स्कूल 134-ए के विरोध में उतरे, सरकार की अनदेखी शिक्षा व्यवस्था के लिए बताया घातक

हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ की बैठक शनिवार को सेक्टर-25 स्थित एक निजी स्कूल में हुई। जिसकी अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट विजेंद्र मान ने की जबकि संचालन जिला प्रधान राजेंद्र शर्मा ने किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 10:54 AM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 06:31 AM (IST)
स्कूल 134-ए के विरोध में उतरे, सरकार की अनदेखी शिक्षा व्यवस्था के लिए बताया घातक
स्कूल 134-ए के विरोध में उतरे, सरकार की अनदेखी शिक्षा व्यवस्था के लिए बताया घातक

जागरण संवाददाता, पानीपत : हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ 134-ए को शिक्षा व्यवस्था में दीमक बताकर सामने आ गया है। संघ ने साफ कहा कि सरकार बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में खुद फेल हुई है। समाज और अभिभावकों के सहयोग से प्राइवेट स्कूल अच्छी शिक्षा दे रहे थे। सरकार ने व्यवस्था में सहयोग देने की बजाय इसको बिगाड़ दिया है।

हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ की बैठक शनिवार को सेक्टर-25 स्थित एक निजी स्कूल में हुई। जिसकी अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट विजेंद्र मान ने की, जबकि संचालन जिला प्रधान राजेंद्र शर्मा ने किया। स्कूल संचालकों ने बैठक में शिक्षा के नए नियमों और सरकार के पीछे हटने पर विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने कहा कि 134-ए में गत चार वर्षों से गरीब परिवारों के विद्यार्थियों का प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाया जा रहा है। नियम के तहत यह फीस शिक्षा के अधिकार के नियम के अनुसार प्रदेश सरकार को देनी होती है। प्रत्येक विद्यार्थी की करीब 54 हजार रुपये वार्षिक फीस बनती है। सरकार ने अब तक क नया पैसा स्कूलों को नहीं दिया है। हरियाणा शिक्षा नियमावली 2003 के नियम 24 (3) का उल्लंघन करने उपरांत भी सभी निजी विद्यालयों ने लगातार विद्यार्थियों को पिछले चार वर्षों से

निरंतर शिक्षा दी है। ऐसे किसी विद्यार्थी की हर महीने 20 तारीख तक फीस जमा करा पाने पर नाम नहीं काटा जाना चाहिए। प्रदेश में आरटीइ शिक्षा का अधिकार कानून लागू होना चाहिए। जिसमें 10 की बजाय 25 प्रतिशत गरीब परिवार से संबंधित मेधावी बालक को अपने पड़ोस के मनपसंद विद्यालय में सभी सुविधाएं दी जाएं। दस वर्षों से अधिक समय से अच्छी शिक्षा दे रहे स्कूलों को फिर से मान्यता देने का दबाव डाला जा रहा है। प्रदेश में लगभग 5 हजार विद्यालयों की मान्यता के मामले शिक्षा विभाग के पास गत 15 वर्षों से लंबित हैं। विभाग उनको मान्यता देने में असमर्थ रहा है। इन स्कूलों को हर बार अस्थाई मान्यता देकर विभाग अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेता है। स्कूल बस सुरक्षा के मापदंडों के आधार पर सभी व्यापारिक वाहनों से अलग है। जिसमें सीसी कैमरे, महिला संरक्षक, स्पीड गवर्नर, जीपीएस सिस्टम, क्षेत्र परमिट व पीला रंग हैं। सरकार स्कूल वाहन पॉलिसी अलग से बनाए। दस साल से पुरानी स्कूल बसों को प्रदूषण का बहाना बनाकर रद्द किया जा रहा है। यह सब गलत है। इसके अलावा कई अन्य मांगों पर स्कूल संचालकों ने खुलकर चर्चा की। सरकार ऐसा नहीं करती है तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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