मंडी में रिश्वत का खेल, सरकार और प्रशासन फेल

By Edited By: Publish:Sun, 20 Apr 2014 01:01 AM (IST) Updated:Sun, 20 Apr 2014 01:01 AM (IST)
मंडी में रिश्वत का खेल, सरकार और प्रशासन फेल

जागरण संवाददाता, कैथल : शहर की अनाज मंडियों में गेहूं के उठान में रिश्वत का खेल चलता है, जबकि इस खेल में जिला प्रशासन एवं सरकार फेल साबित हुई है। उससे मंडियों में पड़ा करोड़ों रुपये का गेहूं भीग गया और डाले के नाम पर मजदूरों के रिश्वत मागने तथा ट्रक ट्रॉलियों को चालू करने पर ट्रक चालकों द्वारा ट्रकों को बीच में ही खड़ा कर रास्ता जाम कर दिया गया और प्रशासन के सामने गंभीर सामने गंभीर संकट उत्पन्न हो गया।

जिला प्रशासन मंडियों में से उठान को लेकर एढी-चोटी का जोर लगा रहा है, परंतु रिश्वत के इस खेल में प्रशासन असफल ही रहता है। इसके चलते अब की बार मंडियों और मंडियों से बाहर पड़ी गेहूं सड़ने के कगार पर आ गई है।

मंडियों में से हाई कोर्ट के निर्णय अनुसार सबसे पहले ट्रकों के माध्यम से लदान का कार्य शुरू किया गया। परन्तु इस कार्य में ट्रक सफल नहीं हो पाए, क्योंकि दोनों अनाज मंडियों में किसान एक दम अपनी गेहूं की फसल इतनी अधिक मात्रा में लाते हैं, जिसका लदान करना तो मुश्किल अपितु तोल करना भी नामुमकीन है, फिर जैसे तैसे आढ़तियों ने किसानों की इस फसल को मंगवा, तो दिया परंतु लदाई करते समय ट्रक चालकों ने आढ़तियों से रिश्वत के रूप में छह-सात रुपये प्रति बोरी यानी लगभग 14 रुपये प्रति क्विंटल की दर से रिश्वत लेनी शुरू कर दी। बरसात में खराब होने, आग लगने, चोरी होने तथा धूप में सुखने के कारण घटौतरी आने की समस्याओं से ग्रस्त आढ़तियों ने मजबूरी वश अपने माल का लदान करवाना जरूरी समझा। जब इस रिश्वत से भी मंडियों में से गेहूं का उठान नहीं होने लगा तो इस समस्या की गुहार जिला प्रशासन से लगाई गई। जो प्रशासन का हक भी बनता है। अपने हक को देखते हुए जिला प्रशासन ने ट्रैक्टर ट्रालियों को गेहूं उठाने में लगा दिया। इससे ट्रक चालक बिगड़ गए और स्थिति यहा तक आ पहुची कि ट्रक चालकों ने जहा पर गेहूं का भंडारण होता है वहा पर जाम लगा दिया और आरोप यह लगाया कि गेहूं की उतराई करने वाले मजदूर उनसे डाले के रूप में रिश्वत मागते हैं। उनकी इस बात में सच्चाई भी है, क्योंकि मजदूरों का कहना है कि जब वाहन चालक मंडियों में से फ्री की रिश्वत लेते हैं, तो उनमें से डाले के रूप में उनको भी कुछ मिलना चाहिए। वैसे भी मंडियों में दो दशक पहले झोटा रेहड़ी में गेहूं का लदान हुआ करता था जिस आढ़ती इन झोटा रेहड़ी में 20 बोरी लदवाने के रूप में चालकों को दो रुपये प्रति रेहड़ी रिश्वत दिया करते थे, परंतु अब जैसे जैसे महगाई बढ़ी तो वैसे वैसे अब यह रिश्वत ट्रक चालक हजारों रुपये में लेने लग गए है। अब इस खेल में प्रशासन व सरकार फेल हो गई है, जिससे सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा खरीदी गई किसानों की फसल मंडियों में ज्यों की त्यों पड़ी रहती है। यदि शुरू में ही इस ओर जिला प्रशासन ध्यान दे और दर्जनों भर अपने कर्मचारी मंडियों के अंदर छोड़े तथा रिश्वत मागने वालों व देने वालों के खिलाफ कार्यवाही करे तो यह समस्या हल हो सकती है अन्यथा यह हर साल महगाई की तरह बढ़ती रहेगी।

मिलजुलकर उठाने से समस्या होगी हल : सचिव

मार्केट कमेटी कैथल के सचिव रविंद्र सैनी ने बताया कि मंडी में ट्रैक्टर-ट्रॉली चालकों और ट्रक चालकों की मीटिंग कर सामंजस्य से काम चलाने का आह्वान किया है। इस पर जल्द सहमति भी बन जाएगी।

सुचारु चल रहा कार्य : विक्रमजीत

शहर थाना प्रभारी विक्रमजीत सिंह ने बताया कि कुछ समय के लिए ट्रक चालकों ने काम रोका था, लेकिन बाद में उनको समझा दिया गया था। अब अनलोडिंग का कार्य सुचारु ढंग से चल रहा है।

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