Haryana News: आचार संहिता के बाद मिलेगी सरपंचों को खुशखबरी, सीएम नायब सैनी ने दिया आश्वासन
हरियाणा के सरपंचों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने के साथ बैठक की। इस बैठक में कहा मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी मांगों पर संबंधित विभाग द्वारा सकारात्मक कार्यवाही की जा रही है। इस मुलाकात के बाद सरपंचों के चेहरे पर संतुष्टि दिखी। नायब सैनी ने कहा कि चार जून के बाद उनकी एक-एक मांग को घोषणा करके पूरा किया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Lok Sabha Election 2024: मांगों को लेकर संघर्षरत सरपंचों को आचार संहिता हटने के बाद खुशखबरी मिलेगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सरपंचों के साथ बैठक में कहा कि उनकी मांगों पर संबंधित विभाग द्वारा सकारात्मक कार्यवाही की जा रही है।
चूंकि अभी लोकसभा के आदर्श आचार संहिता लगी हुई है इसलिए मांगों पर कोई निर्णय नहीं ले सकते। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरपंचों की सभी मांगों पर सहमति बन चुकी है।
चार जून के बाद उनकी एक-एक मांग को घोषणा करके पूरा किया जाएगा। इस दौरान दूनी चंद (प्रधान बाबैन), बसंत राम उमरी (सरपंच प्रतिनिधि), जीत सिंगला (सरपंच बाबैन), जितेंद्र खैहरा (जिला प्रधान सरपंच एसोसिएशन कुरुक्षेत्र) ने मांगपत्र भी सौंपा।
सीएम से मुलाकात के बाद संतुष्ट दिखे सरपंच
मुख्यमंत्री के रुख से सभी सरपंच संतुष्ट नजर आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले 10 साल में अभूतपूर्व विकास कार्य हुए हैं। उन्होंने सरपंचों का आह्वान किया कि आप सब सभी को साथ लेकर चलें।
इसी प्रकार बेहतर ढंग से कार्य करते रहें। कुछ लोग केवल अपनी राजनीति चमकाने में लगे हैं, ऐसे लोगों को झांसे में न आएं। आप सभी अपनी पंचायत में विकास योजनाओं को पूरी ईमानदारी के साथ धरातल पर उतारने का काम करें ताकि उसका लाभ ग्रामीणों को मिल सके।
बैठक के बाद सरपंच प्रतिनिधियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने हमारी बातों को ध्यान से सुना। उन्होंने आचार संहिता हटने के बाद और भी तेजी से काम करने का आश्वासन दिया।
ये है मांग
बता दें कि हरियाणा के सरपंच पंचायतों के विकास कार्यों में ई-टेंडरिंग व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने दो लाख रुपये से ऊपर के सभी विकास कार्यों को ई-टेंडरिंग के माध्यम से स्वीकृत कराने की व्यवस्था की है। सरपंच चाहते हैं कि इन विकास कार्यों को स्वीकृत करने का अधिकार सीधे उन्हें मिलना चाहिए। इसलिए वह ई-टेंडरिंग के पक्ष में नहीं हैं