मान्यता प्राइमरी की, पढ़ाई 12वीं तक

-22 स्कूल हैं नांगला चौधरी में मान्यता प्राप्त -27 स्कूल चल रहे हैं मान्यता के बिना -8000 छात्र

By Edited By: Publish:Sun, 22 Jan 2017 10:27 PM (IST) Updated:Sun, 22 Jan 2017 10:27 PM (IST)
मान्यता प्राइमरी की, पढ़ाई 12वीं तक
मान्यता प्राइमरी की, पढ़ाई 12वीं तक

-22 स्कूल हैं नांगला चौधरी में मान्यता प्राप्त

-27 स्कूल चल रहे हैं मान्यता के बिना

-8000 छात्र पढ़ रहे हैं गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में

संवाद सहयोगी, नांगल चौधरी : फर्जी शिक्षण संस्थानों व मान्यता से ऊपर कक्षाएं संचालित करने वाले विद्यालयों पर शिक्षा विभाग की अनदेखी छात्रों के भविष्य पर भारी पड़ सकती है। यहां हैरत करने वाली बात तो यह है कि प्राइमरी-मिडिल की मान्यता प्राप्त स्कूल धड़ल्ले से दसवीं व बारहवीं तक की कक्षाएं संचालित कर रहे है। इससे जहां शिक्षा विभाग के नियमों की तो अनदेखी हो रही है। वहीं, ऐसे विद्यालयों में मान्यता से ऊपर कक्षाओं में पढ़ाने वाले बच्चों का भविष्य अवश्य दांव पर नजर आ रहा है।

एक आरटीआइ कार्यकर्ता ने इसकी जानकारी के साथ ही सीएम ¨वडों पर जाने का बीड़ा उठाया है। सूत्र बताते हैं कि यह सारा खेल शिक्षा विभाग के आशीर्वाद से ही फलफूल रहा है। यही वजह है कि क्षेत्र में फर्जी स्कूलों की संख्या मान्यता प्राप्त वाले स्कूलों से भी अधिक हैं। ये फर्जी स्कूल भी ऐसे हैं जिनका शिक्षा विभाग के नियमों से कोई लेना-देना नहीं है। इनमें अध्ययनरत बच्चों का एडजेस्टमेंट मान्यता प्राप्त स्कूलों में ही चल रहा है।

फर्जी शिक्षण संस्थानों की संख्या है अधिक :

नांगल चौधरी में फर्जी स्कूलों की संख्या मान्यता प्राप्त स्कूलों से भी अधिक नजर आ रही है। विभागीय जानकारी के मुताबिक यहां 22 के करीब स्थाई मान्यता प्राप्त स्कूल हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त 27 स्कूल फर्जी तरीके से संचालित हो रहे हैं। जिनका शिक्षा विभाग के पास कोई रिकार्ड ही नही है। ऐसे फर्जी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या भी आठ हजार से ऊपर बताई जा रही है। ऐसे में साफ है कि शिक्षा में भ्रष्टाचार की बदबू ने शिक्षा अधिकारियों पर ही सवाल खड़े कर दिए है। विभागीय सूत्र ही बताते है कि ऐसे फर्जी स्कूल कुछ विभागीय अधिकारियों के आशीर्वाद से ही चल रहे हैं। लेकिन इसके पीछे राज क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आ पाएगा।

एडजेस्टमेंट के नाम पर कूट रहे दाम :

एडजेस्टमेंट के खेल से भी फर्जी स्कूलों को बढ़ावा मिल रहा है। यहां शहर में स्थित एक निजी स्कूल में फर्जी स्कूलों व मान्यता से उपर की कक्षाएं पढ़ाने वाले स्कूलों के दसवीं, ग्यारहवीं व बारहवीं के बच्चे एडजेस्ट किए जाते हैं। एडजेस्टमेंट की एवज में स्कूल प्रबंधक दसवीं कक्षा के प्रति छात्र दो हजार रुपए, ग्यारहवीं कक्षा के प्रति छात्र पच्चीस सौ रुपए तथा बारहवीं कक्षा के एडजेस्टमेंट पर प्रति छात्र तीन हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस तरह एडजेस्टमेंट पर वसूली जाने वाली लाखों रुपए की राशि में कुछ हिस्सा मुंह बंद करने के लिए बांट दिया जाता है। यही वजह है कि शहर में ही संचालित इस तरह का फर्जीवाड़ा करने वाले स्कूल पर आज तक शिक्षा अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि फर्जी तरीके से छात्रों का नाम चलाने पर मान्यता रद करने का प्रावधान है।

शहर में ही चल रहे हैं फर्जी स्कूल :

यदि यहां शिक्षा विभाग की अंधेरगर्दी की ही बात करे तो ग्रामीण क्षेत्र की बात तो छोड़िए, नांगल चौधरी शहर में ही दसवी व बारहवीं कक्षा तक के कई फर्जी स्कूल चल रहे हैं। जिनका शिक्षा विभाग से कोई लेना देना ही नहीं है, लेकिन अब बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को लेकर आरटीआइ कार्यकर्ता शिक्षा विभाग से कक्षावार मान्यता प्राप्त स्कूलों की जानकारी लेने के बाद सीएम ¨वडों में शिकायत करेंगे। इससे फर्जी स्कूल संचालकों के साथ ही शिक्षा अधिकारियों की भी परेशानी बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है।

मामला संज्ञान में आया है। फर्जी स्कूलों पर कार्रवाई के लिए संबंधित बीइओ को आदेश करेंगे। वे खुद भी इसका पता लगाएंगे। इसके बाद फर्जी तरीके से संचालित स्कूलों पर विभागीय कार्यवाही करेंगे।

-मुकेश लावनिया, जिला शिक्षा अधिकारी नारनौल

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