स्मोकर्स हैं कोरोना के सबसे अच्छे दोस्त, उन पर करता है सबसे ज्यादा अटैक

कोरोना वायरस स्मोकर्स पर सबसे ज्यादा अटैक करता है। धूमपान से शरीर में एसीई-2 प्रोटीन बढ़ता है। इसी से शरीर में कोरोना एंट्री करता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 09:00 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 09:00 PM (IST)
स्मोकर्स हैं कोरोना के सबसे अच्छे दोस्त, उन पर करता है सबसे ज्यादा अटैक
स्मोकर्स हैं कोरोना के सबसे अच्छे दोस्त, उन पर करता है सबसे ज्यादा अटैक

जींद [कर्मपाल गिल]। कोरोना से बचना है तो सबसे पहले धूमपान करना छोड़ना होगा। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का पीने वालों पर कोरोना वायरस सबसे ज्यादा हमला करता है। कारण यह है कि धूमपान करने वालों में एसीई-2 लेवल का प्रोटीन सबसे अधिक होता है। कोरोना वायरस इसी प्रोटीन के जरिए शरीर में एंट्री करता है, इसीलिए धूमपान करने वालों में कोरोना के केस ज्यादा पाए गए हैं।

नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम (एनटीसीपी) हरियाणा के आंकड़ों के अनुसार लगभग 47 लाख लोग यानि 23.6 फीसदी आबादी धूमपान की लत में जकड़ी हुई है। यही नहीं, प्रदेश में औसतन करीब 116 युवा हर रोज धूमपान करना शुरू करते हैं। खासकर युवा पीढ़ी ई-सिगरेट के जाल में फंस रही है। एनटीसीपी की स्टेट डायरेक्टर डॉ. वीना ङ्क्षसह कहती हैं कि प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स सिगरेट व हुक्का बार पर बैन लगा दिया है।

ई-सिगरेट कंपनियों ने यूथ को टारगेट करके गलत मिसगाइड कर दिया कि इससे शरीर पर नुकसान नहीं होता, जबकि सच्चाई यह है कि यह रेगुलर सिगरेट से ज्यादा खतरनाक है। ई-सिगरेट के माइक्रो पार्टिकुलर फेफेड़ों में घुसकर ऐसा कैंसर पैदा करते हैं, जिसका इलाज करना नामुमकिन हो जाता है। युवा समूह में एकत्र होकर ई-सिगरेट पीते हैं, जिससे कोरोना वायरस ट्रांसफर होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। धूमपान से युवाओं में स्पर्म काउंट यानि शुक्राणुओं की संख्या भी कम हो जाती है, जो उन्हें नपुंसक बढ़ा रही है। डॉ. वीना कहती हैं कि अंतरराष्ट्रीय धूमपान दिवस पर लोग संकल्प लें कि जिंदगी से करो प्यार, कोरोना व तंबाकू से करो इंकार।

कोरोना में हुक्का सबसे अधिक खतरनाक

हरियाणा में कहावत है, आ बैठ-हुक्का-पानी, तीन चीज मोल नहीं लानी। यानि अतिथि सत्कार के लिए आओ बैठो, हुक्का पीओ, पानी पीओ। हुक्का पीना हरियाणवी ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा रहा है, लेकिन अब इसे बदलना होगा। हुक्का पीने वाले तर्क देते हैं कि बीड़ी-सिगरेट की बजाय हुक्का कम नुकसान करता है, क्योंकि इसमें धुआं पानी से फिल्टर होकर आता है, जबकि सच्चाई इसके उलट है।

हेल्थ सर्विसिज नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम हरियाणा की डायरेक्टर डॉ. वीना सिंह कहती हैं कि एक हुक्का पीने पर एक आदमी 200 कश लगाता है तो उसमें सिगरेट से निकोटीन का लेवल 20 गुणा ज्यादा होता है। यही नहीं, एक चिलम से सिगरेट से 25 गुणा ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड पैदा होता है। हुक्के का तंबाकू भी ओरल कैंसर का बड़ा कारण है। हुक्का लोग समूह में पीते हैं, इसलिए किसी एक को कोराना वायरस हुआ तो वह आसानी से दूसरों तक पहुंच जाता है।

धूमपान से फेफड़े प्रभावित, उन्हें ही पकड़ता है कोरोना

जींद नागरिक अस्पताल के वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. रमेश पांचाल कहते हैं कि धूमपान से फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। फेफड़ों की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इसी कारण कोरोना वायरस धूमपान करने वालों को तुरंत पकड़ लेता है। यही नहीं, मुंह, गले, पेट, यूरिनरी ब्लेडर के कैंसर के अलावा हृदय रोग, लकवा, डायबिटिज, अस्थमा की बीमारी भी होती है।

डब्ल्यूएचओ ने कोरोना रोकने को दी गाइडलाइन

नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम हरियाणा की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रीटा कोतवाल ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने नई गाइडलाइन दी है कि कोरोना पर काबू पाने के लिए स्मोङ्क्षकग करने वालों को रोकना है। खासकर समूह में हुक्का नहीं पीने देना। धूमपान के आदी लोग इसे छोडऩे के लिए नेशनल क्विट टोबैको के हेल्पलाइन नंबर 1800112358 की मदद ले सकते हैं। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में मनोवैज्ञानिक व काउंसलर से सलाह ले सकते हैं। लेकिन खुद का मोटिवेशन व संकल्प शक्ति सबसे ज्यादा काम करेगी।

धूम्रपान पर प्रिंसिपल-हेडमास्टर भी काट सकेंगे चालान

नेशनल टोबैको कंट्रोल प्रोग्राम हरियाणा की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. रीटा कोतवाल ने बताया कि प्रदेश के सभी स्कूलों के 100 गज के एरिया में धूम्रपान करने व बेचने पर प्रतिबंध है। कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो स्कूल प्रिंसिपल या हेडमास्टर उनका 200 रुपये का चालान कर सकते हैं। इसी तरह ड्रग इंस्पेक्टर गुटखा, खैनी, जर्दा खाने वालों के चालान कर सकते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने वालों के चालान काटने वालों के जिला प्रशासन ने अलग-अलग अधिकारी नामित किए हुए हैं।

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