गीला और सूखे कचरा अलग-अलग रखने के लिए अभियान शुरू

जागरण संवाददाता करनाल स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। इसे लेकर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Nov 2020 10:57 AM (IST) Updated:Mon, 09 Nov 2020 10:57 AM (IST)
गीला और सूखे कचरा अलग-अलग रखने के लिए अभियान शुरू
गीला और सूखे कचरा अलग-अलग रखने के लिए अभियान शुरू

जागरण संवाददाता, करनाल : स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया है। इसे लेकर सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों के तहत नगर निगम आयुक्त विक्रम के निर्देश पर मोटीवेटर और सक्षम युवाओं की टीम तैयार कर ली गई हैं, जो व्यवसायिक एरिया के साथ-साथ डोर टू डोर जाकर सोर्स सैग्रीगेशन व कोरोना से बचाव के लिए जागरूक करेंगी।

शनिवार को शहर के ओल्ड सब्जी मंडी एरिया व क्लॉक टावर रोड से अभियान की शुरूआत हुई, जिसमें मोटीवेटर ने दुकानदार व रेहड़ी वालों को गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग रखने के लिए समझाया। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रेहड़ी-फड़ी वाले अपना व्यवसाय कर रहे हैं, जिन्हें नगर निगम की ओर से एक साइड में खड़े होने की हिदायत दी है, ताकि पार्किंग के लिए यहां वाहनों का प्रवेश आसानी से होता रहे। प्रतिदिन गले-सड़े या खराब हो चुके फल-सब्जी सड़क पर ना फेंके जाएं, इसके लिए इसके लिए नगर निगम ने उन्हें ऐसे कचरे को एक डस्टबिन में रखने की नसीहत दी है।

इसके साथ ही फलों की पैकिग में प्रयुक्त लकड़ी व गत्ते के बॉक्स सूखे कचरे में आते हैं, इन्हें भी अलग-अलग रखने बारे कहा गया है, ताकि सैग्रीगेशन से एकत्र कूड़े-कचरे को सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट में पहुंचाकर इसका उचित निस्तारण किया जा सके।

अभियान के तहत डोर-टू-डोर संपर्क

निगमायुक्त ने बताया कि इस अभियान के तहत पहले व्यवसायिक एरिया और फिर डोर-टू-डोर जाकर लोगों को गीले व सूखे कचरे को अलग-अलग रखने के साथ-साथ उन्हें कोरोना से बचाव के उपायों की भी याद दिलाएंगे, क्योंकि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। इससे बचाव के लिए दो गज दूरी और मुंह पर मास्क जरूरी हैं। कोविड 19 से बचाव के लिए हर व्यक्ति को इस तरह की सावधानियां अपनी रोजमर्रा की आदतों में शामिल करने को कहा जाएगा। सोर्स सैग्रीगेशन पर ध्यान देना जरूरी

आयुक्त ने बताया कि प्रतिदिन अनुमानित 180 टन कचरा शेखपुरा स्थित सोलिड वेस्ट प्लांट में जाता है, जबकि इसकी क्षमता 150 टन की है। यदि नागरिक सोर्स सैग्रीगेशन को शत प्रतिशत रूप में करते हैं, तो करीब 10 टन कचरा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की जरूरत पूरी कर सकता है, जबकि 20 टन गीला कचरा वर्मी कम्पोस्ट और कम्युनिटी पिट्स में खपत होकर खाद के रूप में परिवर्तित हो सकता है। इसे देखते सोर्स सैग्रीगेशन का महत्व ओर बढ़ जाता है और इससे सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट पर भी अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा।

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