भक्तों के लिए चितित रहते हैं परमात्मा : पंडित चेतनदेव
पंडित चेतनदेव ने बताया कि भगवान विष्णु ने वृंदा के पतिव्रत धर्म से मोहित हो कर लगातार उसकी चिता भस्म पर लोट रहे हैं। वहीं वृंदा का पतिव्रत धर्म समाप्त होते ही जलंधर का बल क्षीण होने लगा। तभी विष्णु ने सुदर्शन सहित अपना तेज भगवान शिव को दे दिया।
जागरण संवाददाता, करनाल : परमात्मा देवताओं तथा अपने भक्तों के कार्य की सिद्धि के लिए श्राप ग्रहण करने में भी हिचकिचाते नहीं हैं। क्योंकि परमात्मा ने देवताओं की सिद्धि के लिए पतिव्रता वृंदा का शील हर लिया और इस पर वृंदा ने क्रोधित हो कर भगवान विष्णु को श्राप दे दिया। परमात्मा ने उस श्राप को ग्रहण कर लिया, परंतु साथ ही वृंदा को वर भी दे दिया कि तुम वृक्ष रूप में मुझे मिलोगी। यह प्रवचन उत्तम औषधालय के प्रांगण में चल रही कार्तिक मास की कथा में पंडित चेतन देव ने दिए।
पंडित चेतनदेव ने बताया कि भगवान विष्णु ने वृंदा के पतिव्रत धर्म से मोहित हो कर लगातार उसकी चिता भस्म पर लोट रहे हैं। वहीं वृंदा का पतिव्रत धर्म समाप्त होते ही जलंधर का बल क्षीण होने लगा। तभी विष्णु ने सुदर्शन सहित अपना तेज भगवान शिव को दे दिया। फिर शिवजी अपना, ऋषियों के तप का, पतिव्रता स्त्रियों का तथा ब्रह्मा का तेज उसमें जोड़कर जलंधर दैत्य पर छोड़ दिया। जिससे उसका सिर कट भूमि पर गिर पड़ा। सिर शरीर से अलग होते ही जलंधर का तेज निकल शिव में तथा वृंदा का तेज पार्वती में समा गया।
इससे पूर्व संगीत मंडली द्वारा अपने मधुर भजनों से उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। वैद्य देवेन्द्र बतरा, पत्नी दर्शना बतरा व सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हवन में आहुति डाली। इस अवसर पर राजेंद्र मोहन शर्मा, भारत भूषण, बीना मलिक, सोनू मलिक, सुभाष गुरेजा व रामलाल ग्रोवर मौजूद रहे।