मनोहर की अटल यादें, वाजपेयी जी ने चंद मिनटों में दूर कर दी हरियाणा में भाजपा-इनेलो की तल्खी

Memories of Atal Bihari Vajpayee पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बेशुमार यादें हरियाणा से भी जुड़ी रही हैं। हरियाणा के सीएम मनोहरलाल ने अटल जी की यादों को साझा किया है। उनके अनुसार अटल जी सियासर तल्‍खी मिनटों में दूर कर देते थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 22 Dec 2020 07:30 PM (IST) Updated:Wed, 23 Dec 2020 08:12 AM (IST)
मनोहर की अटल यादें, वाजपेयी जी ने चंद मिनटों में दूर कर दी हरियाणा में भाजपा-इनेलो की तल्खी
हरियाणा के मुख्‍यमत्री मनोहरलाल और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। Memories of Atal Bihari Vajpayee: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दूर से देखने वाले आम लोगों या फिर उनके साथ राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले राजनेताओं हों उनको लेकर यादें अविस्मरणीय हैं। अटल जी को दूर से सुनने व देखने वाले उनके व्यक्तित्व तो राजनेता उनकी राजनीतिक सूझबूझ के अभी भी कायल हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए बताते हैं कि वह सियासत में तल्‍खी को चंद क्षणों में खत्‍म कर देते थे और समन्‍वय की राह दिखाते थे। इस संबंध में वह 1999 में भाजपा-इनेलो में लोकसभा चुनाव में सीटाें के बंटवारे को लेकर पैदा तल्‍खी को दूर करने के वाक्‍ये को याद करते हैं।

सीएम मनोहरला बताते हैं, 1999 के लोकसभा चुनाव में इनेलो-भाजपा गठबंधन हुआ था। तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संगठन की दृष्टि से प्रदेश भाजपा के प्रभारी थे और वह (मनोहरलाल) संगठन महामंत्री। मोदी जी चाहते थे गठबंधन समझौते में हरियाणा की दस लोकसभा सीटों में से भाजपा को इनेलो के बराबर पांच सीटें मिलनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने अपने राजनीतिक तर्क भी तैयार कर लिए थे।

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मनोहरलाल बताते हैं, केंद्रीय नेतृत्व ने भी इसके लिए हरी झंडी दे दी थी, लेकिन इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला से इस मुद्दे पर तल्खी पैदा हो गई। इनेलो प्रमुख चाहते थे कि समझौते में छह सीट इनेलो और चार सीट पर भाजपा लड़े। प्रदेश प्रभारी के नाते नरेंद्र मोदी ने यह प्रस्ताव सिरे से खारिज कर दिया। मामला दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी के दरबार में आया।

1999 में तत्कालीन हरियाणा भाजपा प्रभारी नरेंद्र मोदी पांच सीट से कम पर नहीं करना चाहते थे समझौता

मनोहरलाल कहते हैं, अटल जी ने इस मुद्दे को सुलझाने में पांच मिनट से भी ज्यादा की देर नहीं लगाई। पहले इनेलो प्रमुख से पूछा कि उनके पास सोनीपत सीट से चुनाव लड़ाने के लिए सशक्त उम्मीदवार कौन है। चौटाला ने किशन सिंह सांगवान का नाम लिया। भाजपा संगठन से उम्मीदवार का नाम पूछा तो बताया कि प्रदेश भर में अटल जी की लहर है, जिसको टिकट देंगे, वही जीत जाएगा। बस फिर क्या था, अटल जी ने कहा कि किशन सिंह सांगवान को ही भाजपा में शामिल करके इन्हें टिकट थमा दो।

मनोहर बताते हैं, फैसला मोदी जी के अनुकूल यह हुआ कि भाजपा पांच सीट पर चुनाव लड़ेगी। सोनीपत सीट पर उम्मीदवार इनेलो का होगा लेकिन वह चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ेगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल बताते हैं कि इसी तरह के फैसलों के चलते अटल जी भारतीय राजनीति में गठबंधन की राजनीति के तो हमेशा पुरोधा माने जाएंगे।

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