डीसी ने सहायक चकबंदी अधिकारी के तबादले के साथ विभागीय जांच की सिफारिश
जमीन की जमाबंदी का रिकार्ड कोठी में मिलने के मामले में डीसी विनय प्रताप ने सहायक चकबंदी अधिकारी दलबीर सिंह का तबादला और मामले की विभागीय जांच की सिफारिश की है।
जागरण संवाददाता, करनाल : विवादित जमीन की जमाबंदी का रिकार्ड कोठी में मिलने के मामले में डीसी विनय प्रताप ने सहायक चकबंदी अधिकारी दलबीर सिंह का तबादला और मामले की विभागीय जांच की सिफारिश की है। प्रारंभिक जांच में पता चला रिकार्ड 15 दिन पहले निजी कोठी में रखा गया है। किसानों ने सोमवार को इसकी वीडियो बना एसपी सुरेंद्र सिंह भौरिया को सौंपी थी। इसके बाद जांच हुई। सोमवार की शाम ही रिकार्ड उठा कर जमाबंदी कार्यालय में रखा गया। यह रिकार्ड गांव कैरवाली, अमृतकलां, अमृतपुर खुर्द, कालरों की 3400 एकड़ जमीन विवादित है। अरबो रुपये की जमीन के रिकार्ड में 1995 में भी हेराफेरी हुई थी। तब विजिलेंस जांच के बाद तत्कालीन पटवारी और अब सहायक चकबंदी अधिकारी दलबीर सिंह, पटवारी जोगलाल समेत 14 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।
किसानों का आरोप, जिसके खिलाफ मामला दर्ज, वही ले गया रिकार्ड
किसान प्रदीप कुमार, बलसिंह, सुरेंद्र सैनी चंडीगढ़ में राजस्व निदेशक से मिलकर आरोप लगाया कि रिकार्ड में छेड़छाड़ तब के पटवारी और अब सहायक चकबंदी अधिकारी दलबीर ने की है। वह 1995 में भी विवादित जमीन के रिकार्ड से छेड़छाड़ का आरोपित है। खुद को सही साबित करने के लिए उसने रिकार्ड उठा इसमें फिर से हेराफेरी की कोशिश की। जिससे वह खुद को आरोप मुक्त साबित कर सके। डीआरओ श्याम लाल स्वीकार रहे हैं कि रिकार्ड निजी कोठी में ले जाना गलत है। आरोपित दलबीर ने तर्क दिया कि जगह की कमी की वजह से रिकार्ड पटवारी ने दूसरी जगह रखा।
इतना संवेदनशील मामला, जांच पटवारी कानूनगो को
रिकार्ड कैसे निजी कोठी में पहुंचा, इस मामले की जांच एक पटवारी और कानूनगो स्तर के कर्मचारी को दी गई। किसानों ने आरोप लगाया कि इससे प्रशासन की मंशा का पता चल रहा है। अरबों रुपये की विवादित जमीन के दस्तावेज में मामूली बदलाव से करोड़ों रुपये की हेराफेरी हो सकती है। कम से कम जांच सीनियर अधिकारी से कराई जानी चाहिए थी।
क्या इतना आसान है रिकार्ड की जगह बदलना
रिकार्ड किसी दूसरी जगह ले जाना आसान नहीं है। उचित वजह बताते हुए सीनियर अधिकारी बकायदा से रिकार्ड की जगह बदलने का आर्डर देता है। इस आर्डर के बाद ही रिकार्ड दूसरी जगह ले जाया जाता है। इस मामले में अभी तक यहीं पता नहीं चल रहा कि इसके लिए किसने इजाजत दी। रिकार्ड कीपर ने किसकी इजाजत से दस्तावेज दिये। क्यों आर्डर नहीं देखा?
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप