जतिन को करना है पापा का सपना पूरा, मानव को बदलना हैं मोबाइल का सॉफ्टवेयर

जागरण संवाददाता, करनाल : नन्ही सी उम्र और सपना बड़ा। कैसे होगा पूरा। बिना कुछ सोचे समझे

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 May 2018 01:55 AM (IST) Updated:Tue, 01 May 2018 01:55 AM (IST)
जतिन को करना है पापा का सपना पूरा, मानव को बदलना हैं मोबाइल का सॉफ्टवेयर
जतिन को करना है पापा का सपना पूरा, मानव को बदलना हैं मोबाइल का सॉफ्टवेयर

जागरण संवाददाता, करनाल : नन्ही सी उम्र और सपना बड़ा। कैसे होगा पूरा। बिना कुछ सोचे समझे मेहनत में जुट गए और पहली सफलता हाथ लगी। जेईई मेन के परीक्षा परिणाम में बेहतर प्रदर्शन वाले दो होनहार इस क्षेत्र में अपना करियर क्यों सुनिश्चित करना चाहते हैं। यह जानने के लिए होनहार जतिन ढींगड़ा और मानव मेहता से दैनिक जागरण ने बातचीत की।

753वां रैंक हासिल करने वाले जतिन का कहना है पापा का सपना है कि मैं इंजीनियर बनू। इसके लिए मेहनत कर रहा हूं। ..मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं। अभी तो पहली सफलता है। मुकाम तक पहुंचकर ही रहूंगा। उसने बताया कि बचपन एक बार किसी से बात करते हुए पापा के मुंह से सुना था कि बेटे को इंजीनियर बनाना है। तब ही ठान लिया था। अब कंप्यूटर विषय में ही शुरू से रुचि रही है तो कंप्यूटर इंजीनियर बनकर ही पापा का सपना पूरा करुंगा।

जतिन के पिता सुरेश कुमार का पानीपत में अपना कार गैराज है। वहीं माता मीना भी उसे पढ़ाई में शुरू से मदद करती आई हैं। पानीपत के कान्वेंट स्कूल से 12वीं क्लास में टाप करने वाल जतिन अब आईआइटी में एडमिशन चाहते हैं। ताकि मुकाम तक आसानी से पहुंच सके। इसके लिए वे पिछले दो साल से तैयारी कर रहे हैं। करनाल की जेनेसिस क्लासिस से एग्जाम की तैयारी करने के लिए वे एक साल से यहां होस्टल में रह रहे हैं।

मोबाइल सॉफ्टवेयर में करना है बदलाव

जेईई मेन में 7002 रैंक पाने वाले मानव मेहता मोबाइल की दुनिया में बदलाव करना चाहते हैं। उनका कहना है कि साफ्टवेयर ऐसा होना चाहिए कि जो हर मन को बाहे और आसानी से लोग उसे समझते हुए उपयोग कर सकें। उन्होंने बताया कि जब वह छठी कक्षा में तब पहली बार उनके घर में मोबाइल फोन आया। लेकिन उसका साफ्टवेयर उसे पसंद नहीं आए। तब से अब तक कई फोन भी बदले। लेकिन कुछ नया नहीं दिखा। इसलिए फ्रंट एंड डेवलपर बनने की ठानी है। इसके लिए वे प्रयास कर रहे हैं। अपनी पहली सफलता को श्रेय उन्होंने अपने शिक्षकों व पिता विजय और मां को दिया।

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