Emergency: आपातकाल के 47 साल, जानिए कैसे कैथल के अध्यापक नेता रामदत्त शर्मा विधायक बनते-बनते रह गए

47 Years Of Emergency इमरजेंसी के जख्म आज भी लोगों के जहन में ताजा है। इस दौरान कई लोगों को कई यातनाएं सहनी पड़ी जेल जाना पड़ा। कैथल के अध्यापक नेता रामदत्त शर्मा भी उन्हीं में से एक थे जो 19 महीने जेल में रहे थे।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sat, 25 Jun 2022 07:15 AM (IST) Updated:Sat, 25 Jun 2022 08:20 AM (IST)
Emergency: आपातकाल के 47 साल, जानिए कैसे कैथल के अध्यापक नेता रामदत्त शर्मा विधायक बनते-बनते रह गए
कैथल के अध्यापक नेता मास्टर स्व. रामदत्त शर्मा।

गुहला-चीका(कैथल), संवाद सहयोगी। देश के इतिहास में इमरजेंसी का काला अध्याय दुख और पीड़ा देने वाला है। शनिवार को इमरजेंसी को 47 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन उस दौरान जो यातनाएं विपक्ष व अन्य लोगों को दी गई, उनमें कुछ अध्यापक नेता भी शामिल थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 को इमरजेंसी लगाई गई थी, जो मार्च 1977 तक जारी रही थी। 21 महीने रही इमरजेंसी के घाव आज 47 वर्षों के बाद भी लोगों के दिलों पर इसी तरह से जिंदा है, जैसे उस समय थे।

कैथल जिले में 35 लोगों ने आपातकाल के दौरान जेल काटी थी, जिनमें सबसे ज्यादा लंबी जेल फतेहपुर पूंडरी के रहने वाले अध्यापक नेता रामदत्त शर्मा ने काटी, जो उस समय हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के राज्य महासचिव थे। 1971 से 1977 तक लगातार अध्यापकों की ऊपर की गई ज्यादतियों के विरोध में तत्कालीन सरकार के खिलाफ आंदोलन चला था। इस आंदोलन में महिलाओं सहित करीब 30 हजार लोग जेल गए थे।

अध्यापकों के प्रधान मा. सोहन लाल ने 32 दिन आमरण अनशन करके सरकार की अध्यापक विरोधी नीतियों का विरोध किया था और उस आंदोलन को चलाने में मास्टर राम दत्त शर्मा ने महासचिव होने के नाते अहम भूमिका निभाई थी। इसी के चलते उन्हें 19 महीने इमरजेंसी में जेल में बिताने पड़े थे।

पिता थे शिक्षक

रामदास शर्मा का जन्म 15 जुलाई 1931 को जिला कैथल के गांव फतेहपुर में पिता कला चंद शर्मा माता सुरजी के घर में हुआ। उनके पिता भी एक शिक्षक रहे थे। रामदत्त शर्मा बेशक अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके किए गए संघर्ष की यादें आज भी अध्यापकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी पत्नी मुन्नी बाई जो इस समय 90 वर्ष से ऊपर की हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति कुर्बानी का प्रतीक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन अध्यापकों की मांगों के लिए संघर्ष में बिता दिया और लंबे आंदोलन लड़कर अध्यापकों को वह सुख सुविधाएं दिलाई जिनका आज वह भोग कर रहे हैं।

जेल से रिहा होने के बाद जनता पार्टी से मिला था टिकट

रामदत्त शर्मा के बेटे विजय शर्मा ने बताया कि वह चार भाई बहन हैं। तीन बहनें और एक भाई। उनकी एक बहन कांता रानी, ऊषा रानी व वर्षा रानी हैं। उनके पुत्र ने बताया कि 1977 में जेल काटने के बाद जब रिहा हुए तो जनता पार्टी की तरफ से उन्हें विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी दिया गया था। परंतु ऐन मौके पर स्वामी अग्निवेश उनके पिता का टिकट कटवा कर स्वयं टिकट ले आए थे। जिसके कारण वह चुनाव लड़ने से वंचित रह गए थे। शर्मा की मृत्यु 23 सितंबर 1996 को हृदय गति रुक जाने के कारण हो गई थी।

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