कंधे की चोट की नहीं की परवाह, नेशनल में जीता तांबा

विजय गाहल्याण, पानीपत: कुराना गांव के किसान भीम सिंह जागलान के बेटे मोनू पहलवान ने पदक जीतने क

By Edited By: Publish:Thu, 16 Feb 2017 02:16 AM (IST) Updated:Thu, 16 Feb 2017 02:16 AM (IST)
कंधे की चोट की नहीं की परवाह, नेशनल में जीता तांबा
कंधे की चोट की नहीं की परवाह, नेशनल में जीता तांबा

विजय गाहल्याण, पानीपत: कुराना गांव के किसान भीम सिंह जागलान के बेटे मोनू पहलवान ने पदक जीतने के लिए कंधे की चोट की परवाह न कर सब जूनियर ग्रीको रोमन कुश्ती प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। इस सफलता की वजह से उनका इंडिया कुश्ती कैंप में चयन भी हो गया है। यह प्रतियोगिता 9 से 13 मध्यप्रदेश के फितुर में हुई। मोनू ने बताया कि गत जनवरी महीने में रोहतक में हुई राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में उसने स्वर्ण पदक जीता था। तब उसके दाएं कंधे में चोट लग गई थी। डॉक्टर ने सलाह दी थी कि कुश्ती को कई महीने तक छोड़ दे। उसने डॉक्टर की सलाह को दरकिनार कर दिया। क्योंकि वह नेशनल प्रतियोगिता में नहीं खेलता तो उसे एशियन कुश्ती चैंपियनशिप की ट्रायल देने से वंचित होना पड़ता। उसने हरियाणा की टीम के कोच को अपनी चोट के बारे में नहीं बताया। अगर ऐसा कर देता को वह नेशनल में नहीं खेल पाता। उसने रिस्क लिया और चार पहलवानों को चित भी कर दिया। पांचवी कुश्ती में कंधा जवाब दे गया और हार गया। स्वर्ण पदक से चूक गया, लेकिन उसे खुशी है कि नेशनल में पहली बार पदक जीत पाया। अब कंधे को इलाज करा एशियन चैंपियनशिप के लिए तैयारी करेगा।

वुशु छोड़ थाम लिया लंगोट

चार साल पहले सोनीपत के खरखौदा प्रताप स्कूल में मोनू को उसके बड़े भाई सोनू ने वुशु खेलने की सलाह दी। मोनू ने नेशनल वुशु चैंपियनशिप में दो ‌र्स्वण और एक सिल्वर पदक जीता। सोनू अंतरराष्ट्रीय पहलवान बन चुका था। मोनू ने वुशु छोड़ भाई की तरह पहलवान बनने की ठान ली और लंगोट थाम लिया। कोच ओमप्रकाश दहिया और सुनील हुड्डा से कुश्ती के गुर सीखे और सफलता हासिल कर ली।

चार लीटर दूध पीता है मोनू

मोनू ने बताया कि वह सुबह व शाम को दो-दो लीटर दूध पीता है। इसके अलावा चार चपाती, दाल, 150 ग्राम बादाम गिरी और फल खाता है। वह हर रोज छह घंटे अभ्यास करता है। उसका मनपसंद दांव ढाक व थ्रो करना है। इन दांव का वह प्रतिदिन 125 बार अभ्यास करता है।

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