Haryana Politics: कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आंदोलनकारियों पर भारी तिरंगा यात्रा, जानें हरियाणा में क्‍या हुआ असर

Haryana Politics भारतीय जनता पार्टी ने तिरंगा यात्राएं निकालकर न केवल कृषि कानूनों का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है बल्कि पूरे प्रदेश में देशप्रेम की लौ भी जगा दी है। फाइल फोटो

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 09:44 AM (IST) Updated:Wed, 11 Aug 2021 02:59 PM (IST)
Haryana Politics: कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आंदोलनकारियों पर भारी तिरंगा यात्रा, जानें हरियाणा में क्‍या हुआ असर
पूरे प्रदेश में तिरंगा यात्राएं निकालकर देशप्रेम की लौ भी जगा दी है। फाइल

पंचकुला, अनुराग अग्रवाल। हरियाणा में किसान संगठन पिछले आठ माह से तीन कृषि कानूनों को रद कराने की अनावश्यक जिद पर अड़े हैं। इन आठ माह में खूब उपद्रव हुए। अराजक एवं हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया, लेकिन भाजपा ने तिरंगा यात्राएं निकालकर न केवल आंदोलनकारियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया, बल्कि पूरे प्रदेश में देशप्रेम की लौ जगा दी है। दरअसल केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध करते-करते आंदोलनकारी इतने अराजक हो चुके थे कि उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा और जजपा (जननायक जनता पार्टी) गठबंधन के नेताओं का घरों से निकलना मुश्किल कर दिया था।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के काफिले का घेराव, उप मुख्यमंत्री के घर के बाहर धरने-प्रदर्शन और मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की गाड़ी पर पथराव इन आंदोलनकारियों के हिंसक होने के प्रमाण हैं। किसान संगठनों के आंदोलन स्थलों पर आए दिन होने वाले अपराध आंदोलनकारियों के अराजक होने की कहानी कह रहे हैं। इन सबके बीच हरियाणा के सत्तारूढ़ दल भाजपा ने पूरे प्रदेश में शहीद सम्मान तिरंगा यात्रा का ऐसा खाका खींचा कि आंदोलनकारी तो निरुत्तर हुए ही, साथ ही जनता भी देशप्रेम के रंग में रंगी नजर आने लगी।

हरियाणा में इस समय सभी विधानसभा क्षेत्रों में शहीद सम्मान तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की जोड़ी ने आजादी का जश्न मनाने तथा शहीदों को सम्मान देने के लिए ये तिरंगा यात्रएं शुरू की है, जो 15 अगस्त तक चलेंगी। भाजपा सरकार के सभी मंत्री, सांसद, विधायक और पार्टी के प्रमुख पदाधिकारी इन तिरंगा यात्राओं का नेतृत्व कर रहे हैं। जिस तरह से किसान संगठनों ने अपने आंदोलन में ट्रैक्टरों को शामिल किया, उसी का जवाब देते हुए भाजपा की तिरंगा यात्राओं में अनगिनत ट्रैक्टर शामिल किए गए हैं। किसान संगठनों के आंदोलन में खालिस्तान के समर्थन में नारे लिखे झंडे-बैनर थे तो भाजपा की तिरंगा यात्रओं में भारत माता की जय लिखे नारे हैं।

हरियाणा सरकार यदि चाहती तो इन किसान संगठनों के अराजक मंसूबों पर समय रहते शिकंजा कस सकती थी, लेकिन प्रदेश सरकार उनके विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई कर उन्हें पनपने का मौका नहीं देना चाहती थी। सरकार की इस नरमी को किसान संगठनों ने कमजोरी मान लिया। बावजूद इसके प्रदेश सरकार के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को घेरकर उनके प्रति गलत रवैया अपनाने का किसान संगठनों का सिलसिला नहीं थमा। अब भाजपा ने तिरंगा यात्रा के जरिये न केवल प्रदेश भर के लोगों को एक झंडे के नीचे लाकर खड़ा कर दिया है, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं को भी पूरी सक्रियता के साथ फील्ड में उतार दिया है।

हरियाणा में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं। भाजपा अभी तक 50 विधानसभा क्षेत्रों में तिरंगा यात्राएं निकाल चुकी है। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, सांसद संजय भाटिया, धर्मवीर सिंह, नायब सिंह सैनी, रमेश कौशिक, सुनीता दुग्गल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, मंत्री अनिल विज, पंडित मूलचंद शर्मा, संदीप सिंह, कमलेश ढांडा, कंवरपाल गुर्जर, स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता, पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा और कविता जैन के नेतृत्व में निकली इन तिरंगा यात्रओं से ऐसा माहौल बना कि आंदोलनकारी बैकफुट पर आते दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विधानसभा क्षेत्र करनाल में भी तिरंगा यात्रा निकल चुकी है। भाजपा सांसदों, मंत्रियों और विधायकों द्वारा निकाली जा रही इन यात्राओं का सकारात्मक असर उसके सहयोगी दल जजपा पर भी पड़ा है।

भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ सहभागी उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला लंबे समय से आंदोलनकारियों के निशाने पर चल रहे थे, लेकिन जब से राज्य में तिरंगा यात्राएं निकली हैं और पूरा प्रदेश देशप्रेम के रंग में ओतप्रोत हो गया है, तब से भाजपा की सहयोगी जजपा के विधायकों को भी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में गर्व के साथ सिर उठाकर चलने का मौका मिला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि किसान संगठनों का आंदोलन अपनी जगह है और तिरंगा यात्राओं का अपना अलग सम्मान है। इसके बावजूद यदि किसान संगठन अपनी जिद छोड़कर केंद्र से वार्ता करने को तैयार होते हैं तो हम इसके लिए मध्यस्थता करने के लिए आगे आएंगे।

[स्टेट ब्यूरो चीफ, हरियाणा]

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