चीन और पाकिस्‍तान के चावल की मांग घटी, भारतीय चावल उद्योग को मिल सकता फायदा

भारतीय कारोबारियों के लिए निर्यात के नए अवसर खुल रहे हैं। भारतीय चावल उद्योग को नया संबल देने की कवायद शुरू हो चुकी है। चीन और पाकिस्तान के चावल की मांग घटी है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 23 Jun 2020 11:40 AM (IST) Updated:Tue, 23 Jun 2020 11:40 AM (IST)
चीन और पाकिस्‍तान के चावल की मांग घटी, भारतीय चावल उद्योग को मिल सकता फायदा
चीन और पाकिस्‍तान के चावल की मांग घटी, भारतीय चावल उद्योग को मिल सकता फायदा

पानीपत/करनाल, [पवन शर्मा]। पड़ाव दर पड़ाव संकट से जूझते रहे देश के चावल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके तहत प्रदेश और केंद्र सरकार की ओर से कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिए जारी तमाम हिदायतों का प्रमुखता से उल्लेख करते हुए बारीकी से अनुपालन पर जोर दिया गया है ताकि निर्यात में तेजी लाकर इस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने में कोई कमी न रहने पाए। 

दरअसल, करीब सवा दो महीने लंबे लॉकडाउन ने तमाम उद्योग धंधों की गाड़ी को पटरी से उतार दिया। ऐसेे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगों को संबल देने के लिए बीस लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित करके बड़ी राहत दी है। चावल उद्योग को उम्मीद है कि ऐसे समय में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की सख्त जरूरत है। 

लिहाजा ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने चावल कारोबारियों से कहा है कि वे सरकारी हिदायतों का पालन करते हुए निर्यात बढ़ाएं ताकि यह क्षेत्र आत्मनिर्भरता का उदाहरण पेश कर सके। राइस मिलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन ज्वैल ङ्क्षसगला ने भी सरकार से आर्थिक पैकेज मांगा है। उनका दावा है कि उद्योग को पांच हजार करोड़ रुपये की सहायता सहित एक वर्ष तक बिजली बिल माफी और तीन वर्ष के बैंक ब्याज की माफी सरीखी सुविधाएं मिलें तो यह क्षेत्र नए सिरे से बुलंदियां हासिल कर लेगा। 

काबिल-ए-गौर पहलू यह है कि कोरोना काल में अन्य उद्योग धंधों से इतर भारतीय चावल उद्योग ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है। इससे चावल कारोबारियों में नए उत्साह का संचार हुआ है। इसके लिए जहां यूरोपियन देशों द्वारा तीन साल से भारतीय चावल पर लागू पाबंदी हटाए जाने को प्रमुख कारण माना जा रहा है वहीं बढ़ती मांग के चलते चावल की कीमतों में पांच से दस प्रतिशत तक वृद्धि से भी अच्छे संकेत मिले हैं। 2007 में यूरोपियन देशों ने भारतीय चावल के आयात पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद कई देशों ने भारतीय चावल के ऑर्डर रद कर दिए थे। इसका सीधा लाभ चीन व पाकिस्तान सरीखे देशों ने उठाया। लेकिन अब कोरोना संकट के बाद चीन से निर्यात थम गया है तो पाकिस्तान के चावल के परीक्षण में बड़ी मात्रा में पेस्टीसाइड्स मिलने से स्थितियां फिर भारत के पक्ष में हैं।    

बकौल सेतिया, मौजूदा हालात में भारत चावल के सरप्लस स्टॉक के निर्यात पर बारीकी से ध्यान दे रहा है। खाड़ी व अफ्रीकन देशों समेत दुनिया भर में कारोबार की जड़ें जमाने के प्रयास तेज हो गए हैं। गैर बासमती चावल निर्यातकों के लिए यह शानदार अवसर है क्योंकि, कोरोना संकट से कम्बोडिया, वियतनाम व म्यांमार सरीखे देशों का चावल निर्यात नहीं हो रहा। अमेरिका जैसा देश भी समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसे में भारत के निर्यातक निर्यात बढ़ा रहे हैं। भारत 25 फीसदी ग्लोबल शेयर के साथ दुनिया का सबसे बड़ा राइस निर्यातक देश है, जिसमें हरियाणा की अहम भागीदारी शामिल है। अफ्रीका, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया के साथ बंगलादेश व अफ्रीकन देशों से ऑर्डर मिलने भी लगे हैं।  

 

...ताकि प्रभावित न हो गति

मौजूदा हालात में एसोसिएशन की ओर से चावल कारोबारियों से कहा गया है कि कोविड-19 केे मद्देनजर भरपूर सावधानी बरतें। चावल उद्योग में किसानों से खरीद से लेकर भंडारण, परिवहन, निर्यात इकाइयों से बैंकिंग, फॉरेन एक्सचेंज व अन्य उद्योगों से रॉ मेटेरियल की सप्लाई चेन सरीखे तमाम स्तरों पर व्यापक जनसंपर्क होता है, लिहाजा अतिरिक्त सावधानी नितांत आवश्यक है ताकि उद्योग की गति प्रभावित न हो। उन्होंने इस संदर्भ में राज्य के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रमुख सचिव की ओर से सभी जिम्मेदार सरकारी महकमों व इकाइयों सहित तमाम औद्योगिक संगठनों को जारी पत्र का उल्लेख भी दिया। 

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