी राजपुरी डेरे की गद्दी, बार-बार महापंचायत, तीन बार कोर्ट का फैसला
इसलिए हॉट सीट बनी राजपुरी डेरे की गद्दी, बार-बार महापंचायत, तीन बार कोर्ट का फैसला

पानीपत/कैथल, जेएनएन। गांव बाबा लदाना स्थित ऐतिहासिक बाबा राजपुरी डेरे में महंत की गद्दी को लेकर चल रहा विवाद समाप्त हो गया। तीसरी बार कोर्ट का फैसला महंत दूजपुरी के पक्ष में आने के बाद जिला प्रशासन की ओर से कड़ी सुरक्षा के बीच डेरे की गद्दी सौंपी। 

डेरा रिसीवर के रूप में प्रशासन की ओर से लगाए गए नायब तहसीलदार ईश्वर ङ्क्षसह, कानूनगो धर्मवीर ङ्क्षसह, डीएसपी अशोक कुमार, रामफल पटवारी, गांव के पूर्व सरपंच सुरेश कुमार, पतासो देवी बाबा लदाना के नंबदार, चौकादार व अन्य मौजिज लोगों की उपस्थिति में महंत को गद्दी पर बैठाया गया। प्रशासन की ओर से डेरे के अलग-अलग सभी कक्षों की चाबियां महंत को सौंप दी गई। 

प्रशासन मुस्तैद
गद्दी देते समय गांव में किसी प्रकार का विवाद नहीं हुआ, लेकिन प्रशासन की तरफ से डेरे में जाने से पूर्व सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे। 100 से ज्यादा महिला व पुरुष पुलिस कर्मियों के काफिले के साथ अधिकारी गांव में पहुंचे और डेरे में लगी धारा 145 को हटवा कर महंत को गद्दी पर बैठाया। इसके बाद अधिकारियों ने महंत को साथ लेकर डेरे का निरीक्षण किया व एक-एक चीज महंत को संभलवा दी। 

करीब दस माह तक चला महंत की गद्दी पर विवाद 
गांव के कुछ लोगों ने अप्रैल माह में डेरे के तत्कालीन महंत दूजपुरी को श्रद्धालुओं से धक्का-मुक्की करने के आरोप में गद्दी से हटा दिया था। उनके स्थान पर प्रेमपुरी को डेरे का महंत बनाया गया था। इसका दूजपुरी पक्ष के ग्रामीणों ने विरोध किया। दोनों महंतों के समर्थक ग्रामीणों ने इस संबंध में जिला प्रशासन को अपनी-अपनी शिकायतें दी थी। ग्रामीणों के दो पक्षों में बंट जाने के कारण 30 अगस्त 2018 को जिला प्रशासन की ओर से डेरे में धारा 145 लगाकर देखरेख अपने अधीन कर ली गई। इस बीच गांव में ग्रामीणों की महापंचायतें भी हुई, लेकिन विवाद नहीं सुलझ पाया। मामला कोर्ट में चला गया और फैसला दूजपुरी के पक्ष में आया। इससे पहले भी कोर्ट से दो बार दूजपुरी के पक्ष में फैसला आया था, लेकिन प्रेमपुरी पक्ष की ओर से इस पर स्टे ले लिया गया था। 

महंत ने की डेरे में सुरक्षा की मांग
महंत दूजपुरी ने गद्दी पर बैठने के बाद प्रशासन से डेरे में सुरक्षा कर्मी तैनात करने की मांग की। इस पर प्रशासन की ओर से पांच कर्मचारी डेरे में सुरक्षा की ²ष्टि से लगाए गए। महंत ने यह भी कहा कि प्रशासन के अधीन आने से पूर्व डेरे से काफी सामान कम कर दिया गया। 40 पशु, 60 मण गेहूं व तालाब के पास लगे सफेदे के पेड़ नहीं मिले।कहा कि प्रशासन ने जिस तरह की संपत्ति अपने अधीन ली थी, वैसे के वैसे ही वापस कर दी, इस दौरान डेरे की संपत्ति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ। 

डेरा पर निगरानी रखेगी पुलिस : डीएसपी
डीएसपी अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस की ओर से डेरा में लगातार निगरानी रखी जाएगी। प्रशासन के आगामी आदेशों तक पांच पुलिस कर्मचारी डेरा में सुरक्षा के लिए लगाए जाएंगे। अगर कोई ज्यादती करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

महंत को गद्दी पर बैठाया : नायब तहसीलदार 
जिला प्रशासन की ओर से डेरे में रिसीवर के तौर पर तैनात रहे नायब तहसीलदार ईश्वर ङ्क्षसह ने कहा कि कोर्ट का फैसला महंत दूजपुरी के पक्ष में आया है। डेरे में लगी धारा 145 हटाकर अधिकारियों व ग्रामीणों की मौजूदगी में दूजपुरी को महंत की गद्दी पर बैठा दिया। अब वहीं डेरे की देखरेख करेंगे।

 ये भी जानें बाबा राजपुरी डेरे में महंत की गद्दी को लेकर 25 अप्रैल को विवाद शुरू हुआ था। गांव के कुछ लोगों ने महंत दूजपुरी को श्रद्धालुओं से धक्का-मुक्की करने का आरोप लगा गद्दी से हटा दिया था।  इसके एक माह बाद महंत प्रेमपुरी को गद्दी पर बैठा दिया था, जिसका दूजपुरी पक्ष ने विरोध किया था।  जून व जुलाई माह में दो पक्षों में बंटे ग्रामीणों ने प्रशासन को शिकायत दी।  अगस्त व सितंबर माह में गद्दी विवाद को सुलझाने के लिए गांव बाबा लदाना सहित आसपास के गांवों के ग्रामीणों की महापंचायत हुई, लेकिन ग्रामीण किसी भी एक महंत को गद्दी देने पर सहमत नहीं हुए। महापंचायत में डेरे के लिए गांव के 11 सदस्यीय कमेटी गठित की गई। इसके बाद दोबारा हुई महापंचायत में आसपास के गांवों की 41 सदस्यीय कमेटी डेरे की देखरेख के लिए बनी। कोर्ट में केस जाने के बाद 30 अगस्त को डेरे में धारा 145 लगा कर प्रशासन ने डेरे की देखरेख अपने अधीन कर ली।  एसडीएम कोर्ट से अक्टूबर में पहली बार फैसला महंत दूजपुरी के पक्ष में आया, लेकिन प्रेमपुरी पक्ष के ग्रामीणों ने इस पर स्टे ले लिया।  इसके बाद दूसरी बार एक फरवरी को भी महंत दूजपुरी के पक्ष में फैसला आया। महंत अपने समर्थकों के साथ डेरे की गद्दी लेने के लिए जिला प्रशासन के पास पहुंचे, लेकिन प्रेमपुरी पक्ष ने फिर इस पर स्टे ले लिया। महंत ने लघु सचिवालय पहुंचकर प्रशासन के खिलाफ तीन घंटे तक धरना देकर रिश्वत मांगने का आरोप अधिकारियों पर लगाए। आत्मदाह की चेतावनी भी दी थी।  तीसरी बार 20 फरवरी को महंत दूजपुरी के पक्ष में फैसला आया। प्रशासन ने 22 फरवरी को डेरे की देखरेख महंत दूजपुरी को सौंपी।

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