कुछ बैंकों में कैश तो अधिकतर रहे कैशलेस

जागरण संवाददाता, जींद : नोटबंदी के 29वें दिन जिला मुख्यालय के कुछ बैंकों में लोगों को 2 से

By Edited By: Publish:Wed, 07 Dec 2016 11:32 PM (IST) Updated:Wed, 07 Dec 2016 11:32 PM (IST)
कुछ बैंकों में कैश तो अधिकतर रहे कैशलेस

जागरण संवाददाता, जींद : नोटबंदी के 29वें दिन जिला मुख्यालय के कुछ बैंकों में लोगों को 2 से 10 हजार रुपये का कैश मिला तो अधिकतर बैंक कैशलेस नजर आए। एटीएम का भी यही हाल रहा। जींद के यूको बैंक में कूपन मिलने के बाद भी कैश नहीं मिलने से एक उपभोक्ता ने हंगामा कर दिया। प्रबंधन को स्थिति संभालने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा।

बैंकर्स भी कर रहे जागरूक

कैश की किल्लत से जूझ रहे बैंकर्स ने भी अब जिला प्रशासन के साथ मिलकर लोगों को कैशलेस सिस्टम अपनाने के लिए जागरूक करना शुरू कर दिया है। प्रशासन व बैंकर्स के साथ भाजपा की एकमात्र विधायक प्रेमलता भी बुधवार को उचाना की कपास मंडी में किसानों व आढ़तियों को कैशलेस का पाठ पढ़ाती नजर आई। शहर में अब तक भारतीय स्टेट बैंक ऑफ पटियाला व एक्सिस बैंक ही नोटबंदी को लेकर संजीदा नजर आए हैं। जिले के बैंकों को लीड करने वाला पीएनबी की व्यवस्था भी नोटबंदी में अक्सर हिचकोले खाती नजर आई।

बुढ़ापा पेंशन के लिए धक्के

न्यू कृष्णा कालोनी निवासी दरबार ¨सह ने बताया कि वह अपनी बुढ़ापा पेंशन लेने के लिए पिछले पांच दिन से बैंक के चक्कर काट रहा है। सुबह से शाम तक लाइन में खड़ा रहने के बाद भी पैसे नहीं मिल रहे हैं। इससे उसे परेशानी झेलनी पड़ रही है।

काम-धंधा छोड़ लाइन में खड़े

मुख्य बाजार के दुकानदार प्रदीप ने बताया कि वह पैसे लेने के लिए लगातार तीन दिन से अपना काम-धंधा छोड़कर बैंक में आ रहा है। आकर कतार में खड़ा हो जाता हूं परंतु पैसे के नाम पर हाथ अब तक बिल्कुल खाली हैं। इससे न तो वह बाजार से सामान खरीद पा रहा है तथा न ही अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा कर पा रहा है।

चार दिन से जा रही वापस

रामकली निवासी संतोष ने बताया कि उसका जींद के बैंक में खाता है। खाते से पैसे निकलवाने के लिए पिछले चार दिन से लगातार गांव से शहर आकर लाइन में लग रही हूं, परंतु नंबर आने तक कैश खत्म होने की बात कहकर उसे वापस भेज दिया जाता है। इससे न तो वह घर का काम-धंधा कर पा रही है तथा न ही अपनी जरूरतों के लिए पैसे निकाल पा रही है।

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