गांव, गौत्र और गवाहंड में शादियों का विरोध, बताए वैज्ञानिक कारण, खाप पंचायतों के समर्थन में वत्स

डीपी वत्स का कहना है कि हम गौत्र गांव मां के गांव और गवाहंड (आसपास के गांव) में शादियां करने के खिलाफ हैं। यह नियम विज्ञान पर आधारित है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 10:31 AM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 10:31 AM (IST)
गांव, गौत्र और गवाहंड में शादियों का विरोध, बताए वैज्ञानिक कारण, खाप पंचायतों के समर्थन में वत्स
गांव, गौत्र और गवाहंड में शादियों का विरोध, बताए वैज्ञानिक कारण, खाप पंचायतों के समर्थन में वत्स

जेएनएन, चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी के हरियाणा से राज्यसभा सदस्य जनरल डीपी वत्स ने खुलकर खाप पंचायतों और उनके फैसलों की तरफदारी की है। उन्होंने इन खाप पंचायतों को लोक अदालतों की संज्ञा देते हुए अंतरजातीय विवाहों का समर्थन किया है। जनरल डीपी वत्स ने कहा कि खाप पंचायतों का स्वरूप और कार्यप्रणाली में काफी बदलाव आया है। वह किसी भी सूरत में आनर किलिंग के हक में नहीं हैं।

जनरल डीपी वत्स देशभर की खाप पंचायतों के सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र प्रतिनिधि थे, जिन्होंने इन खापों के हक में अपनी बात रखी। करीब छह साल पहले एनजीओ शक्तिवाहिनी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर खाप पंचायतों को तुगलकी फरमान सुनाने वाली संस्थाएं बताते हुए इन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। खाप पंचायतों पर आरोप लगाया गया था कि उनके फरमानों की वजह से समाज में डर पैदा हो रहा है। जनरल वत्स रविवार को राष्ट्रीय खाप महापंचायत द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में भी शामिल हुए।

सोमवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में वत्स ने कहा कि हम गौत्र, गांव, मां के गांव और गवाहंड (आसपास के गांव) में शादियां करने के खिलाफ हैं। यह नियम विज्ञान पर आधारित है। यदि किसी समान गौत्र में शादियां होने लग जाएंगी तो इससे कई तरह की बीमारियां पैदा होने का खतरा बना रहता है। यह रीति रिवाज बेहद पुराने चले आ रहे हैं और इनका वैज्ञानिक तथा सामाजिक आधार है।

डीपी वत्स के अनुसार खाप पंचायतें आदीकाल से लोक अदालतों का काम कर रही हैं। अब केंद्र व राज्य सरकारें भी उन्हेंं मान्यता प्रदान कर रही हैं। खाप पंचायतेंं किसी भी गांव के रीति-रिवाजों की कस्टोडियन हैं। यह रीति रिवाज सबके भले के लिए बनाए गए हैं तथा साइंस पर आधारित हैं। गौत्र में शादियां इसलिए नहीं की जाती, क्योंकि वह अपना खुद का वंश होता है। गांव का भाईचारा बरकरार रखने के लिए हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गांव की गांव में शादियां नहीं होती। खाप पंचायतें शुरू से ही आनर किलिंग के खिलाफ हैं। उन्हेंं सिर्फ योजनाबद्ध तरीके से बदनाम करने की साजिश रची जाती रही है।

राज्यसभा सदस्य ने कहा कि देसवाली हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली देहात में अभी भी यह परंपरा कायम है कि गांव, गौत्र, मां का गौत्र और गवाहंड में शादियां नहीं की जाएंगी। उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि गांव की गांव में शादियां होने लगी तो एक लड़की किसी की भाभी व किसी की बहन लगेगी। इससे गांव का चलन बिगड़ जाएगा। भाभी के लिए व बहन के लिए किसी भी व्यक्ति का अलग-अलग इमोशन होता है। उन्होंने राष्ट्रीय खाप महापंचायत द्वारा आनलाइन किए गए वेबिनार की सराहना की है।

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