UPPSC Topper अनुज नेहरा से विकास दुबे पर भी पूछा गया सवाल, हरियाणा की बेटी ने ऐसे पाई सफलता

हरियाणा की बेटी अनुज नेहरा UPPSC Topper बनीं। उन्होंने तैयारी कैसे की और उनके इंटरव्यू में क्या-क्या पूछा गया आइए जानते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 12 Sep 2020 01:36 PM (IST) Updated:Sat, 12 Sep 2020 01:36 PM (IST)
UPPSC Topper अनुज नेहरा से विकास दुबे पर भी पूछा गया सवाल, हरियाणा की बेटी ने ऐसे पाई सफलता
UPPSC Topper अनुज नेहरा से विकास दुबे पर भी पूछा गया सवाल, हरियाणा की बेटी ने ऐसे पाई सफलता

पानीपत [कपिल पूूनिया]। कानपुर का कुख्‍यात विकास दुबे। पुलिस पर हमला और एनकाउंटर के बाद तो देशभर में चर्चित हो गया। इतना ही नहीं, यूपीपीएससी की परीक्षा में भी उसका नाम आ गया। इंटरव्यू के दौरान उसके संबंध में सवाल पूछा गया। क्‍या विकास दुबे का नाम सुना है? हरियाणा के पानीपत की बेटी अनुज नेहरा ने अखबारों में पढ़ा था। जनरल नॉलेज अपडेट थी। इसलिए, दिक्‍कत नहीं हुई। इसी तरह के सवालों के सही जवाब देकर अनुज ने इस परीक्षा में टॉप कर लिया। आप भी पढ़िए ये विशेष खबर।

अनुज का इंटरव्यू 23 जुलाई, 2020 को हुआ था। उस समय कानपुर का विकास दुबे अखबारों की सुर्खियों में था। अनुज ने बताया कि इंटरव्यू में पानीपत की लड़ाई, रसायन विज्ञान के रिएक्शन, कोविड-19, हरियाणा में पराली जलाने का दिल्ली में प्रभाव, हरियाणा में पली-बढ़ी, दिल्ली से ग्रेजुएशन करने वाली लड़की उत्तर प्रदेश में कैसे रहेगी, हरियाणा और उप्र में लिंगानुपात, कानपुर के विकास दुबे एंकाउंटर और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान पर सवाल पूछे गए। इनका विस्तार से उत्तर दिया।

सुबह नौ से पांच बजे तक लाइब्रेरी में रहती

यूपीपीएससी टॉपर यूं ही नहीं बनते। छह साल की कड़ी मेहनत ने इस मुकाम तक पहुंची है अनुज नेहरा। किताबों ही टॉपर की दोस्त रही। मोबाइल फोन और टीवी को कभी अहमियत नहीं दी। अनुज का खुद का कमरा एक लाइब्रेरी में बदल चुका है। किताबों के साथ ही सोना और उनके साथ ही उठती। इतना ही नहीं सुबह नौ से पांच बजे तक शहर की निजी लाइब्रेरी में पढ़ाई करती।

कोचिंग के बाद सेल्‍फ स्‍टडी

सेक्टर-18 की अनुज नेहरा ने एक वर्ष दिल्ली में कोचिंग के बाद सेल्फ स्टडी की। वर्ष 2014 से मिली असफलता को खुद पर हावी नहीं होने दिया। पढ़ाई में जो छूटा, उस पर अधिक ध्यान दिया। वर्ष 2013 में ग्रेजुएशन के बाद पूरा समय सिविल सर्विस की तैयारी में लगाया। पढ़ाई के समय किसी को भी कमरे में आने की अनुमति नहीं होती थी। पढ़ते-पढ़ते सोना और उठकर भी पढ़ना दिनचर्या बन चुका था। घर में पढ़ाई के अलावा बस स्टैंड के पास स्थित निजी पुस्तकालय में दिनभर पढ़ाई की। धीरे-धीरे अनुज का रूम भी एक पुस्तकालय में तब्दील हो चुका है। बैड, अलमारी, टेबल हर जगह किताबें ही दिखती हैं।

बच्चों की पढ़ाई के लिए छोड़ा गांव

अनुज का मूल निवास सोनीपत का जौली गांव है। अशवीर सिंह बच्चों को केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाने के लिए 1992 में गांव छोड़ पानीपत आ गए थे। केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश के लिए उन्होंने पहले अपनी पोस्टिंग के स्थान हिमाचल प्रदेश के सोलन से बेटे को एलकेजी और यूकेजी कराई। इसके बाद एनएफएल स्थित केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक में प्रवेश मिला। इसी तरह बेटी अनुज नेहरा को केंद्रीय विद्यालय में प्रवेश दिलाया। पिता भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट से हवलदार पद से रिटायर हुए हैं।

असफलता के बाद ऐसे में मिली सफलता

2014 यूपीएससी में प्री में असफल

2015 यूपीएससी में प्री में असफल

2017 यूपीएससी मेंस में दो नंबर से असफल

2017 एचसीएस में असफल

2018 यूपीपीएससी में पहला रैंक

अनुज नेहरा के बारे में जानिये

नाम : अनुज मेहरा

यूपीपीएससी रैंक : प्रथम

मां : ऊषा रानी, गृहिणी

पिता : अशबीर सिंह

भाई : विकास नेहरा

शिक्षा : 10वीं व 12वीं केंद्रीय विद्यालय पानीपत से। ग्रेजुएशन- हंसराज डिग्री कॉलेज दिल्ली

निवास : हुडा सेक्टर-18, पानीपत।

अनुज मेहरा से सवाल-जवाब

जागरण : सफलता कैसे मिली?

जवाब : अपना लक्ष्य बड़ा रखना चाहिए। कितनी ही नाकामयाबी हाथ लगे, निराश न हों। कई बार ऐसे पल आते हैं, जब हम डिप्रेशन में चले जाते हैं। उस समय में खुद को संभालना बड़ी चुनौती होती है। मैं पांच बार असफल रही पर हार नहीं मानी।

जागरण : पढ़ाई किस तरह करनी चाहिए?

जवाब : नियमित रूप से पढ़ें। जो पढ़ें, उसे रिवाइज करें। पढ़ाई का सोर्स सीमित रखें, यानी ये न सोचें कि बहुत सारी किताबें पढ़नी हैं। सभी के कुछ पेज पढ़ने की जगह एक ही किताब को अच्छे से पढ़ें। उसे दोहराएं। मैंने ऐसा ही किया।

जागरण : आपके सामने क्या चुनौती थी?

जवाब : मैंने 12वीं और ग्रेजुएशन विज्ञान संकाय से की। सिविल सेवा परीक्षा में आर्ट्स विषय चुने। यही सबसे बड़ी चुनौती भी रही। दो वर्ष तक तो दिन और रात, कुछ नहीं देखा। किताबों को ही समय दिया। अब सफल भी हो सकी हूं।

जागरण : क्या सोशल मीडिया पर भी रहीं?

जवाब : आज तक फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अकाउंट नहीं बनाया है। फिल्में और सीरीयल देखने का भी शौक नहीं है। सोशल मीडिया का मतलब समय की बर्बादी है। शुरू से ही पढ़ाई में लगन के कारण ही 10वीं में 97 फीसद, 12वीं में 94 फीसद और ग्रेजुएशन में 86.7 फीसद अंक प्राप्त किए थे।

जागरण : आपका रोल मॉडल कौन?

जवाब : मेरा बड़ा भाई विकास। विकास नेहरा ने एमएस पूरी कर रोहतक पीजीआइ में नौकरी शुरू की है।

जागरण : परिवार ने कैसे सहयोग दिया?

जवाब : पिता अशवीर सिंह नौकरी पर थे। मां ऊषा ही उन्हें पैदल छोड़कर आती और फिर स्कूल से लेकर आती। 12वीं के बाद ग्रेजुएशन करने दिल्ली चली गई। इसके बाद सिविल सर्विस की तैयारी में लग गई। कभी घर का काम नहीं करने दिया। आज पहला रैंक हासिल हुआ तो सबसे ज्यादा खुशी मां को ही हुई।

जागरण: क्या यकीन था कि टॉप करेंगी?

जवाब : रिजल्ट आने के 15 मिनट पहले तक वह फोन पर बात कर रही थी। उम्मीद थी कि 50 से 100 के बीच रैंक मिलेगा, लेकिन पहले रैंक के बारे में दूर-दूर तक नहीं सोचा था। पहला रैंक आने के बाद भी कई दोस्तों को रोल नंबर भेजकर चेक करने के लिए कहा। सभी ने पहला रैंक बताया तब यकीन हुआ।

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