श्रीमदभागवत कथा लगाती भवसागर से पार : रामलाल

संवाद सूत्र, नि¨सग : अग्रवाल धर्मशाला में गर्ग परिवार की ओर से करवाई जा रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 May 2018 07:58 PM (IST) Updated:Wed, 23 May 2018 07:58 PM (IST)
श्रीमदभागवत कथा लगाती भवसागर से पार : रामलाल
श्रीमदभागवत कथा लगाती भवसागर से पार : रामलाल

संवाद सूत्र, नि¨सग : अग्रवाल धर्मशाला में गर्ग परिवार की ओर से करवाई जा रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन आचार्य रामलाल शास्त्री ने श्रद्धालुओं को कथा का महात्म सुनाया।

उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण जीव को उसी प्रकार पार लगाता है, जिस प्रकार महाप्रेत योनी को प्राप्त दुष्ट दुंधुकारी को भगवान ने मोक्ष दिया था। उन्होंने बताया कि आत्मदेह नामक ब्राह्मण को संतान की प्राप्ति नही होने पर पर वह वन में आत्महत्या करने लगता है। उसी समय एक तपस्वी उसे रोककर कारण पूछता है। बाद में संतान प्राप्ति के वरदान स्वरूप एक फल देता है। जिसे उसकी पत्नी खुद नही खाकर गाय को खिला देती है।

ब्राह्मण के वन गमन जाने पर वह गाय के पेट से गोकर्ण पैदा होता है जो कांशी में पढ़ने जाता है। ब्राह्मण के आने से पूर्व उसकी पत्नी बहन के बेटे को पुत्र बना लेती है। जो बड़ा होकर दुष्ट प्रवृत्ति को धारण कर अपने माता-पिता की हत्या कर देता है। बाद में लोग उसे मारकर उन्हीं के मकान में दबा देते हैं, बाद में जो महाप्रेत योनी को प्राप्त होता है। जिसके मोक्ष हेतु गोकर्ण कई यत्न करता है, लेकिन उसे मोक्ष नहीं मिलता। अत्यंत विद्वान ब्राह्मणों के परामर्श से वह श्रीमद्भागवत कथा करवाता है। जिसे महाप्रेत दुंधुकारी बांस पर बैठकर सुननता है। जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने श्रवण कर पुण्य का लाभ लिया।

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