केंद्र और राज्य सरकार ने युद्ध के घावों की अनदेखी की

10 अगस्त 1988 को श्रीलंका में एलटीटीई से लोहा लेते हुए गोली लगने से घायल हुए हरजीत सिंह ने प्रदेश सरकार पर युद्ध घावों के आधार पर परिवार में नौकरी न देने का आरोप लगाया है। इसके लिए प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री को पत्र लिखकर पत्रों के आधार पर कार्रवाई करने की बात कही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Jul 2019 06:20 AM (IST) Updated:Tue, 09 Jul 2019 06:20 AM (IST)
केंद्र और राज्य सरकार ने युद्ध के घावों की अनदेखी की
केंद्र और राज्य सरकार ने युद्ध के घावों की अनदेखी की

संवाद सहयोगी, शाहाबाद : 10 अगस्त 1988 को श्रीलंका में एलटीटीई से लोहा लेते हुए गोली लगने से घायल हुए हरजीत सिंह ने प्रदेश सरकार पर युद्ध घावों के आधार पर परिवार में नौकरी न देने का आरोप लगाया है। इसके लिए प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री को पत्र लिखकर पत्रों के आधार पर कार्रवाई करने की बात कही है। गांव रामनगर के हरजीत सिंह ने कहा कि वह भारतीय सेना की तरफ से 1988 में शांति सेना में शामिल था और श्रीलंका गया था। जहां एलटीटीई से लोहा लेते हुए उसे गोली लग गई थी और वह घायल हो गया था। जिस पर सेना की ओर से उसे बेटल केजवेल्टी का प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है। हरजीत सिंह ने कहा कि हरियाणा में ग्रुप डी व पुलिस की भर्ती निकली थी। जिसमें उसके बेटे जसबीर सिंह ने भी आवेदन किया था और अपने योग्यता प्रमाण पत्र के साथ-साथ पिता का युद्ध घाव होने प्रमाण पत्र भी लगाया था। बेटे जसबीर सिंह के ग्रुप डी पुलिस परीक्षा में 90 में से 65-65 प्रश्न ठीक थे। लेकिन उसके बावजूद भी उसके बेटे को युद्ध के घाव व योग्यता प्रमाण पत्र का लाभ नहीं दिया और उसके बेटे जसबीर को नौकरी नहीं मिली। हरजीत ने कहा कि इस पर उसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षामंत्री को पत्र लिखकर बेटे को नौकरी दिए जाने की मांग की है। हरजीत ने कहा कि प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री कार्यालयों से उसे जवाबी पत्र मिले हैं जिस पर उसकी मांग पर ध्यान देने की बात कही गई है। हरजीत ने कहा कि वह नियमों के अनुसार उसके परिवार में नौकरी मिलनी चाहिए, लेकिन उसकी मांग को अनदेखा किया जा रहा है। हरजीत ने कहा कि सरकार के खिलाफ वह अपनी लड़ाई जारी रखेगा और बेटे के लिए नौकरी लेकर रहेगा।

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