पीटीएम में अभिभावकों को बताएं ट्रैफिक नियमों का पालन है जरूरी

जागरण संवाददाता, पानीपत : एक के साथ हुआ हादसा, पूरे परिवार को झकझोर देता है। आपकी जि

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Jan 2018 02:19 AM (IST) Updated:Sat, 13 Jan 2018 02:19 AM (IST)
पीटीएम में अभिभावकों को बताएं ट्रैफिक नियमों का पालन है जरूरी
पीटीएम में अभिभावकों को बताएं ट्रैफिक नियमों का पालन है जरूरी

जागरण संवाददाता, पानीपत : एक के साथ हुआ हादसा, पूरे परिवार को झकझोर देता है। आपकी जिंदगी, केवल आपकी ही नहीं, दूसरों के साथ भी जुड़ी है। सामाजिक सरोकार के तहत दैनिक जागरण समाचार पत्र ने पानीपत के लोगों को जागरूक करने के लिए हेलमेट पहनिए सुरक्षित चलिए, अभियान शुरू किया है। घर के बाद स्कूल ही वो जगह है, जहां पर अच्छे और बुरे की समझ बढ़ती है। स्कूलों के प्रिंसिपल ने वादा किया कि वे बच्चों को ट्रैफिक नियमों से अवगत कराएंगे। सेक्टर 29 पार्ट-2 स्थित कार्यालय में शुक्रवार को प्रधानाचार्यो की बैठक बुलाई गई। सड़क सुरक्षा के इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए मंथन किया गया। प्रधानाचार्यो ने सुझाव दिए। स्कूल में प्रत्येक माह ट्रैफिक नियमों पर गतिविधि कराने तथा पीटीएम में अभिभावकों को जागरूक करेंगे।

कोट्स :

ट्रैफिक नियमों का ज्ञान नहीं

सेक्टर 13-17 स्थित दयाल सिंह पब्लिक स्कूल की शिक्षिका नीलम वत्स ने कहा कि कॉलेज जाने वाले बच्चों को ट्रैफिक नियमों का ज्ञान नहीं होता है। लाइसेंस बनवाने से पहले इस बात पर गौर किया जाए कि उन्हें नियमों के बारे में पता होना चाहिए। स्कूल में ट्रैफिक क्विज प्रतियोगिता के दौरान ये बातें सामने आई हैं।

बच्चों को प्रेरित करें

डीएवी थर्मल की प्रधानाचार्य ऋतु दिलबागी ने कहा कि मोटिवेशन के माध्यम से बच्चों तक परिवहन नियमों के पालन की बात पहुंचा सकते हैं। बच्चा अपने पिता से हेलमेट पहनने व सीट बेल्ट बांधने के लिए कहेगा तो वो ज्यादा प्रभावी होगा। अभिभावक उसे फॉलो भी करेंगे।

अभिभावकों की जिम्मेदारी ज्यादा

सर्व मानव सेवा समिति के संयोजक डॉ. प्राणनाथ ने कहा कि अभिभावकों की जिम्मेदारी ज्यादा है। संसाधन न होने के बावजूद बच्चे को दो पहिया वाहन खरीद कर देते हैं। स्कूल से लेकर घर तक परिवहन नियमों के बारे में जागरूक किया जाए। पहले अभिभावकों की ये जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि कम उम्र के बच्चों को ये सुविधा न उपलब्ध कराएं।

पैदल आने वालों बच्चों को ग्रेडिंग अवार्ड दें

डॉ. अर्चना गुप्ता ने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को वाहन थमा देते हैं। नेशनल कैरेक्टर का लॉस हो रहा है। बच्चों को दुर्घटना नियमों के महत्वपूर्ण बिंदु सिखाए जाएं। अभिभावकों की काउंसिलिंग जरूरी है। प्रशासन नियमों का पालन सख्ती से करवाए। जो बच्चे घर से पैदल चलकर आते हैं, स्कूल में उन्हें अवार्ड के तौर पर बेहतर ग्रेडिंग दी जाए।

अभिभावकों की काउंसिलिंग जरूरी

डॉ. एमकेके आर्य मॉडल स्कूल के उप प्रधानाचार्य डॉ. अनुज सिन्हा ने कहा कि अभिभावकों की काउंसिलिंग जरूरी है। बच्चों को तभी हम ट्रैफिक नियमों का संस्कार दे पाएंगे। पेरेंट्स टीचर मीटिंग में ट्रैफिक रुल्स के बारे में चर्चा की जानी चाहिए। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बच्चों को परिवहन नियमों के बारे में जागरूक कर सकते हैं।

देखने का बच्चों पर पड़ेगा असर

एमएएसडी स्कूल की शिक्षिका निशा ने कहा कि काउंसिलिंग सबसे महत्वपूर्ण है। अभिभावकों को पता होता है कि बच्चा उनका घर से स्कूटी लेकर जा रहा है। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से हम ट्रैफिक रुल्स बच्चों को सिखा सकते हैं। कहने व सुनने का प्रभाव ज्यादा नहीं होता है। देखने पर वो ज्यादा प्रभावशाली होगा।

पोस्टर से डेमो दिलाएं

एमएएसडी स्कूल के शिक्षक धर्मेद्र राठी ने कहा कि बच्चों को जागरूक करने के लिए पुलिस की हेल्पलाइन होती है। पोस्टर के माध्यम से भी डेमो दिलवाया जाए। चालान काटने की बजाए पेरेंट्स को उस स्थल पर बुला कर वाहन सौंपा जाए। इसका असर ज्यादा होगा।

सर्कुलर का बच्चों पर असर

आर्य बाल भारती स्कूल की प्रधानाचार्य रेखा शर्मा ने कहा कि सुरक्षित ड्राइविंग को लेकर मार्निग असेंबली में विशेष कार्यक्रम होना चाहिए। एसपी कार्यालय से सर्कुलर जारी होने के बाद बच्चों पर इसका असर पड़ा है। उनके स्कूल में कोई बच्चा स्कूटी व बाइक से नहीं आता है। स्कूल के आसपास के क्षेत्रों में ट्रैफिक रुल्स उपलब्ध कराए जाएं।

सोसाइटी का सहयोग जरूरी

एसडीवीएम स्कूल की शिक्षिका शेफाली का कहना है कि पुलिस जो प्रतियोगिता करवा रही है, बच्चे उससे ट्रैफिक रुल्स सीख रहे हैं। सोसाइटी से इस बारे में सहयोग मिले। बच्चे तक स्कूल से आधा किलोमीटर की दूरी पर स्कूटी पार्क नहीं करेंगे। अभिभावकों की काउंसिलिंग भी जरूरी है।

अभिभावकों को समझाएं नियम

कुटानी रोड स्थित स्वास्तिक बाल विकास सकूल के निदेशक डॉ. आरके मान ने कहा कि बच्चे 18 घंटे अभिभावक के पास ही रहते हैं। उन्हें सब कुछ पता होता है बच्चा कैसे जा रहा है। गाड़ी कहां खड़ी करता है। अभिभावकों को जागरूक करने की जरूरत है। बार-बार समझाने पर नियमों का उन पर असर पड़ेगा।

बच्चों से सख्ती से पेश आएं

सर्व मानव सेवा समिति के सदस्य काबुल सिंह ने कहा कि जो बच्चे घर से स्कूटी लेकर आते हैं, उन्हें वापस घर भेजा जाए। सख्ती करने पर ही ट्रैफिक नियमों का पालन संभव होगा। समिति की तरफ से दैनिक जागरण के इस अभियान को पूरा सहयोग मिलेगा।

घर से निकले की क्यों

दैनिक जागरण के सेक्टर 29 पार्ट-2 स्थित कार्यालय में आए निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यो ने मंथन बैठक में कहा कि बच्चे घर से स्कूटी पर क्यों निकलें। ये एक शो बिजनेस बन गया है। सेक्टरों में हाउसिंग सोसाइटी से इस बारे में बैठक की जाए। सड़क हादसों पर इससे कुछ हद तक रोक लग सकता है।

60 फीसद हादसे 15-35 आयु वर्ग के

बैठक में कहा कि 15 से 35 वर्ष के लोग सर्वाधिक सड़क हादसों की चपेट में आ रहे हैं। कुल हादसों का 60 फीसद इसी उम्र के लोग होते हैं। परिवहन नियमों के प्रति जागरुकता लाकर हम इसका ग्राफ कम कर सकते हैं।

सुझाव :

-माह में एक बार ट्रैफिक नियमों पर आधारित गतिविधियां स्कूलों में अनिवार्य रूप से कराई जाए।

-पीटीएम में सुरक्षित ड्राइविंग के टॉपिक रखे जाएं।

-संस्कारशाला अभियान में अलग से एक पार्ट ट्रैफिक रूल्स का भी शामिल किया जाए।

-स्कूल के आगे साइनेज बोर्ड लगाए जाएं।

-दो पहिया वाहन की बजाए, साइकिल से स्कूल आने को बढ़ावा दिया जाए।

-बच्चे साइकिल से व पैदल आएंगे तो मोटापा की बीमारी नहीं होगी। पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। ईधन की बचत होगी।

-शहर में एक प्रेशर ग्रुप होना चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ प्रशासन पर सख्ती का दबाव बनवा सकें।

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