मानेसर जमीन घोटाले में मुख्य सचिव सहित कई आइएएस बने गवाह

मानेसर भूमि घोटाले में सीबीबआइ द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के साथ ही राज्‍य के मुख्‍य सचिव सहित कई आइएएस अफसर इसमंं गवाह बन गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 19 Feb 2018 07:35 PM (IST) Updated:Tue, 20 Feb 2018 09:12 AM (IST)
मानेसर जमीन घोटाले में मुख्य सचिव सहित कई आइएएस बने गवाह
मानेसर जमीन घोटाले में मुख्य सचिव सहित कई आइएएस बने गवाह

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन काल में हुए मानेसर भूमि घोटाले की परतें खुलने लगी हैं। करीब 1600 करोड़ के इस घोटाले में अारोपितों पर घेरा कसने लगा है। सीबीआइ ने इस मामले में मुख्य सचिव सहित कई आइएएस अधिकारियों को गवाह बनाया है। सीबीआइ द्वारा विशेष अदालत में दाखिल चार्जशीट के सार्वजनिक होने के बाद आइएएस लॉबी में खलबली मच गई है। केस सुलझाने के लिए आइएएस के खिलाफ आइएएस अफसरों के ही इस्तेमाल से सचिवालय में चर्चाएं गर्म हो रही हैं।

सीबीआइ की चार्जशीट सामने आने से आइएएस लॉबी में खलबली

मानेसर जमीन घोटाले में सीबीआइ ने गत 2 फरवरी को 80 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें नेताओं और अफसरों सहित कुल 34 लोगों को आरोपित बनाया गया है। वहीं, मुख्य सचिव डीएस ढेसी समेत कुल 368 लोगों को गवाह बनाया गया है।

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इनमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, अतिरिक्त प्रधान सचिव राकेश गुप्ता, पूर्व गृह सचिव रामनिवास, आइएएस अधिकारी टीसी गुप्ता, केएस अहलावत, राजीव अरोड़ा, अरुण कुमार गुप्ता, डीआर ढींगरा मुख्य हैं। सीबीआइ की विशेष अदालत ने इस मामले में 26 फरवरी तक अन्य दस्तावेज मांग रखे हैं।

सीबीआइ की भूमिका पर खेमका ने उठाए सवाल

कई मौकों पर सरकारों की मुश्किलें बढ़ाते रहे हरियाणा के चर्चित आइएएस अफसर अशोक खेमका ने अब सीबीआइ को निशाने पर लिया है। खेमका ने ट्वीट किया कि 'मानेसर भूमि घोटाले में सीबीआइ ने रिपोर्ट दाखिल कर दी। अभियोजन पक्ष को गवाह बनाया गया है। अभियोजन का केस कमजोर है।'

ट्वीट में खेमका ने इशारा किया कि इस मामले में कुछ लोगों को छोड़ दिया गया है। इसी वजह से केस कमजोर हुआ। खेमका का सवाल ये है कि जिन अफसरों पर शिकंजा कसना चाहिए था, उन्हीं को सरकारी गवाह बना लिया गया। खेमका के ट्वीट के बाद समर्थकों में री-ट्वीट और लाइक करने की होड़ सी लग गई। सैकड़ों लोगों ने री-ट्वीट और लाइक कर खेमका से सहमति जताई है।

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बता दें कि कांग्रेस सरकार में खेमका ने चकबंदी विभाग में निदेशक पद पर रहते हुए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और डीएलएफ कंपनी की लैंड डील पर सवाल उठाते हुए म्यूटेशन रद कर दी थी।

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