स्कंदमाता की पूजा कर मांगी मन्नत

जागरण संवाददाता, कैथल : नवरात्र के पांचवें दिन दुर्गा माता के पाचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा अच

By Edited By: Publish:Fri, 07 Oct 2016 01:06 AM (IST) Updated:Fri, 07 Oct 2016 01:06 AM (IST)
स्कंदमाता की पूजा कर मांगी मन्नत

जागरण संवाददाता, कैथल : नवरात्र के पांचवें दिन दुर्गा माता के पाचवें स्वरूप स्कंदमाता की पूजा अर्चना की गई। बृहस्पतिवार को श्री माता शीतला मंदिर, श्री ग्यारह रुद्री प्राचीन शिव मंदिर, श्री बड़ी देवी मंदिर, छोटी देवी मंदिर के अलावा शहर के अन्य मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए भक्तों की काफी भीड़ नजर आई। सुबह सवेरे चार बजे लंबी लाइन लगी। भक्तों ने लाइन में लगकर मां के दर्शन किए। वहीं मंदिरों के बार भी प्रसाद व खिलौनों की दुकानें सजने लगी है। भक्तों ने अभी से अष्टमी की खरीदारी भी करनी शुरू कर दी है।

रजनी, सोनू व शालू ने बताया कि नवरात्र पर्व में मां की पूजा-अर्चना करना फलदायी माना गया है। सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। यदि हम मां के सामने अपने पापों का पश्चाताप करें ओर फिर कभी पाप ना करने की शपथ ले तो मां अपनी कृपा भक्तों पर अवश्य ही करती है। मां के नौ नवरात्र रखने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भक्तों का लगा मंदिर में तांता

राजौंद : नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के स्कंदमाता रूप की पूजा अर्चना बड़ी धूमधाम व श्रद्धा-भाव से की गई। कस्बा के मंदिर में मां का जयकारा लगाते हुए भक्त पहुंचे। सुबह व शाम को मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा।

पंडित रामपाल ने बताया कि नवरात्र के पांचवें दिन देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद अर्थात कार्तिकेय की माता देवी स्कंदमाता की आराधना होती है। कमल पुष्प के आसन पर विराजमान होने से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। चेहरे पर विशेष तेज लिए देवी स्कंदमाता ¨सह पर सवार रहती हैं। इनकी गोद में विराजमान हैं इन्हीं की सूक्ष्म स्वरुप छ: सर वाली देवी। इनकी चार भुजाएं हैं। दो हाथों में कमल पुष्प सुशोभित हैं, एक हाथ वर मुद्रा में है तथा एक हाथ से अपनी गोद में विराजमान स्कंद को संभाले हुए हैं।

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