हरियाणा में चल रहा खून का काला कारोबार, विधानसभा कमेटी की जांच में हुए सनसनीखेज खुलासे

हरियाणा में खून का काला कारोबार हो रहा है। रक्‍तदान शिविरों के नाम पर यह काला कारोबार धड़ल्‍ले से चल रहा है। इस बारे में हरियाणा विधानसभा कमेटी द्वारा की गई जांच में बड़े व सनसनीखेज खुलासे हुए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 06:18 PM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 08:41 PM (IST)
हरियाणा में चल रहा खून का काला कारोबार, विधानसभा कमेटी की जांच में हुए सनसनीखेज खुलासे
हरियाणा में रक्‍त के काले कारोबार का खुलासा हुआ है। (सांकेतिक फोटो)

चंडीगढ, जेएनएन। हरियाणा खून का काला कारोबार चल रहा है। सारा खेल रक्‍तदान शिविरों के नाम पर होता है। इस बारे में हरियाणा विधानसभा की विधायी कमेटी की जांच में सनीसनीखेज खुलासे हुए हैं। दरअसल हरियाणा विधानसभा की चिकित्सा शिक्षा के विषयों से जुड़ी विधायी समिति प्रदेश में लगातार लगने वाले रक्तदान शिविरों के बावजूद रक्त की कमी से बेहद हैरान है। कोरोना काल में सरकारी और प्राइवेट अस्पताल बंद रहे। तब न तो ज्यादा सर्जरी हुई और न ही डिलीवरी केस अस्पतालों में आए। सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ भी काफी नीचे आ गया था। इसके बावजूद ब्लड बैंकों में रक्त की कमी इसकी अवैध बिक्री और कालाबाजारी की तरफ इशारा कर रही है।

विधानसभा की विधायी समिति के सामने आया मामला तो पड़ताल में उजागर हुए कई गहरे राज

फरीदाबाद जिले की बड़खल विधानसभा सीट से भाजपा विधायक सीमा त्रिखा के नेतृत्व वाली चिकित्सा शिक्षा समिति के संज्ञान में आया है कि विभिन्न जिलों में आयोजित होने वाले रक्तदान शिविरों का कोई ब्योरा सरकार के पास नहीं रखा जाता। जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को भी अधिकृत रूप से इन शिविरों की जानकारी नहीं होती। समाजसेवी संगठन रक्त एकत्र करने की मंशा से शिविर आयोजित करते हैं और लोग समाजसेवा की भावना से ओतप्रोत होकर इन शिविरों में रक्तदान करते हैं।

जांच में खुलासा हुआ रक्‍त बाद में कहां जाता है, इसका किसी को पता नहीं होता। वास्तविकता में किसी भी शिविर के आयोजन से लेकर उसमें एकत्र होने वाले रक्त, उस रक्त को संबंधित ब्लड बैंक में भेजने तथा वहां से आधार कार्ड के जरिये मरीज या उनके तीमारदारों को यह रक्त डोनेट (दान) करने की पूरी जानकारी सिविल सर्जन कार्यालय में होनी चाहिए।

रक्तदान शिविर, इकट्ठा रक्त, उसके दान और ब्लड बैंकों से रिलीज होने वाले रक्त का हिसाब नहीं

विधानसभा की विधायी समिति ने इस बारे में तमाम सवाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से पूछे हैं, लेकिन विधायी समिति को कोई संतोषजनक जवाब या रिकार्ड उपलब्ध नहीं हो सका। इस आधार पर समिति ने आशंका जाहिर की है कि रक्तदान शिविरों में एकत्र होने वाले रक्त को निजी ब्लड बैंकों में बेचे जाने की सूचनाएं सही हो सकती हैं। इस गोरखधंधे की वजह से वास्तविक समाजसेवी संगठनों की गतिविधियों को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है, जो कि उचित नहीं है। विधायी समिति का मानना है कि रक्त किसी फैक्ट्री में नहीं बनता। इसलिए उसके दान से लेकर संबंधित व्यक्ति को चढ़ाए जाने तक का पूरा हिसाब स्वास्थ्य विभाग के पास होना चाहिए।

आखिर कहां चला जाता है 700 यूनिट रक्त

पूर्व मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा के नेतृत्व वाली इस विधायी समिति में डा. रघुवीर कादियान, जगदीश नायर, रामकुमार कश्यप, डा. कमल गुप्ता, नैना सिंह चौटाला, शैली चौधरी, शीशपाल सिंह, नयनपाल रावत व इंदुराज नरवाल शामिल हैं। विधायी समिति का मानना है कि एक जिले में औसतन एक हजार यूनिट रक्त इकट्ठा होता है। अमूमन 200 यूनिट रक्त थैलीसीमिया के मरीजों को, 50 यूनिट डिलीवरी केस में और 50 यूनिट सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामले में इस्तेमाल होता है।

कमेटी के अनुसार, ऐसे में बाकी बचा 700 यूनिट रक्त कहां गया, यह तहकीकात का विषय है। अगर सीएमओ के पास इसका पूरा हिसाब होगा तो समाजसेवियों द्वारा दिए जाने वाले रक्त के बेचे जाने की दुर्गति नहीं होगी तथा जरूरतमंद लोग निजी ब्लड बैंकों से अधिक रेट पर रक्त खरीदने के लिए मजबूर नहीं हो सकेंगे।

रक्त बिक्री के तार अंतरराज्यीय स्तर पर जुड़े

विधायी समिति को इस बात की भी आशंका है कि रक्त बिक्री का यह कारोबार अंतरराज्यीय स्तर पर हो रहा है। सरकारी आंकड़े भी इस बात के गवाह हैं कि हर साल करीब सवा लाख यूनिट रक्त समाजसेवियों द्वारा दान किया जाता है, लेकिन इस्तेमाल कितना होता है, यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बताते हुए हिचकिता जाते हैं।

विधायी समिति को जब अपने सवालों का जवाब नहीं मिला तो उसने स्वास्थ्य विभाग के समक्ष कुछ सिफारिशें की हैं, जिनके आधार पर रक्तदान शिविर आयोजित होने से लेकर उनमें रक्तदान करने वाले, इकट्ठा होने वाले रक्त, उस रक्त को संबंधित ब्लड बैंक में भेजने और वहां से रिलीज होने वाले रक्त की पूरी जानकारी हो सकेगी।

 विधायकी समिति ने सरकार से कीं ये सिफारिशें  - रक्तदान शिविरों की अनुमति सीएमओ प्रदान करे। - रक्तदान करने वालों के आधार कार्ड लिए जाएं और सारा रक्त सीएमओ के माध्यम से जरूरतमंद ब्लड बैंकों में भेजा जाए। - ब्लड बैंक में मौजूद रक्त का पूरा हिसाब सीएमओ के पास होना चाहिए। - ब्लड बैंक से दिए जाने वाले रक्त के बारे में पूरी डिटेल उसी दिन सीएमओ के पास भेजी जाए। - जिस व्यक्ति को रक्तदान किया जा रहा है, उसका आधार कार्ड नंबर लिया जाए। - अस्पतालों के प्रवेश द्वार पर रक्त बैंक संबंधी साइन बोर्ड लगें। - हेल्प लाइन नंबर 1075 पर पूरी डिटेल दी जाए।

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प्रदेश में रक्त के अवैध कारोबार की कराएंगे जांच : विज

हरियाणा विधानसभा की चिकित्सा शिक्षा विषय कमेटी की रक्त के अवैध कारोबार से जुड़ी रिपोर्ट पर गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट प्रायोगिक तौर पर मेरे सामने नहीं आई है, लेकिन मैंने इसे इंटरनेट मीडिया पर जरूर देखा है। मैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इस बारे में पूरी रिपोर्ट प्राप्त करूंगा। विधानसभा की विधायी कमेटी ने यदि कोई रिपोर्ट दी है तो उसकी जांच कराई जाएगी और उचित कार्रवाई होगी। साथ ही हम कमेटी से भी बात करेंगे, ताकि समस्या का समाधान हो सके।

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