Ambience Mall Gurugram Case: सीबीआइ ने कहा- सही दिशा में बढ़ रही जांच, हाई कोर्ट में दी स्टेटस रिपोर्ट

Ambience Mall Gurugram Case गुरुग्राम के एंबिएंस मामले में सीबीआइ ने केस की स्टेटस रिपोर्ट पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दे दी है। हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि सीबीआइ को जिन भी दस्तावेजों की जरूरत हो उपलब्ध करवाए जाएं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 04:39 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 04:39 PM (IST)
Ambience Mall Gurugram Case: सीबीआइ ने कहा- सही दिशा में बढ़ रही जांच, हाई कोर्ट में दी स्टेटस रिपोर्ट
हाई कोर्ट व एंबिएंस माल की सांकेतिक फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। Ambience Mall Gurugram Case: गुरुग्राम में रिहायशी सोसायटी के लिए मंजूर भूमि पर एंबिएंस मॉल बनाने की अनुमति देने के मामले में सोमवार को सीबीआइ की तरफ से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अंतरिम सील बंद स्टेटस रिपोर्ट सौंपी गई। जस्टिस राजन गुप्ता जस्टिस कर्मजीत सिंह ने सुनवाई के दौरान सरकार को कि अभी सीबीआइ जांच जारी है, पूर्ण जांच के लिए सीबीआइ को जिन दस्तावेज की जरूरत पड़े सरकार उसे उपलब्ध करवाए। इसी के साथ हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 22 मार्च तक स्थगित कर दी।

सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने कोर्ट को बताया कि जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है। याचिका दाखिल करते हुए गुरुग्राम निवासी अमिताभ सेन व अन्य ने हाई कोर्ट को बताया था कि जिस भूमि पर एंबिएंस माल बना है वह रेजिडेंशियल सोसायटी के लिए मंजूर की गई थी। यहां पर रिहायशी निर्माण करने की योजना थी, लेकिन अचानक इसे हरियाणा सरकार ने परिवॢतत करते हुए यहां पर कमर्शियल इमारत बनाने की मंजूरी दे दी।

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अपील की थी कि याचिका लंबित रहते निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए और निर्मित की गई इमारत को गिराया जाए। पांच साल से लंबित इस याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में प्राइवेट बिल्डरों और स्टेट अथारिटी के अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण किया गया है और इस तरह के कार्य होने पर हाई कोर्ट आंखें मूंदे नहीं बैठा रह सकता है।

हाई कोर्ट ने कहा कि आम आदमी के अधिकारों का हनन करते हुए किसी बिल्डर को अमीर बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिस प्रकार मनमाने तरीके से रेजिडेंशियल सोसायटी पर कमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण किया गया है उस से अनुमति देने की पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आकर खड़ी हो गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकार रिहायशी सोसाइटी की जमीन को माल के लिए देना अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है जिसकी जांच आवश्यक है।

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