शहीद की बेटियों ने मुखाग्रि देकर निभाया संतान का फर्ज, बनिहाल पोस्ट पर तैनात थे सूबेदार रमेशचंद

करनाल से 28 दिसंबर को सूबेदार रमेश छुट्टिया बिताकर घर से ड्यूटी पर गया था। जो वहां जाकर अचानक बीमार हो गया। जिसे जम्मू के अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। बेटे का पार्थिव शरीर मां भुगड़ी देवी के पास लाया गया।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sun, 16 Jan 2022 07:25 PM (IST) Updated:Sun, 16 Jan 2022 07:25 PM (IST)
शहीद की बेटियों ने मुखाग्रि देकर निभाया संतान का फर्ज, बनिहाल पोस्ट पर तैनात थे सूबेदार रमेशचंद
46 वर्षीय जवान की ड्यूटी के दौरान अचानक बिगड़ी तबियत।

निसिंग (करनाल), संवाद सूत्र। जम्मू में तैनात जाणी गांव के किसान मानसिंह का बहादुर बेटा सूबेदार रमेशचंद शहीद हो गया। जो महज 46 वर्ष के थे। डयूटी पर जिनकी तबीयत बिगड गई। उन्हें सेना के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन 15 जनवरी की सुबह तीन बजे जवान ने अंमित सांस ली। इसकी सूचना परिजनों को दी गई। घटना का पता चलते ही गांव में मातम पसर गया। जम्मू से शहीद के पार्थिव शरीर को शनिवार देर शाम अंबाला लाया गया। जहां से रविवार सुबह शहीद को घर लाया गया। सैनिक के साथ आई सेना की विशेष टुकडी ने राजकीय सम्मान के साथ अपने बहादुर साथी को अंतिम विदाई दी। उनकी तीन बेटियों ने अपने बहादुर पिता को मुखाग्रि दी, जिसे देख हर किसी की आंखे भर आई। सैनिक की विदाई पर क्षेत्र व आसपास के गांवों से सैंकडों की संख्या में पहुंचे लोगों ने रमेशचंद्र अमर रहे के जयघोष लगाए। 

12 राष्ट्रीय रायफल में जम्मू के बनिहाल पोस्ट पर तैनात थे सूबेदार रमेशचंद

सूबेदार रमेश चंद्र के साथी अधिकारी नायब सूबेदार नदीम अली ने बताया कि वे उनके साथ 12 राष्ट्रीय रायफल में जम्मू के बनिहाल पोस्ट पर तैनात थे। जिसे डयूटी में कोताही बर्दास्त नहीं थी। कुछ दिन पहले तबीयत बिगडऩे पर उन्हें मिल्ट्री अस्पताल उद्यमपुर में भर्ती करवाया गया। लेकिन हालत में सुधार नहीं हो पाया और ईलाज के दौरान ही 15 जनवरी सुबह 3 बजे सूबेदार रमेश चंद्र देश के नाम शहीद हो गए। 

मुखग्रि देकर बेटियों निभाया संतान का फर्ज

सेना में सूबेदार रमेश चंद्र को उसकी अंतिम विदाई पर सेना की विशेष टुकडी ने हवाई फायर कर सलामी दी। सैनिक को उनकी तीनों बेटियां काजल, निकिता व पायल ने संतान का फर्ज निभाते हुए अपने बहादुर पिता की चिता को मुखाग्रि दी। जिसे देख मौके पर मौजूद ग्रामीण खुद को नहीं रोक पाए। परिजन व रिश्तेदार फफक फफक कर रोने लगे। वहीं मौके पर मौजूद सभी लोगों की आंखे भर आई। सैनिक के भतीजे नरसिंह बबलू के अनुसार रमेश चंद्र की महज तीन बेटियां है। उनका सपना बेटियों को सेना में उच्च पदों पर देखने की थी। इसके लिए बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाई और देशभक्ति के प्रति प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि भले ही रमेश चंद्र रिश्ते में उनके चाचा थे लेकिन वे दोनों गहरे दोस्त भी थे और 10वीं कक्षा दोनों ने एक साथ पास की थी। इसके बाद वे सेना में भर्ती हुए और जब भी गांव में आते थे तो हंसी-ठहाके के साथ अपने दोस्तों से मिला करते थे। सामाजिक और धार्मिक कार्यों में वे दोनों एक साथ सेवा करते थे, लेकिन आज उनकी शहादत से पूरा गांव आहत है।

तिरंगे को सीने से लगाकर बेटे की याद में रोता रहा बुजुर्ग पिता

सैनिक सम्मान के दौरान तिरंगा में लिपटे सूबेदार रमेश चंद्र के पार्थिव शरीर को गांव में लेकर पहुंचे अधिकारियों ने तिरंगा को उनके पिता मानसिंह को सौंपा दिया। तिरंगा को सीने से लगाकर पिता का कलेजा भर आया और अपने बहादुर बेटे की शहादत को सलाम करते हुए पिता की आंखे नम हो गई।

हर जन्म में तू ही बने मेरा बेटा...

28 दिसंबर को सूबेदार रमेश छुट्टिया बिताकर घर से ड्यूटी पर गया था। जो वहां जाकर अचानक बीमार हो गया। जिसे जम्मू के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। बेटे का पार्थिव शरीर मां भुगड़ी देवी के पास लाया गया तो मां का सीना फट आया। फूट-फूट कर रोती मां कह रही थी कि रमेश जैसा लाल हर मां को मिले। हर जन्म में रमेश ही मेरा बेटा बने। ये कहते हुए उनकी मां बेहोश हो गई। वहीं सूबेदार रमेश चंद्र पत्नि व भाईयों का भी रो-रोकर बुरा हाल था।

शहीद के परिजनों को सम्मान दिलाने के लिए करेंगे प्रयास: कल्याण

राजनैतिक व सामाजिक लोगों ने शहीद सूबेदार को नमन कर गहरा दुख प्रकट किया। घरौंडा विधायक हरविंद्र कल्याण ने सूबेदार रमेश चंद्र के परिजनों को सांत्वना देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर वे सैनिक को पूरा सम्मान दिलाने के लिए प्रयास करेंगे। वे हर तरह से पीडि़त परिवार के साथ हैं। भगवान परिजनों को यह दुख सहने की ताकत प्रदान करे। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव जिलेराम शर्मा ने सूबेदार रमेश चंद्र की शहादत को नमन करते हुए देश के लिए बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा कि सैनिकों की बदौलत ही हम अपने घरों में चैन की नींद सोते है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा कि किसान परिवार में जन्मा रमेश चंद्र भारत की सरहदों की रक्षा के लिए कुर्बान हुआ है। किसान परिवार को परमात्मा यह दुख सहने की ताकत दे। उनकी अंतिम विदाई में समाजसेवी नरसिंह बबलू, नायब सूबेदार सकल देव सिंह, नायब सूबेदार जसबीर सिंह, नायब सूबेदार नदीम अली, चौकी प्रभारी जुंडला एएसआई मुकेश कुमार, पूर्व सरपंच सतपाल सिंह, सत्ता पहलवान, सुखबीर सिंह, सुरेंद्र सिंह, सतीश कुमार मौजूद थे।

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