छठ की छटा में करनाल बना पूर्वाचल, उमड़ी असीम श्रद्धा

ये छठ की छठा में ही संभव है। करनाल शहर पूर्वांचल की गोद में था। असीम श्रद्धा का भाव उमड़ा तो अद्भुत नजारा बनता चला गया। पूर्वांचल के शहरों व गांवों में लोग अपने अपने यहां इस पर्व को मनाते हैं। लेकिन करनाल की पश्चिमी यमुना नहर पर पूरा पूर्वांचल एक साथ छठ पर्व को मना रहा था।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Nov 2019 09:08 AM (IST) Updated:Sun, 03 Nov 2019 09:08 AM (IST)
छठ की छटा में करनाल बना पूर्वाचल, उमड़ी असीम श्रद्धा
छठ की छटा में करनाल बना पूर्वाचल, उमड़ी असीम श्रद्धा

जागरण संवाददाता, करनाल : ये छठ की छठा में ही संभव है। करनाल शहर पूर्वांचल की गोद में था। असीम श्रद्धा का भाव उमड़ा तो अद्भुत नजारा बनता चला गया। पूर्वांचल के शहरों व गांवों में लोग अपने अपने यहां इस पर्व को मनाते हैं। लेकिन करनाल की पश्चिमी यमुना नहर पर पूरा पूर्वांचल एक साथ छठ पर्व को मना रहा था। करीब सवा लाख लोग थे। इनमें कोई पूर्णिया जिले से तो कोई समस्तीपुर से था। कोई पटना तो कोई बेगुसराय से। पूर्वांचल के अलग अलग जिलों के एक जगह मिलन का गवाह पश्चिमी यमुना नहर का पानी बना। शाम के समय डूबते सूर्य को श्रद्धालुओं ने अ‌र्ध्य दिया तो इसमें शहर के लोग भी शामिल हुए। क्योंकि पूर्वांचल से चलकर आई यह श्रद्धा करनाल के लोगों के दिलों में भी बस चुकी है।

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घाट में सेवा की लगन में जम्मू से छुट्टी लेकर आए

छठ पर्व पर्व के उत्साह में जम्मू में नौकरी करने वाले करीब 60 युवक विशेष तौर पर करनाल आते हैं। युवक धर्मेंद्र ने बताया कि वह मूल तौर पर बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले हैं। लेकिन पिछले कई साल से करनाल के गांधीनगर में रह रहे हैं। वह और उसके सहित करीब 60 युवक जम्मू में अलग अलग कंपनियों में काम करते हैं। लेकिन छठ पर्व पर वह सभी विशेष तौर पश्चिमी यमुना नहर पर सेवा करने के लिए आते हैं। यहां जो भी उनकी ड्यूटी लगाई जाती है, उसका पालन करते हैं। फोटो---21 नंबर है।

ये नजारा तो पूर्वांचल में भी नहीं बनता

छठ पर्व सेवा समिति मंडल के सचिव दीवाकर प्रसाद मानते हैं कि पश्चिमी यमुना नजर पर छठ पर्व पर बना नजारा पूर्वांचल भी नहीं बनता। वहां पर अलग अलग शहरों व गांवों के लोग अपने अपने स्तर पर इस विशेष पर्व को मनाते हैं। लेकिन यहां तो पूर्वांचल के कोने-कोने से आए लोग एकत्रित होते हैं। फोटो---22 नंबर है।

घाट-घाट पर असीम श्रद्धा

पश्चिमी यमुना नहर पर काछवा पुल से लेकर कैथल पुल तक डेढ़ किलोमीटर के दायरे में दोनों ओर विशेष तौर पर घाट बनाए गए। इन घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया। छठ पर्व सेवा समिति मंडल ने घाट प्रबंधन का काम संभाला तो श्रद्धालुओं ने अपने स्तर पर भी आकर साफ सफाई की। समिति के उपाध्यक्ष शत्रुघन राय ने कहा कि करीब 300 वालिंटियर प्रबंधन के काम में लगे हुए हैं। पूर्वांचल के लोगों की मांग बनाया तालाब

वार्ड नंबर चार में करीब पांच हजार लोग पूर्वांचल से आकर रह रहे हैं। इन लोगों की कई सालों से डिमांड थी कि छठ पर्व पर स्नान करने के लिए उन्हें यही पर तालाब बनाकर दिया जाए। इस बार पर्व से पहले उनकी यह डिमांड पूरी कर दी गई। पार्षद प्रतिनिधि भूपेंद्र नोतना ने बताया कि पूर्वांचल समाज के लोगों से उनका गहरा नाता है। इसी वजह से नगर निगम की खाली जमीन पर तालाब बनाकर दिया गया है। ताकि उन्हें पर्व के दिन दूर नहीं जाना पड़े।

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