चुनावी घोषणापत्र को लागू करना अनिवार्य कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी याचिका

चुनावी घोषणा पत्र को लागू करना अनिवार्य कराने सहित राजनीतिक पार्टियों को पब्लिक अथॉरिटी घोषित कर उन्हें आरटीआइ के दायरे में लाने के लिए वकील रापडिया अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 30 Aug 2016 11:29 AM (IST) Updated:Tue, 30 Aug 2016 11:51 AM (IST)
चुनावी घोषणापत्र को लागू करना अनिवार्य कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी याचिका

जेएनएन, चंडीगढ़। चुनाव के समय घोषणाओं की झड़ी लगाकर जीत के बाद उन्हें लागू न करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा। इस बारे में दाखिल जनहित याचिका को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर करार देते हुए हाई कोर्ट की पीआइएल बेंच ने इसे वापस भेज दिया था। इसके बाद याची ने कहा कि वह अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएंगे। इस याचिका में चुनावी घोषणा पत्र को लागू करना अनिवार्य कराने सहित राजनीतिक पार्टियों को पब्लिक अथॉरिटी घोषित कर उन्हें आरटीआइ के दायरे में लाने की भी अपील की गई थी।

जनहित याचिका दाखिल करते हुए हाई कोर्ट के वकील प्रदीप रापडिया ने कहा था कि चुनावों के समय एक पार्टी सत्ता हासिल करने के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा देती है और लोगों से वोट बटोरती है। वहीं जब चुनाव में जीत मिल जाती है तो पार्टी अपने घोषणापत्र को लागू करने में दिलचस्पी तक नहीं दिखाती है। इसे सही नहीं माना जा सकता। इस मामले में हाई कोर्ट बेंच ने इसे पीआइएल के तौर पर दाखिल करने की याची को छूट दी थी। इसी छूट के तहत याची ने जनहित याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी।

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सोमवार को मामला सुनवाई के लिए जस्टिस एसएस सरों और जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ के समक्ष पहुंचा। खंडपीठ ने याची से कहा कि सभी राष्ट्रीय राजनतिक दलों के मुख्यालय हरियाणा और पंजाब के बाहर हैं ऐसे में हाईकोर्ट अपने दायरे से बाहर जाकर इस मामले में आदेश जारी नहीं कर सकता है, इसलिए याचिका को वापस दिया जा रहा है।

याची ने कहा कि वह हरियाणा से संबंध रखता है और यदि वह यहां से आरटीआइ दाखिल करता है तो उसे उसका जवाब मिलना चाहिए। साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों को पब्लिक अथॉरिटी घोषित करना चाहिए और उन्हें एक पीआइओ रखना चाहिए परंतु किसी भी पार्टी ने ऐसा नहीं किया। ऐसे में चुनावी घोषणा पत्र को लागू करवाना अनिवार्य हो और सभी राजनीतिक पार्टियां पब्लिक अथॉरिटी घोषित हों। हाईकोर्ट ने इस याचिका को अधिकार क्षेत्र के बाहर का करार दिए जाने के बाद याची ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी की है।

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