आरोपों में घिरी रही संस्था ने स्वास्थ्य विभाग की बिना अनुमति लगाया नेत्र जांच शिविर

वर्ष-2015 में सर्जरी बाद 11 बुजुर्गों की एक आंख की रोशनी चली जाने के मामले में सुर्खियों में रही समाज सेवा समिति समालखा एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग के लपेटे में आती दिख रही है। बिना अनुमति मंगलवार को लगे शिविर में डॉ. अंकुर ने नेत्र रोगियों की जांच की। उपभोक्ता फोरम डॉ. गुप्ता पर पुराने मामले में

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Feb 2020 07:31 AM (IST) Updated:Thu, 13 Feb 2020 07:31 AM (IST)
आरोपों में घिरी रही संस्था ने स्वास्थ्य विभाग की बिना अनुमति लगाया नेत्र जांच शिविर
आरोपों में घिरी रही संस्था ने स्वास्थ्य विभाग की बिना अनुमति लगाया नेत्र जांच शिविर

जागरण संवाददाता, पानीपत : वर्ष-2015 में सर्जरी बाद 11 बुजुर्गों की एक आंख की रोशनी चली जाने के मामले में सुर्खियों में रही समालखा की समाज सेवा समिति ने बिना अनुमति मुफ्त नेत्र जांच शिविर लगा दिया। गत मंगलवार को लगे शिविर में डॉ. अंकुर ने लोगों की आंखें जांची। उपभोक्ता फोरम डॉ. गुप्ता पर पुराने मामले में 85 लाख रुपये मुआवजा पीड़ितों को देने का आदेश सुना चुका है।

समाज सेवा समिति की ओर से मंगलवार को धर्मार्थ अस्पताल में आयोजित स्वास्थ्य शिविर में कुल 707 मरीजों की जांच की गई थी। इनमें 244 ने आंखों की जांच कराई थी। स्वास्थ्य विभाग को बुधवार को शिकायत मिली तो अधिकारियों के कान खड़े हो गए। सिविल सर्जन डॉ. संतलाल वर्मा ने बताया कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों ने भी जानकारी मांगी है। मुख्यालय को भी पत्र भेज दिया गया है, ताकि संस्था पदाधिकारियों सहित अन्य पर कार्रवाई हो सके।

संस्था को नोटिस भी भेजा जाएगा। नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस की जिला नोडल अधिकारी डॉ. शशि गर्ग मामले की जांच रिपोर्ट तैयार कर रही हैं। यह है दिशा निर्देश

सामाजिक संस्थाओं-प्राइवेट अस्पतालों को नेत्र जांच कैंप लगाने, सर्जरी करने के लिए नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस की वेबसाइट और दर्पण पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य हो गया है। अनुमति मिलने के बाद ही शिविर लगाया जा सकता है। चिकित्सक को भी सर्जरी से पहले अनुमति लेनी होगी। सर्जरी के बाद उसकी डिटेल पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। यह था मामला

समाज सेवा समिति ने वर्ष 2015 में नेत्र जांच शिविर लगाकर, 15 बुजुर्गों को मोतियाबिद के ऑपरेशन के लिए चिह्नित किया था। डॉ. अंकुर गुप्ता ने 11 मार्च 2015 को सभी का ऑपरेशन किया था। इंफेक्शन अनियंत्रित होते देख सभी को पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर दिया था। अधिकांश की एक आंख की रोशनी चली गई थी। अप्रैल 2018 में उपभोक्ता फोरम ने डॉक्टर को 85 लाख रुपये मुआवजा पीड़ितों को देने के आदेश दिए थे। हालांकि, डॉक्टर ने फोरम के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी हुई है। वर्जन :

हमने एक माह पहले एसएमओ समालखा को चिट्ठी भेजी थी, रिसीविग नहीं ली। कोई दर्पण पोर्टल बना हुआ है, इसकी जानकारी नहीं है। भविष्य में शिविर लगाने से पहले लिखित अनुमति लेंगे। पुराने मामले में भी डॉ. अंकुर गुप्ता की चूक से लोगों की आंखें खराब हुईं थी।

-श्याम बरेजा, सचिव, समाज सेवा समिति।

chat bot
आपका साथी