यमुनानगर में बनेगा लैंड बैंक, होगा सर्वे पता चलेगा जमीन कितनी है कहां पर कब्जा
हरियाणा के यमुनानगर में लैंड बैंक बनाया जा रहा है। यमुनानगर में लैंड बैंक की शुरुआत कर दी गई है। खाली जमीनों का रिकार्ड जुटाया जाएगा। सर्वे से पता किया जाएगा कि जमीन कितनी है और कहां पर कब्जा है।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। नगर निगम, परिषद व नगर पालिकाओं की जमीन पर कहां पर कब्जे हैं। कितनी जमीन खाली है। इसका रिकार्ड जुटाया जाएगा। प्रदेश की सभी निकायों में इसका सर्वे किया जाएगा। स्थानीय शहरी निकाय की ओर से इस बारे में डीसी को पत्र आया है। निकाय लैंड बैंक बनाने की तैयारी में है। इससे नगर निगम व पालिका की आमदनी भी बढ़ेगी। नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर का कहना है कि खाली जमीनों का रिकार्ड जुटाया जाएगा। उसके बाद इसकी रिपोर्ट डीसी को सौंपी जाएगी।
ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर जमीनों पर है कब्जे
नगर निगम के पास कितनी जमीन है। इसका अधिकारिक रिकार्ड अभी तक अधिकारियों के पास नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में नगर निगम, परिषद व पालिकों की जमीन पर ज्यादा कब्जा है। किसी ने निर्माण किया हुआ है तो कोई खेती कर रहा है। शहरवासियों की सुविधा के लिए सामुदायिक केंद्र व अन्य किसी कार्य के लिए जमीन खाली हैं। अधिकारी यही बहाना बना देते है कि संबंधित योजना के लिए जमीन खाली नहीं है। यमुनानगर में नगर निगम 42 पंचायतों को शामिल कर बनाई गई थी। इन गांवों में पंचायती जमीन अधिकांश अवैध कब्जे हैं। गांव लाभ में 20 एकड़ जमीन पर कब्जे का अदालत में भी केस चल रहा है।
ऐसे बढ़ेगी नगर निगम की आमदनी
यदि अधिकारियों ने सर्वे कर जमीन की रिपोर्ट विभाग को सौंपी दी तो निश्चित ही इससे नगर निगम की आमदनी में इजाफा होगा। क्योंकि विभाग की प्लानिंग है कि जमीन को कब्जा मुक्त करवाया जाएगा। उसके बाद जमीन को जरूरत के हिसाब से लीज पर पंप व अन्य कमर्शियल गतिविधियों के लिए दिया जा सकता है।
प्रयास तो अच्छा है अधिकारी कामयाब करें तो लाभ होगा
पार्षद निर्मला चौहान का कहना है कि कई दफा नगर निगम की जमीन को कब्जा मुक्त करवाने की आवाज हाउस की बैठक में उठा चुकी हूं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। यदि स्थानीय शहरी निकाय विभाग लैंड बैंक बनाने चाहते है तो यह अच्छी योजना है। यदि अधिकारी इस दिशा में ईमानदारी से कार्य करेंगे तो तभी योजना सफल हो सकती है। अन्यथा योजना ठंडे बस्ते में चली जाएगी। अधिकारियों को इस योजना को कामयाब करने के लिए संबंधित क्षेत्र के पार्षदों से भी मदद लेनी चाहिए। क्योंकि उनके अधिकारियों से ज्यादा क्षेत्र की जानकारी होती है।