सनातन संगठन में जातीय राजनीति

शहर के सभी मंदिरों को जोड़ने वाले सनातन धर्म संगठन में सियासत हावी हो गई है। पढि़ए एक रिपोर्ट।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Sep 2018 01:33 PM (IST) Updated:Mon, 10 Sep 2018 01:33 PM (IST)
सनातन संगठन में जातीय राजनीति
सनातन संगठन में जातीय राजनीति

अरविन्द झा, पानीपत : सेवा भाव, परोपकार और धर्म की सुचिता बनाए रखने के लिए सनातन धर्म संगठन की नींव रखी गई। चार दशक में संगठन ने ऊंचाइयों को छुआ। सेवा कर नाम कमाया। धर्म आस्था के इस सबसे बड़े संगठन में जातीयता धीरे धीरे हावी हो रही है। प्रधान के सेलेक्शन में ये बातें सामने आई। वेद प्रकाश शर्मा के नाम का समर्थन करने वाला पंजाबी ब्राह्मण सभा के सदस्य संजय शर्मा अंत तक विरोध करने पर अड़े रहे। तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक में एक नाम पर सहमति नहीं बनने दी।

पानीपत के इस सबसे बड़े धार्मिक संगठन में सभी बिरादरी के लोग शामिल हैं। मंदिर, गुरुद्वारा और रामलीला कमेटी सहित कई अन्य संस्थाएं इससे जुड़ी हुई है। 22 वर्षों से संगठन की सेवा कर रहे कोषाध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा वर्ष 2016 में भी प्रधान सूरज पहलवान के खिलाफ खड़े हो गए थे। संगठन में धर्म क्षेत्र महामंत्री का पद संभालने वाले डॉ. महेंद्र शर्मा उनके सगे भांजे हैं। संगठन से जुड़े वरिष्ठ सदस्यों का कहना है कि पंजाबी ब्राह्मण सभा के लोग वेद प्रकाश शर्मा को सनातन धर्म संगठन के प्रधान पद की जिम्मेवारी सौंपना चाहते हैं। शर्मा पहले एक बार ब्राह्मण सभा के प्रधान रह चुके हैं। प्रधान रहते हुए बीच में ही बस्ता लौटा दिया था। इतने बड़े संगठन को कैसे चला सकेंगे। सभा का माहौल बिगड़ने के बाद डॉ. महेंद्र शर्मा ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि हुजूम वेद प्रकाश शर्मा के साथ में है। सुंदरकांड का आयोजन कर संगठन को 12 लाख से 51 लाख के बजट पर ले गए। प्रधानगी का हक तो उनके सगे मामा का बनता है। सबसे अहम सवाल है कि बसंत रामदेव सूरज पहलवान के विरोध में क्यों उतर गए। जातिवाद से बचाएं संगठन को

सबको रोशनी फाउंडेशन के संरक्षक विकास गोयल विमान को उड़ाने के लिए निरंतर ऊंचाई देनी पड़ती है। जातिवाद की लहर से बचा कर इतने बड़े संगठन की जो टीम है उसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए। पतन सतत प्रक्रिया है उतना ही पराक्रम का भी है। 50 लाख की संस्था बन गई है। प्रधान बनाते समय इन सारे ¨बदुओं पर विचार करना होगा। बैलेंस देख कर मैदान में कूदे

सूरज पहलवान का कहना है कि उनका किसी से भेदभाव नहीं है। पांच बार प्रधान रहते हुए कभी जातिवाद की राजनीति नहीं की।यह उन लोगों की चाल है। मैंने पद की मर्यादा को समझा। संगठन का बैलेंस देख कर भांजे के सपोर्ट से मामा वेद प्रकाश मैदान में कूद पड़े। चुनाव करा कर देख लें। पता लग जाएगा।

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