टापबॉक्स --80 फीसद डीटीएच व एजुसेट ठप, विद्यार्थी कैसे सुनें मन की बात

जागरण संवाददाता, नारनौल : विद्यार्थियों को परीक्षा में तनाव रहित रहने एवं बेहतर परिणाम के

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Feb 2018 04:46 PM (IST) Updated:Thu, 15 Feb 2018 04:46 PM (IST)
टापबॉक्स --80 फीसद डीटीएच व एजुसेट ठप, विद्यार्थी कैसे सुनें मन की बात
टापबॉक्स --80 फीसद डीटीएच व एजुसेट ठप, विद्यार्थी कैसे सुनें मन की बात

जागरण संवाददाता, नारनौल : विद्यार्थियों को परीक्षा में तनाव रहित रहने एवं बेहतर परिणाम के लिए स्कूलों में डीटीएच व एजुसेट के माध्यम से 16 फरवरी को प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाना अनिवार्य किया गया है, लेकिन जिले के विद्यार्थी मन की बात नहीं सुन पाएंगे। हालांकि कुछ स्कूलों में जुगाड़ व्यवस्था से यह कार्यक्रम दिखाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन अधिकांश विद्यार्थियों के लिए पीएम के मन की बात सुनने में डीटीएच रोड़ा बने हुए हैं। बिजली संकट एवं अन्य तकनीकी खामियों के चलते जिले में अधिकांश डीटीएच ठप पड़े हैं।

शिक्षा विभाग से संबद्ध उत्कर्ष सोसायटी पंचकुला की ओर से वर्ष 2007 में जिले के मिडिल एवं हाई स्कूलों को छोड़कर सीनियर सेकंडरी एवं प्राइमरी स्कूलों में डीटीएच सर्विस की सुविधा दी गई थी। इस सुविधा का उद्देश्य शिक्षा संबंधित कार्यक्रम विद्यार्थियों को दिखाने के साथ ही उन्हें विषय विशेषज्ञों द्वारा स्क्रीन के जरिए क्लास रूम में पढ़ाई कराना था। इसी के तहत जिले के 593 सीनियर सेकंडरी एवं प्राइमरी स्कूलों में डीटीएच लगाए गए थे। इनमें 71 सीनियर सेकंडरी स्कूल शामिल थे। इनमें से 5 सेंटरों गहली, शहबाजपुर एवं नावां आदि के डीटीएच चोरी हो चुके हैं। इसी प्रकार करीब 100 प्राइमरी स्कूलों में भी यह सुविधा नहीं है। करीब 40 प्राइमरी स्कूलों से डीटीएच चोरी हो गए तो अनेक स्कूलों को कम छात्र संख्या के चलते नजदीकी प्राइमरी स्कूलों में समायोजित कर दिया गया। अब जो हैं उनमें भी बिजली, बैटरी या सौर ऊर्जा आदि की कोई सुविधा नहीं है। जहां ठीक है, वहां बिजली के अघोषित कट लंबे समय से परेशानी का सबब बने हुए हैं। ऐसे में कहीं मोबाइल के माध्यम से तो कहीं ग्राम पंचायत के सहयोग से विद्यार्थियों को पीएम का कार्यक्रम दिखाने के लिए विभागीय स्तर पर अब तैयारी हो रही है। प्रधानमंत्री 16 फरवरी सुबह साढ़े दस बजे से 12 बजे तक लाइव टेलीकास्ट एजुसेट तथा टेलीविजन प्रोजेक्ट के माध्यम से बातचीत करेंगे।

घटिया किस्म की थी बैटरियां :

जब सरकारी स्कूलों में सरकार ने डीटीएच सुविधा दी थी, तब शिक्षा विभाग ने खूब सपने दिखाए थे, मगर ये सभी कुछ दिनों बाद ही तार-तार हो गए। डीटीएच की बैटरियों ने काम करना छोड़ दिया। स्कूलों में पावर कट की समस्या और बैटरियां खराब होना इस सर्विस पर भारी पड़ने लगे। वर्ष 2007 से अब तक महज 83 डीटीएच की बैटरियां ही वर्ष 2012 में बदली गई थी। वे भी अब कंडम हो चुकी हैं। ऐसे में कोई भी डीटीएच ठीक ढंग से काम नहीं कर रहा और सरकार का लाखों रुपये बेकार हो चुका है। हालात ये हैं कि पूरे जिले में एकमात्र जूनियर इंजीनियर से काम चलाया जा रहा है।

''जिले में डीटीएच की बैटरियां खराब होने के बारे में अनेक बार अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। बैटरियां मिलेंगी, तब इन्हें चालू किया जाएगा। फिलहाल जहां बिजली सुविधा है, उन्हीं डीटीएच पर काम किया जा रहा है।

- संदीप यादव, कनिष्ठ अभियंता, (डीटीएच) शिक्षा विभाग, नारनौल।

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