100 दिव्यांगों को बनाया आत्मनिर्भर, 74 को सिखा रहीं गुर

यमुनानगर भी लगवा दें 100 दिव्यांगों को बनाया आत्मनिर्भर 74 को सिखा रहे गुर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Mar 2020 08:33 AM (IST) Updated:Sat, 14 Mar 2020 08:33 AM (IST)
100 दिव्यांगों को बनाया आत्मनिर्भर, 74 को सिखा रहीं गुर
100 दिव्यांगों को बनाया आत्मनिर्भर, 74 को सिखा रहीं गुर

धर्म देव झा, समालखा: यमुनानगर की सोशल वर्कर डॉ. अंजू बाजपेयी से मिलिए। वह 28 वर्ष से दिव्यांगों की सेवा कर रही हैं। 100 से ज्यादा दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। उनके डे केयर पुनर्वास केंद्र में 74 दिव्यांग निशुल्क उपचार और कौशल विकास का प्रशिक्षण ले रहे हैं। यही उनके जीवन की कामयाबी है।

पट्टीकल्याणा के गांधी स्मारक निधि स्कूल के वार्षिकोत्सव में पहुंचीं अंजू बाजपेयी ने बताया कि सोशल वर्क में एमए करने के बाद पीएचडी की। यमुनानगर में दिव्यांगों की हालत देख द्रवित हो गई। पति डॉ. पीके बाजपेयी और सहकर्मी डॉ. गुरप्रीत से चर्चा की और 1992 में भाड़े पर दिव्यांगों के लिए पुनर्वास केंद्र लिया।

पांच से की थी शुरुआत

डॉ. अंजू ने बताया कि पांच दिव्यांगों से पुनर्वास केंद्र की शुरुआत की थी। अभिभावक दिव्यांगों को बोझ समझते थे। उन्होंने एजुकेटर, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी से दिव्यांगों की सेवा शुरू की। मानसिक और शारीरिक क्षमता के अनुसार उन्हें जॉब स्पॉट पर ले जाकर प्रशिक्षण देना शुरू किया। अब वे अपने माता-पिता के बोझ नहीं मददगार हैं। उनकी उत्थान की कोशिश शाखा यह काम देख रही है। उसकी संस्था और उसे आजतक सरकार से मदद नहीं मिली है। सदस्यों के बल पर समाज सेवा की जा रही है। उत्थान अध्ययन और विकास संस्थान की है निदेशक

डॉ. अंजू अपने उत्थान एवं विकास संस्था की निदेशक हैं। दिव्यांगों के अलावा वह महिला सुरक्षा मंच, मधुर मिलन, चाइल्ड हेल्प लाइन, संजीवनी शाखाओं की ओर से बच्चों, महिलाओं, नशा के शिकार युवाओं के कल्याण के लिए काम कर रही हैं। उनके हक की लड़ाई लड़ती हैं। 1500 बच्चों को परिजनों से मिला चुकी हैं। मधुर मिलन से समझौता कराकर सैकड़ों परिवारों को टूटने से भी बचाने के साथ सैकड़ों युवकों को नशा से दूर कर चुकी हैं।

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