पूर्व सीएम हुड्डा ने दायर की याचिका, ढींगरा आयोग की रिपोर्ट लीक करने का आरोप

पूर्व सीएम हुड्डा ने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि रिपोर्ट की कॉपी किसी अखबार के पास है, जो शुक्रवार को प्रकाशित कर सकता हैं।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Thu, 27 Apr 2017 08:10 PM (IST) Updated:Thu, 27 Apr 2017 08:10 PM (IST)
पूर्व सीएम हुड्डा ने दायर की याचिका, ढींगरा आयोग की रिपोर्ट लीक करने का आरोप
पूर्व सीएम हुड्डा ने दायर की याचिका, ढींगरा आयोग की रिपोर्ट लीक करने का आरोप

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार के कुछ अधिकारियों ने ढींगरा आयोग की रिपोर्ट को लीक कर दिया हैं। रिपोर्ट की कॉपी किसी अखबार के पास है, जो शुक्रवार को प्रकाशित कर सकता हैं। हुड्डा ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि इस रिपोर्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया जाए।

हुड्डा ने अपनी अर्जी में उस अखबार के संपादक व प्रकाशक को प्रतिवादी बनाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट से आदेश जारी करने का आग्रह किया। हालांकि इसपर जस्टिस ए के मित्तल पर आधारित डिविजन ने हुड्डा की मांग अस्वीकार कर दी है।

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डिविजन के मुताबिक हरियाणा सरकार हाईकोर्ट में अंडरटेकिंग दे चुकी है कि मामले के हाईकोर्ट में विचाराधीन रहते वो इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नही करेगी। अगर कोई अधिकारी रिपोर्ट लीक करता है तो वह हाईकोर्ट की अवमानना का दोषी होगा। ऐसे में हाई कोर्ट इस मामले में समाचार पत्र को रिपोर्ट छापने से रोकने का कोई आदेश कैसे जारी कर सकता हैं। हाई कोर्ट एक बार तो हुड्डा की यह अर्जी खारिज करने लगा था, लेकिन हुड्डा के वकील के आग्रह पर कोर्ट ने याचिका को वापस लेने की छूट दे दी।

सीएलयू मामलों की जांच को गठित किया था ढींगरा आयोग

पूर्व सीएम हुड्डा के शासनकाल में जारी सीएलयू की जांच के लिए हरियाणा सरकार ने जस्टिस ढींगरा आयोग का गठन किया था। आयोग ने सभी तरह की जांच कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। हुड्डा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर रोक की मांग करते हुए आयोग के गठन पर ही सवाल लगा दिया था।

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हुड्डा का याचिका में आरोप हैं कि आयोग का गठन राजनीतिक महत्व को देखते हुए किया गया है।  आयोग का गठन केवल इनेलो के मांग पत्र पर किया गया है। स्टिस ढींगरा आयोग के गठन का निर्णय मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने बिना कैबिनेट की मंजूरी लिए ले लिया था, जो कि नियमों के तहत गलत है। ऐसे में आयोग के गठन को खारिज किया जाए। 

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