पितृ अमावस्या के अगले दिन नहीं होंगे शारदीय नवरात्र, 165 साल बाद बना ऐसा संयोग

Pitru Paksha 2020 एक सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं। इस बार 165 साल बाद संयोग बन रहा है कि पितृ अमावस्या के अगले दिन शारदीय नवरात्र नहीं होंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 25 Aug 2020 05:43 PM (IST) Updated:Tue, 25 Aug 2020 05:43 PM (IST)
पितृ अमावस्या के अगले दिन नहीं होंगे शारदीय नवरात्र, 165 साल बाद बना ऐसा संयोग
पितृ अमावस्या के अगले दिन नहीं होंगे शारदीय नवरात्र, 165 साल बाद बना ऐसा संयोग

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से नवरात्र शुरू हो जाते हैं और घट स्थापना के साथ नौ दिनों तक नवरात्र की पूजा होती है। यानी पितृ अमावस्या के अगले दिन से प्रतिपदा के साथ शारदीय नवरात्र का आरंभ हो जाता है। यह इस साल नहीं होगा। इस बार श्राद्ध पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्र और पितृपक्ष के बीच एक महीने का अंतर आ जाएगा। आश्विन मास में मलमास लगना और एक महीने के अंतर पर दुर्गा पूजा आरंभ होना। ऐसा संयोग करीब 165 साल बाद होगा।

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया कि 160 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं। चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं।

इस बार 17 सितंबर को श्राद्ध खत्म होंगे। इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा। जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखे जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे।

26 अक्टूबर को दशहरा 

पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन माह का अधिकमास होगा। यानी दो आश्विन मास होंगे। आश्विन मास में श्राद्ध और नवरात्रि, दशहरा जैसे त्योहार होते हैं। अधिकमास लगने के कारण इस बार दशहरा 26 अक्टूबर को दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। डा. रामराज ने बताया कि  एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, जिस। अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया है। अधिकमास को कुछ स्थानों पर मलमास भी कहते हैं। 

कब और किस तारीख को है कौन सा श्राद्ध

पहला श्राद्ध (पूर्णिमा श्राद्ध) 1 सितंबर 

दूसरा श्राद्ध 2 सितंबर

तीसरा श्राद्ध 3 सितंबर

चौथा श्राद्ध 4 सितंबर

पांचवा श्राद्ध 5 सितंबर

छठा श्राद्ध 6 सितंबर

सांतवा श्राद्ध 7 सितंबर

आंठवा श्राद्ध 8 सितंबर

नवां श्राद्ध 9 सितंबर

दसवां श्राद्ध 10 सितंबर

ग्यारहवां श्राद्ध 11 सितंबर

बारहवां श्राद्ध 12 सितंबर

तेरहवां श्राद्ध 13 सितंबर

चौदहवां श्राद्ध 14 सितंबर

पंद्रहवां श्राद्ध 15 सितंबर

सौलवां श्राद्ध 16 सितंबर

सत्रहवां श्राद्ध 17 सितंबर (सर्वपितृ अमावस्या) 

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