टटियाना डेरे के महंत छवि राम दास को फंसा खुद गद्दी पर बैठना चाहता था रामभज

सांघन गांव के श्रृंगी ऋषि आश्रम का महंत रामभज दास एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। महंत राघव दास शास्त्री की हत्या और उसके इल्जाम में महंत छविराम दास को सजा। करोड़ों की संपत्ति और प्राचीन हनुमान मंदिर की गद्दी हथियाने में उसके लिए यह दो ही रोड़े थे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 09:54 AM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 09:54 AM (IST)
टटियाना डेरे के महंत छवि राम दास को 
फंसा खुद गद्दी पर बैठना चाहता था रामभज
टटियाना डेरे के महंत छवि राम दास को फंसा खुद गद्दी पर बैठना चाहता था रामभज

जागरण संवाददाता, कैथल: सांघन गांव के श्रृंगी ऋषि आश्रम का महंत रामभज दास एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। महंत राघव दास शास्त्री की हत्या और उसके इल्जाम में महंत छविराम दास को सजा। करोड़ों की संपत्ति और प्राचीन हनुमान मंदिर की गद्दी हथियाने में उसके लिए यह दो ही रोड़े थे। इन्हें रास्ते से हटाकर वह एक साथ कई डेरों की चौधर हासिल करना चाहता है। मगर ऐसा हो न सका और जो साजिश उसने रची थी, उसी का शिकार खुद हो गया। एसपी शशांक कुमार सावन ने इसका 12वें दिन में खुलासा कर दिया।

शहर के प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत 92 वर्षीय राघव दास शास्त्री की हत्या के लिए पांच लाख रुपये की सुपारी रामभज दास ने बदमाशों को दी थी। बदमाशों को जब पूरा पैसा एडवांस नहीं मिला तो उन्होंने महंत रामभज दास को ही मार डाला।

महंत राघव दास शास्त्री के पास टटियाना डेरे के महंत छवि राम दास का भी आना-जाना था। पुलिस प्रवक्ता रोशन लाल के मुताबिक महंत राघव दास के बाद छविराम दास को गद्दी संभालनी थी। रामभज दास इसे हासिल करना चाहता था। इसलिए रामभज दास ने महंत राघव दास शास्त्री की हत्या की योजना बनाई कि राघव की हत्या करवाने के बाद आरोप छवि राम दास पर लगा देगा, जो जेल चला जाएगा और वे गद्दी पर बैठ जाएगा।

रामभज दास को लगता था कि छविराम को मिलेगी गद्दी

महंत रामभज दास को बेलरखां गांव निवासी कुलबीर डेरे से बुलाकर लेकर गया था। कुलबीर महंत राघव दास शास्त्री की हत्या की साजिश में तो शामिल था, लेकिन रामभज दास की हत्या में उसका कोई हाथ नहीं था। पुलिस पूछताछ में उसने इस हत्याकांड के बारे में खुलासा किया। कुलबीर ने ही नरवाना निवासी अजय मेहरा से रामभज दास को मिलवाया था। इसके बाद बुजुर्ग महंत की हत्या को लेकर योजना तैयारी हुई। 50 हजार रुपये बदमाशों को एडवांस में दिए। बात पांच लाख रुपये में हुई थी। रामभज की योजना थी कि बुजुर्ग महंत की हत्या के बाद आरोप छविराम पर लगा देंगे और वे जेल में चला जाएगा और उसे आसानी से गद्दी मिल जाएगी। उसे लगता था कि महंत राघव दास और अन्य साधु समाज इस मंदिर की गद्दी को उसे न देकर छवि राम दास को सौंपेंगे।

वीडियो में नहीं लिया एक बार भी नाम

एसपी ने बताया कि हमले के बाद घायल रामभज का जो भी वीडियो सामने आया था, उसमें एक बार भी उसने हमले को लेकर छविराम दास का नाम नहीं लिया। कुलबीर के बारे में भी मारपीट न करने की बात कही थी। वीडियो में यह दिखाई दे रहा है कि घायल रामभज से बार-बार यह पूछा जा रहा था कि छवि राम ने हमला करवाया है या नहीं। रामभज बस हां या ना में सिर हिलाता रहा।

चकाचौंध से प्रभावित था

पूरे घटनाक्रम से एक बात जाहिर है कि महंत रामभज दास डेरों की संपत्ति के चलते चकाचौंध से प्रभावित था। महज छह माह की आयु में उसे गांव नौच के भानपुरा डेरे में महंत चरण दास के पास छोड़ दिया गया था। वहीं उसका पालन-पोषण हुआ। उसके बाद उसे काकौत स्थित आश्रम में ले गए। इसके बाद वह सांघन में श्रृंगी आश्रम डेरे का महंत बन गया था। छोटी उम्र में गद्दी मिलने से उसमें और ज्यादा हासिल करने की महत्वाकांक्षा जागृत होने लगी थी, जिसके चलते उसने इतनी बड़ी साजिश रची।

सड़क जाम करने वाले आरोपितों

पर किया केस दर्ज : एसपी

एसपी शशांक कुमार सावन ने मीडिया के माध्यम से आमजन को संदेश दिया कि कोई भी अप्रिय वारदात होने के बाद पुलिस अपराधियों को जल्द काबू करने का प्रयास करती है। इस दौरान वारदात से कुछ अगले दिन अपराधियों के नजदीक पहुंचने में पुलिस के लिए अहम दिन होते हैं, लेकिन इन्हीं शुरुआती दिनों में आमतौर पर कुछ लोग सड़कों पर उतरकर जाम लगा देते हैं, जिससे पुलिस का पूरा ध्यान उस तरफ हो जाता है और अपराधियों को फरार होने का समय मिल जाता है। महंत रामभज दास की हत्या मामले में भी कुछ लोगों ने ग्रामीणों को जाम लगाने के लिए उकसाया। 27 जून के शव खनौरी रोड बाइपास पर रखकर जाम लगा दिया। इस कारण आमजन को परेशानी हुई और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाई। पुलिस ने 18 मुख्य लोगों सहित अन्य के खिलाफ मार्ग जाम करने के आरोप में केस दर्ज किया है।

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