अब राम रहीम को सजा सुनाने वाले जज जगदीप सिंह सुनेंगे समझौता ब्लास्ट केस
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में सुनवाई अब सीबीआइ कोर्ट के जज जगदीप सिंह करेंगे। जज जगदीप सिंह ने ही डेरा प्रमुख राम रहीम और अपना घर मामले में जसवंती देवी को सजा सुनाई थी।
पंचकूला [राजेश मलकानियां]। बहुचर्चित समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में 11 महीने से पाकिस्तानी गवाहों का इंतजार कर रही एनआइए विशेष अदालत में फिर से सुनवाई टल गई। अब इस केस की सुनवाई विशेष सीबीआइ कोर्ट के जज जगदीप सिंह करेंगे। जज जगदीप सिंह वही हैं, जिन्होंने साध्वी यौनशोषण मामले में गुरमीत राम रहीम सिंह को और रोहतक के अपना घर मामले में जसवंती देवी एवं अन्य को सजा सुनाई थी। मामले की अगली सुनवाई 17 और 18 अगस्त को होगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व निचली अदालत को एनआइए कोर्ट की मान्यता थी, परंतु जजों की पदोन्नति या ट्रांसफर के बाद नई अदालत के लिए नोटिफिकेशन जारी करनी पड़ती थी। इस कारण केस की सुनवाई में देरी हो रही थी। ऐसे में अब नियमित तौर पर सीबीआइ कोर्ट को ही एनआइए कोर्ट की मान्यता प्रदान कर दी गई है।
मामले में बचाव पक्ष वकील मुकेश गर्ग ने बताया कि अदालत से पाकिस्तानी गवाहों को समन भेजे गए थे, लेकिन न तो कोई गवाह आया और न ही कोई जवाब। मुकेश गर्ग ने जानकारी दी कि अदालत में चीफ इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर विशाल गर्ग के बयान दर्ज होने थे, लेकिन वे भी पेश नहीं हो सके। वहीं, एनआइए के एपी नीतीश कुमार, ज्युडिशियल ऑफिसर एचएस दहिया, बीएसएनएल के नोडल अफसर को अगली सुनवाई के लिए समन भेजे गए हैं।
बता दें कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट के बाद मामले की जांच के दौरान हरियाणा पुलिस द्वारा पाकिस्तान के रहने वाले 13 गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। इनमें राणा शौकत अली, उनकी पत्नी रुकसाना खातुन, नद्दीम, शकील, अब्दुल जावेद, मोहम्मद उस्मान, इमरान खान, मोहम्मद आसिफ, अब्दुल कयुम, कमरुद्दीन, अशोक कुमार स्यालकोट और रमेश स्यालकोट शामिल थे। इसके बाद केस एनआइए को ट्रांसफर हो गया था।
एनआइए अदालत की ओर से तीन बार 13 पाकिस्तानी गवाहों को मामले में गवाही देने के लिए समन किए जा चुके हैं, लेकिन पाक सरकार से सहयोग नहीं मिलने के कारण अभी कोई गवाह नहीं आया है। लगभग 11 माह पूर्व एनआइए कोर्ट की ओर से पहली बार गवाहों को भेजने के लिए पाकिस्तान विदेश मंत्रालय को समन भेजे गए थे। इसमें तीन माह का समय दिया गया था। मगर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने चार माह का समय मांगा। इसके बाद एनआइए कोर्ट की ओर से दो बार चार-चार महीने का समय देते हुए समन किया गया, लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की ओर से जबाव ही नहीं आया है।
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