कलेसर नेशनल पार्क व सेंचुरी पार्क में रंग बिरंगी दुनिया, मशरूम और तितलियों की मिलीं कई प्रजाति

यमुनानगर के कलेसर नेशनल पार्क व सेंचुरी पार्क में वन प्राणी विभाग की रिसर्च टीम पहुंची। टीम ने मशरूम एवं तितली की प्रजातियों के लिए सर्वेक्षण किया। साथ ही मशरूम और तितली की कई प्रजातियां खोजीं। इसकी रिपोर्ट जल्‍द ही सबमिट कर दी जाएगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 01 Oct 2021 07:09 PM (IST) Updated:Fri, 01 Oct 2021 07:09 PM (IST)
कलेसर नेशनल पार्क व सेंचुरी पार्क में रंग बिरंगी दुनिया, मशरूम और तितलियों की मिलीं कई प्रजाति
वन्य प्राणी विभाग की टीम ने कलेसर में किया सर्वेक्षण।

प्रतापनगर (यमुनानगर), संवाद सहयोगी। 2500 एकड़ में फैले कलेसर नेशनल पार्क व सेंचुरी पार्क में मशरूम एवं तितली की प्रजातियों के लिए सर्वेक्षण किया जा रहा है। जंगल के अलग-अलग क्षेत्रों से विशेषज्ञों की आठ टीम सर्वे के लिए मैदान में उतरी। शाम तक टीम ने मशरूम की 55 प्रजाति व तितली की 50 प्रजाति की खोज की है। यह सर्वेक्षण वन्य प्राणी विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डाक्टर जगदीश चंद्र व स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड के चेयरमैन विनीत गर्ग के नेतृत्व में किया जा रहा है। टीमों को चीफ लाइफ वार्डन डाक्टर जगदीश चंद्र ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। टीमों ने जंगल के आठ क्षेत्रों में पैदल घूम कर आंकड़े एकत्रित किए। इसकी फाइनल रिपोर्ट मंगलवार तक तैयार होगी।

कलेसर नेशनल पार्क में सेंचुरी एरिया में सर्वेक्षण द्वारा वन्य प्राणी विभाग के वन्य जीव प्रजातियों को तलाशने का सर्वेक्षण शुरू किया गया है। इसी कड़ी में पहली बार तितलियों व मशरूम पर विशेष सर्वेक्षण हुआ। जिसमें 50 प्रजाति की तितली मिली। एक्सपर्ट डाक्टर हरविंद्र सिंह ने बताया कि तीन नई प्रजाति की बटरफ्लाई कलेसर नेशनल पार्क में दिखाई दी हैं। मशरूम को लेकर सर्वेक्षण कर रहे विशेषज्ञ डॉक्टर हर्ष ने बताया कि जंगल के विभिन्न क्षेत्रों से 55 प्रजाति की मशरूम मिली है। जिसमें पहली बार पांच नई प्रकार की मशरूम मिली।

शिवालिक की पहाड़ियों में भी किया सर्वेक्षण

शिवालिक की पहाड़ियों में अलग-अलग क्षेत्रों में सर्वेक्षण में टीम पैदल जंगल के अंदर गई। विशेषज्ञों के मानना है कि शिवालिक एरिया जैव विविधता के लिए उपयुक्त है।

दरअसल वन एवं वन्य जीव विभाग के पीसीसीएफ एवं चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जगदीश चंद्र के नेतृत्व में देहरादून, दिल्ली, कुरुक्षेत्र आदि यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट ने सर्वेक्षण में भाग लिया। तितलियों की उपस्थिति एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है। समृद्ध और विधिक जीवन रूपों की उपस्थिति का भी प्रतीक है।

रेवाड़ी के बाद कलेसर से जुटाया जा रहा है आंकड़ा

चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जगदीश चंद्र ने बताया कि रेवाड़ी के बाद कलेसर नेशनल पार्क में सर्वेक्षण कर आंकड़ा जुटाया जा रहा है। अभी दूसरे नेशनल पार्क में सर्वे शुरू नहीं किया जाएगा। यह इस तरह का पहला तितलियों का सर्वेक्षण है। इसका उद्देश्य प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए हर प्रकार के जीव जंतुओं की मेहता की जानकारी प्राप्त करना है। तितलियां जो एक महत्वपूर्ण परागकण भी हैं। वह कई पौधों की प्रजातियों को प्रभावित करती हैं। वह फूल से फल की ओर बढ़ते हैं। पौधों और तितलियों के बीच सह जीव संबंध है।

स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड के चेयरमैन विनीत गर्ग ने बताया कि पर्यावरणीय अध्ययन के लिए सर्वेक्षण महत्वपूर्ण है। प्रदेश में इस तरह का सर्वेक्षण पहली बार किया जा रहा है। यह इको सिस्टम का बायोइंडिकेटर है।

इन टीमों ने जुटाया आंकड़ा

जंगल में वनस्पति, पक्षियों, स्पाइडर आदि पर भी एक्सपर्ट ने आंकड़े जुटाए। टीम में रिसर्च डिपार्टमेंट पंचकूला के डीएफओ दीपक नंदा, वाइल्डलाइफ इंस्पेक्टर सुनील कुमार, इंस्पेक्टर राजेश चहल, रेंज अधिकारी कुलदीप सिंह, प्रोफेसर राजीव कलसी, डाक्टर अशोक खासा, मीरा मनोज, डा. जनक, डा. गगन, डा. चेतना, डा. प्रवीण वर्मा, डा. हर्ष,राजेश गुलिया ,प्रदीप कुमार ,दीपक कुमार, सोनू कुमार, वाइल्डलाइफ इंस्ट्रक्टर शिव सिंह, संदीप कुमार, परवेज अहमद, मोहित कुमार, सुमित कुमार व सुनील कुमार रहे।

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